KNOWLEDGE: क्या है हाईपरसोनिक मिसाइल का इतिहास History of Hypersonic Missiles

Haryana Update, knowledge.हाइपरसोनिक मिसाइल अत्यंत तीव्र गति और दिशा बदलने वाली नयी तकनीक है, जैसे ही रूस ने यूक्रेन मे इसका प्रयोग किया वैसे ही यह फिर चर्चा मे आ गयी। बता दे की हाईपरसोनिक मिसाइल को भेदने मे अभी तक दुनिया मे कोई एयर डिफेंस नहीं बनी है। ये आवाज की गति से कई गुना तेज होती है जिससे रेडार की पकड़ मे आना मुश्किल होता है।

 

Knowledge:

पहली बार रूस ने किया इस्तेमाल

हाइपरसोनिक हथियारों (Hypersonic Missiles) को गेमचेंजर माना जाता है। पहली बार रूस (Russia) ने यूक्रेन (Ukraine) की धरती पर इसका इस्तेमाल किया है। जिसके बाद से इस मिसाइल की चर्चाएं हो रही हैं। आखिर ये किस तरह की मिसाइल है, कितनी खतरनाक है, कैसे काम करती है और किन देशों के पास हाइपरसोनिक हथियार हैं। दुनिया के कई देश इन्हें विकसित करने में जुटे हैं और कुछ देशों ने इसे विकसित कर लिया है। इस मिसाइल के लॉन्च होने के बाद ये राकेट से अलग हो जाती है। आवाज की गति से 10 गुना तेजी से निशाने की ओर बढ़ती है। कहते हैं कि किसी भी युद्ध की दिशा मोड सकती है ये हाइपरसोनिक मिसाइल, जिसे गेम चेंजर भी कहा जा सकता है।

आवाज की गति से कई गुना तेज

क्या है हाइपरसोनिक हथियार हाइपरसोनिक हथियार गति और तीव्रता से दिशा बदलने में सक्षम हथियार किसी भी देश के मौजूदा डिफेंस सिस्टम को भेदने में सक्षम है। दो साल पहले हाइपरसोनिक हथियारों की दो या तीन कैटेगरी थी। इसको लेकर अमरीका के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल जॉन हाइटेन ने कहा था कि इनकी गति इतनी तेज है कि अगर आप इन्हें देख नहीं सकते तो इन्हें रोक भी नहीं सकते। आम तौर पर तेज और कम ऊंचाई पर शानदार प्रदर्शन करने वाली मिलाइल है हाइपरसोनिक। ये ध्वनि की गति से 10 गुना तेज हथियार हैं। जो समुद्र तल पर लगभग 1,220 किलोमीटर प्रति घंटे की गति तक पहुंच सकती है। ये मिसाइल कम से कम 3,800 मील प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ सकती है।

किन देशों के पास है यह हथियार

अमरीका ने 2022 में हाइपरसोनिक हथियारों के लिए 3।8 अरब डॉलर का बजट रखा है। इसके अलावा 246।9 लाख डॉलर का बजट हाइपरसोनिक डिफेंस रिसर्च के लिए रखा है। रूस सोविय संघ के समय से 1980 से ही रूस इस तकनीक को विकसित के करने में लगा है। 19 मार्च और 20 मार्च को रूसी सेना ने यूक्रेन में लगातार दो दिन हाइपरसोनिक मिसाइल किंझाल से हमले का दावा भी किया गया। अमरीकी इंटेलीजेंस का दावा है कि चीन के पास कम से कम एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल है। उसने 2016 से 2021 के बीच हाइपरसोनिक के हथियार के लिए सैकड़ों परीक्षण किए है। अगस्त 21 में ऐसा एक सफल परीक्षण भी किया गया है। अन्य देश उत्तर कोरिया ने भी इस साल 5 जनवरी को दो हाइपरसोनिक मिसाइलों के परीक्षण का दावा किया था। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया, भारत, फ्रांस, जर्मनी, जापान इस तकनीक पर काम कर रहे हैं। इरान, इसाइल और दक्षिण कोरिया भी इसके लिए शुरुआती रिसर्च कर रहे हैं। क्या भारत के पास है ये हथियार।।। भारत हाइपरसोनिक हथियार की तकनीक पर भी काम कर रहा है। इसका परीक्षण भी कर चुका है। डीआरडीओ ने साल 2020 में एक मानव रहित स्क्रैमजेट की हाइपरसोनिक गति की उड़ान का सफल परीक्षण किया था। इसे हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल कहा जाता है। जो 20 सेकंड से भी कम समय हुआ। जिसकी स्पीड 7500 किलो मीटर प्रति घंटा थी।