Haryana News: यमुना की बाढ़ ने चमकाई कई लोगो की किस्मत, बाढ़ में बहकर आई 70 हजार क्विंटल लकड़ियां

जबकि भारी बाढ़ और बारिश लोगों को मार रहे हैं, वे रोजगार भी दे रहे हैं। जब भी पानी नदियों से नहरों में बहता है लकड़ियां जल्दी ही नदियों में बहने लगती हैं। जो स्थानीय लोग एकत्र करते हैं और फिर उन्हें बेचते हैं।
 

 ग्रामीण लोग यमुना नदी से लकड़िया निकालने से नहीं घबराते, हालांकि आज यमुना में पानी काफी उफान पर है। 10 दिन में इन ग्रामीणों ने 40 हजार से 45 हजार क्विंटल लकड़िया एकत्रित की। फिर इसे ट्रक में भरकर लकड़ी डिपो में बेच आते हैं। साल, देवदार, शीशम और खैर की मजबूत लकड़िया पानी में बहती हैं। हरियाणा के कई गांव, जैसे हथिनीकुंड बैराज, ताजेवाला हेड, मांडेवाला, बेलगढ़, लकड़िया यमुना से निकालते हैं। पड़ोसी उत्तर प्रदेश के फतेहपुर, रिहाना और जानीपुर के लोग भी यमुना से लकड़ियां निकालते हैं।


यमुनानगर में पिछले कुछ दिनों से बारिश ने बाढ़ की स्थिति उत्पन्न कर दी है। नहरों और नदियों के टूटने से हरियाणा के कई जिलों में बाढ़ आई है। हाल ही में हुई भारी बारिश ने आम जनजीवन को काफी प्रभावित किया है। वर्षा की वजह से नदियों में पानी का बहाव बहुत तेज हो गया है। वहीं नदिया लकड़ियां और अत्यधिक मूल्यवान सामान बहाकर लाती है। नदियों के किनारों पर रहने वाले लोग भी बाढ़ में काम खोज रहे हैं।

यमुना नदी में बेशकीमती लकड़ियां बहती हैं: ग्रामीण लोग जान जोखिम में डालकर इन्हें इकट्ठा करते हैं। महिलाएं और बच्चे भी लकड़ियां निकालते हैं। जब बारिश अधिक होती है, नदियों में पानी का बहाव बढ़ जाता है और कई मूल्यवान लकड़ियां बहती हैं। जो ग्रामीण लोग निकालकर जमा करते हैं और फिर इन्हें बेचकर पैसा कमाते हैं। ग्रामीण मानते हैं, हालांकि यह अवैध है।

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वर्षा के समय ग्रामीणों ने 3 दिन में 40 से 45 हजार क्विंटल लकड़िया एकत्रित की थी। बाढ़ के समय उत्तरी हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्र पूरी तरह से सक्रिय हो जाते हैं। पानी का तेज बहाव देखकर कुछ लोग पीछे हट जाते हैं, लेकिन कुछ लोग वहीं लकड़ियां निकालने लगे रहते हैं। ये लोग लोहे के काटे बनाते हैं और लकड़िया उनमें फसाते हैं। लकड़िया जो पानी में बहती हैं, वन विभाग और निजी ठेकेदारों की हैं।


लकड़ी का एक ढेर इतनी कीमत पर बिकता है कि पानी में शीशम, साल, देवदार, खैर और अन्य प्रकार की लकड़ियां मिल जाती हैं। हरियाणा के कई गांवों, जैसे हथिनीकुंड, बेलगढ़, ताजेवाला हेड और मांडेवाला, यमुना नदी से लकड़ियां निकालते हैं। पूरे दिन लकड़ी जमा करने के बाद ग्रामीणों को लकड़ी ठेकेदारों के पास ले जाया जाता है। लकड़ी ठेकेदार उन्हें खरीदने को हमेशा तैयार रहते हैं। पड़ोसी उत्तर प्रदेश के जानीपुर, रिहाना, फतेहपुर और अन्य स्थानों में भी लोग लकड़िया निकालने का कार्य करते हैं। 1-1 लकड़ी के ढेर भी २०-३० हजार तक की कीमत होती है।