Brahmastra Movie Review: हर चीज में अच्छी होते हुए भी कहां मात खा गई ब्रह्मास्त्र?
Brahmastra Movie Facts: आज की मूवी रिव्यू में हम आपके लिए लेकर आए हैं ब्रह्मास्त्र फिल्म की पूरी कहानी, कास्ट व रिलीज होने से लेकर व्यूअर्स के रिव्यू तक... आखिर कास्ट, स्टोरी व हर चीज में बेहतरीन होने के बावजूद फिल्म हिट होने से क्यों चूक गई...
फिल्म:ब्रह्मास्त्र- पार्ट वन शिवा (Film: Brahmastra - Part one Shiva)
स्टार कास्ट (Star Cast Of Brahmastra) : रणबीर कपूर, आलिया भट्ट, अमिताभ बच्चन, अक्किनेनी नागार्जुन, मौनी रॉय, शाहरुख खान और डिंपल कपाड़िया
कहां थिएटर्स
क्या है कहानी (Story of Brahmastra Film) : फिल्म की कहानी एक दम आसान है, जिसे ट्रेलर रिलीज से लेकर प्रमोशन तक कई बार बताया जा चुका है। काफी पहले कुछ ऋषियों ने तपस्या कर ईश्वर से कुछ अस्त्र-शस्त्र वरदान में मांगे थे, जिनमें सबसे ताकतवर था- ब्रह्मास्त्र।
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अब ब्रह्मास्त्र को कुछ बुरे लोग हासिल करना चाहते हैं और अच्छे लोग उसकी रक्षा करने की जिम्मेदारी उठाते हैं। ब्रह्मास्त्र को कुल तीन हिस्सो में बांट दिया गया था ताकि इसका इस्तेमाल न हो सके, लेकिन जुनून (मौनी रॉय) इन्हें एक साथ लाकर देव/ब्रह्मदेव (इस किरदार का एक्टर रिवील नहीं किया गया)को वापस जिंदा करना चाहती है।
शाहरुख खान और नागार्जुन के किरदार के पास भी अस्त्र होते हैं, जो जुनून को रोकने की कोशिश करते हैं। गुरु जी (अमिताभ बच्चन) का एक आश्रम है, जहां ब्रह्मांश के कई सदस्य मौजूद हैं, जो जुनून को रोकने में आगे आते हैं। अब इन सब में शिवा (रणबीर कपूर) कैसे आता है, वो खुद में एक अस्त्र (अग्नि अस्त्र) क्यों है और क्या आखिर में ब्रह्मास्त्र ये लोग बचा पाते हैं या नहीं... ऐसे ही कई सवालों के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
ब्रह्मास्त्र की कहानी भी अच्छी लिखी गई है, और फिल्म के दूसरे पार्ट 'देव' के लिए कौतूहल पैदा कर देती है। हालांकि हो सकता है कुछ लोगों को फिल्म की कहानी के कुछ हिस्से आपत्तिजनक लगें।
कैसा है निर्देशन और एक्टिंग: अयान मुखर्जी की निर्देशित ये तीसरी फिल्म है। अयान ने इससे पहले वेक अप सिड और ये जवानी है दीवानी का निर्देशन किया था। दोनों ही फिल्मों को न सिर्फ क्रिटिक्स बल्कि दर्शकों ने भी पसंद किया था। ब्रह्मास्त्र के साथ अयान की ये हैट्रिक है और उनके काम वाकई काबिल- ए- तारीफ है।
ब्रह्मास्त्र के साथ अयान ने इंडियन सिनेमा को एक कदम आगे ले जाने का काम किया है। फिल्म के टेक्निकल आस्पेक्ट्स की आने वाले वक्त में भी जरूर चर्चा हुआ करेगी।
फिल्म के शुरुआती चंद मिनटों में ही शाहरुख खान की एंट्री होती है और शुरू होता है जोरदार एक्शन, जो आपको ताली बजाने और सीटी मारने पर मजबूर कर देता है।
वहीं आलिया भट्ट, रणबीर कपूर, अमिताभ बच्चन ही नहीं बल्कि मौनी रॉय ने भी तगड़ा परफॉर्मेंस दिया है, हालांकि रणबीर को कुछ सीन्स में देखकर 'ये जवानी है दीवानी' के बनी की याद आ जाती है। वैसे सिर्फ शाहरुख खान की नहीं बल्कि अक्किनेनी नागार्जुन ने भी बेहतरीन काम किया है। इन सबके अलावा जितना किरदार डिंपल कपाड़िया को मिला है, वो समझ नहीं आता कि उन्होंने इस फिल्म के लिए हां क्यों कहा।
क्या कुछ है खास:
फिल्म का सबसे स्ट्रॉन्ग प्वाइंट इसका वीएफएक्स है। अभी तक जितनी भी फिल्में हमने इंडियन सिनेमा में देखी हैं, उनमें हम हमेशा की ये कहते दिखे हैं कि फिल्म का वीएफएक्स अच्छा हो सकता था या फिर हॉलीवुड के मुकाबले हम हमेशा की पीछे रहे हैं।
लेकिन ये फिल्म देखने के बाद इस सोच में बदलवा जरूर आएगा। फिल्म को एक ओर जहां तकनीकी तौर पर मजबूत किया गया है तो वहीं दूसरी ओर इसकी कहानी को शास्त्रों से जोड़ा गया है।
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड म्यूजिक काफी अच्छा है, जो आपके स्क्रीनिंग एक्सपीरियंस को अच्छा करने का काम करता है। फिल्म में कलरिंग का भी अच्छा इस्तेमाल किया गया है।
कहां खाई मात:फिल्म में काफी कुछ अच्छा है, लेकिन कुछ कुछ चीजें ऐसी भी हैं जो बेहतर हो सकती थीं। फिल्म के डायलॉग्स हुसैन दलाल ने लिखे हैं, जो कई जगहों पर काफी कमजोर साबित होते हैं। कई जगह बातचीत में ऐसा ह्यूमर डाला गया है, जिसकी सीन के साथ जरूरत नहीं थी।
जिस बजट और ग्रैंड लेवल पर फिल्म को बनाया गया था उसके हिसाब से फिल्म का म्यूजिक भी जुबां पर नहीं चढ़ता है। फिल्म देखते हुए तो आप गानें एन्जॉय करते हैं लेकिन सिनेमाघर से बाहर आने के बाद एक भी गाना गुनगुनाते नहीं बनता है।
इसके अलावा फिल्म की लंबाई भी अधिक लगती है, फिल्म को करीब 10-15 मिनट तक एडिट किया जा सकता था, जिससे कुछ हिस्सों पर फिल्म खींची हुई न महसूस होती।
वहीं फिल्म की कहानी शुरुआती वक्त में थोड़ी उलझी से महसूस होती है, लेकिन धीरे धीरे उसकी परत खुलती है और हर सवाल का जवाब मिलता जाता है। बाकी कहानी के कुछ अंश से कुछ लोगों को आपत्ति भी हो सकती है।
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देखें या नहीं: अयान मुखर्जी ने इस फिल्म को बनाने में करीब आठ साल का वक्त लिया है और उनकी मेहनत फिल्म में साफ दिखाई देती है।
ब्रह्मास्त्र एक ऐसी फिल्म है, जिसे आप पूरे परिवार के साथ देखने जा सकते हैं। वीएफएक्स का इम्पैक्ट फील करना है तो इस बात का ध्यान रखें कि ये फिल्म 3डी में ही देखें।