Medical Education: कैसे ले सकते हैं दाखिला, कहां से फ्री में होता है MBBS

Haryana Update : नीट एग्जाम पास करने के अलावा जो क्राइटेरिया है, उसमें शामिल है कि स्टूडेंट ने 12वीं तक बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री पढ़ी हो
 

Haryana Update :डॉक्टर बनने का बहुतों का ख्वाब इसकी महंगी पढ़ाई के चलते हकीकत नहीं बन पाता।

लेकिन मेहनत करने से सब हासिल होता है. किसी भी हालात में हौसला नहीं खोना चाहिए. मेहनत करने का जज्बा हो तो सब मिल जाता है

 
जर्मनी की सरकारी यूनिवर्सिटीज में MBBS की पढ़ाई फ्री में होती है. यहां दाखिला लेने के लिए भी इंडियन स्टूडेंट को NEET एग्जाम पास करना जरूरी है, इसका फायदा दाखिले के समय मिलता है।

नीट एग्जाम पास करने के अलावा जो क्राइटेरिया है, उसमें शामिल है कि स्टूडेंट ने 12वीं तक बायोलॉजी, फिजिक्स, केमिस्ट्री पढ़ी हो. जिस साल में MBBS में दाखिले के लिए ट्राई कर रहे हैं, उस साल दिसंबर तक कैंडिडेट की उम्र 17 साल पूरी हो गई हो.

 
मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि जर्मनी की एमबीबीएस उस देश की प्राथमिक चिकित्सा योग्यता है. यहां से एमबीबीएस की दुनियाभर में मान्यता और वैल्यू है. जर्मनी से इस कोर्स की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा है, जो इसे दुनिया में कहीं के लिए भी बेहतरीन बनाती है. यहां पर MBBS की डिग्री ज्यादातर मामलों में 6 साल में पूरी हुई, इसलिए यहां के इस कोर्स की ड्यूरेशन 6 साल मानी जाती है।

 एमबीबीएस की पढ़ाई में थ्योरेटिकल मेडिकल एजुकेशन और प्रैक्टिकल क्लीनिकल ​​​​अनुभव दोनों शामिल हैं. ये मेडिकल करियर के लिए सबसे अच्छी नींव प्रदान करता है.

 
जर्मनी से एमबीबीएस करने वाले डोमेस्टिक और अंतरराष्ट्रीय दोनों छात्रों को जर्मन अस्पतालों और क्लीनिकों तक समान पहुंच दी जाती है. कोर्स के साथ ये यह सुनिश्चित कराया जाता है कि वे अपनी मेडिकल की पढ़ाई के बाद एक सफल मेडिकल करियर शुरू कर सकें।

जर्मनी से MBBS करने का सबसे बड़ा फायदा इंडियन स्टूडेंट्स के लिए ये है कि कि जर्मनी में एमबीबीएस के लिए अधिकांश विश्वविद्यालयों को एमसीआई – मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (नेशनल मेडिकल काउंसिल) या डब्ल्यूएचओ – विश्व स्वास्थ्य संगठन जैसे दुनिया के प्रमुख चिकित्सा आयोगों द्वारा मान्यता मिली हुई है।

 
जर्मनी में एमबीबीएस की पढ़ाई स्कॉलरशिप के साथ पूरी तरह मुफ्त है. जर्मनी में मेडिसिन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के बाद प्रैक्टिकल के लिए बहुत अच्छे अस्पताल भी हैं. जर्मनी में इसे पढ़ना भारतीय छात्रों के लिए दिलचस्प है क्योंकि भारत की तुलना में यहां कोई ट्यूशन फीस नहीं है और जर्मनी में रहने की लागत मैनेजेबल है।

 
जर्मनी में MBBS के दाखिले के लिए नीट एग्जाम पास करना कोई तय क्राइटेरिया नहीं है, लेकिन यदि यह एग्जाम पास किया है तो इसका फायदा मिलता है. इस एग्जाम को पास करना ये प्रमाण देता है कि मेडिकल की पढ़ाई से पहले होने वाली बेसिक नॉलेज छात्र के पास है।

दाखिले के लिए यूनिवर्सिटीज के इंटरनेशनल ऑफिस से कॉन्टेक्ट करना होगा. इस पार्ट को Uni-Assist सिस्टम कहा जाता है.ये non-EU (Any person not having the nationality of an EU Member State) कैंडिडेट की मदद करता है।

 
Uni-Assist के जरिए ये जानकारी मिल जाएगी कि मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए कैसे अप्लाई करना है. डिजिटल एप्लीकेश समेत तमा चीजों के बारें में आपको बताया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन यूनिवर्सिटीज में दाखिले के लिए अप्लाई करने का समय 15 जुलाई तक (for fall/winter entry) और 15 जनवरी (for summer entry) तक होता है।

Uni-Assist के जरिए ये जानकारी मिल जाएगी कि मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए कैसे अप्लाई करना है. डिजिटल एप्लीकेश समेत तमा चीजों के बारें में आपको बताया जाएगा।

 मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इन यूनिवर्सिटीज में दाखिले के लिए अप्लाई करने का समय 15 जुलाई तक (for fall/winter entry) और 15 जनवरी (for summer entry) तक होता है।