Rajasthan Scheme : गहलोत सरकार ने किया बड़ा ऐलान, पुरानी पेंशन योजना लागू करने पर ठप्पा लगाएगी सरकार 

OPS Scheme : राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने प्रतिबद्धता व्यक्त की है कि उनकी दूसरी सरकार बनते ही कर्मचारियों के लिए 'ओपीएस' को कानून के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को बंद करने के लिए पोस्टल बैलेट से वोट कीजिए।

 

राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है। 25 नवंबर को राज्य में वोट डाले जाएंगे। कांग्रेस पार्टी ने अपनी सात चुनावी गारंटियों में से पहले नंबर पर 'पुरानी पेंशन स्कीम' को कानूनी गारंटी का दर्जा दिया है। कांग्रेस पार्टी की महासचिव और प्रसिद्ध प्रचारक प्रियंका गांधी ने अपनी रैलियों में 'ओपीएस' का मुद्दा उठाया है। मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्थान चुनाव में 'पुरानी पेंशन' को लेकर बहुत आश्वस्त हैं। अब उनका लक्ष्य ओपीएस को कानूनी दर्जा देना है। लेकिन उनके इस दांव में राजनीतिक पेंच आ सकता है। NPS का धन केंद्र सरकार के पास है। यद्यपि धन कर्मियों का है, लेकिन केंद्र की मंजूरी के बिना राज्य सरकार को नहीं भेजा जा सकता। कांग्रेस की चुनावी गारंटी के कारण, ओपीएस को राज्य में कानूनी दर्जा मिलने पर भी कोई गारंटी नहीं है कि किसी दूसरे दल की सरकार उस कानून को हटाएगी। ऐसे में कानूनी दर्जे का कोई विशिष्ट महत्व नहीं रह जाएगा।

कानूनी दर्जे का अर्थ है भरोसा

सोमवार को अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तेज सिंह राठौड़ ने कहा कि देखो ये भरोसा है। राजस्थान सरकार अपने कर्मचारियों को विश्वास दिलाती है कि उसने 'ओपीएस' को सिर्फ एक चुनावी गारंटी तक नहीं रखा है, बल्कि उसे कानूनी दर्जा भी दिया है। अब यह एक राज्य में है। किसी दूसरी पार्टी की सरकार भी इस दर्जे को वापस ले सकती है। कानून बदल सकती है। वास्तव में, राजस्थान की मौजूदा सरकार ने ओपीएस को लागू किया है और अब कांग्रेस पार्टी ने अपनी चुनावी गारंटी में भी इसे कानूनी दर्जा देने का वादा किया है। भाजपा के घोषणा पत्र में 'OPS' का नाम तक नहीं है। यह भी ठीक है कि कर्मचारियों के एनपीएस में जमा धन भारत सरकार के पास है। केंद्र की अनुमति के बिना राज्यों को "पेंशन फंड एंड रेगुलेटरी अथारिटी" (पीएफआरडीए) में जमा धन नहीं दिया जा सकता। केंद्र सरकार ने पहले ही इसे खारिज कर दिया है।

चौंकाने वाले चुनावी परिणाम

तेज सिंह राठौड़ ने कहा कि भारत सरकार को इस बारे में सहयोग करना चाहिए। केंद्र सरकार ने एनपीएस को लागू करने से पहले कर्मचारियों से अनुरोध नहीं किया था। अब कर्मचारियों को ओपीएस और एनपीएस का विकल्प मिलना चाहिए। कर्मचारी खुद निर्णय करें कि उन्हें एनपीएस में रहना चाहिए या ओपीएस में बहाली चाहिए। पीएफआरडीए के नियमों में भी बदलाव करें। चुनाव में ओपीएस का प्रभाव दिखाई देगा। नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे चौंकाने वाले होंगे। सत्ता समीकरण, खासतौर पर छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों का वोट बिगाड़ने के लिए काफी है। राजस्थान में सरकारी कर्मचारी पूरी तरह से ओपीएस के पक्ष में मतदान करते हैं, तो चुनावों के परिणाम अप्रत्याशित हो सकते हैं। राजस्थान में लगभग नौ से दस लाख सर्विंग और सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। उनके पास भी परिवार है। विधानसभा चुनाव में सत्ता के समीकरण को बदलने के लिए यह संख्या पर्याप्त है।


केंद्रीय सहयोग के बिना आगे बढ़ना मुश्किल है।

राजस्थान में कांग्रेस पार्टी ने प्रतिबद्धता व्यक्त की है कि उनकी दूसरी सरकार बनते ही कर्मचारियों के लिए 'ओपीएस' को कानून के माध्यम से सुनिश्चित किया जाएगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वेट नहीं, वोट कीजिए और ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को पोस्टल बैलेट से बंद कीजिए। केंद्रीय और राज्य सरकारी कर्मचारी संगठनों के नेता ने भी कहा कि भाजपा राजनीति में ओपीएस का विरोध कर रही है। इसके बावजूद, राज्य सरकारें इस मामले में बिना केंद्रीय सहयोग के लंबे समय तक चल नहीं सकती हैं। NPS का धन 'पेंशन फंड एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी' (PFRDA) में जमा होता है। केंद्र सरकार इसे नियंत्रित करती है। NPS का धन राज्यों को केंद्र की अनुमति के बिना नहीं दिया जा सकता। केंद्र सरकार ने इसे स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है।

पीएफआरडीए एक्ट में संशोधन की मांग

दिल्ली के रामलीला मैदान में तीन नवंबर को सरकारी कर्मियों ने चेतावनी रैली निकाली, जिसका उद्देश्य 'पुरानी पेंशन' की पुनर्स्थापना था। ऑल इंडिया स्टेट गवर्नमेंट एम्प्लाइज फेडरेशन सहित करीब 50 कर्मचारी संगठनों ने कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के बैनर तले आयोजित इस रैली में भाग लिया। कर्मचारियों ने कहा कि केंद्र सरकार को ओपीएस सहित अन्य आवश्यकताओं पर विचार करना चाहिए। यदि केंद्रीय सरकार एनपीएस को समाप्त करने और ओपीएस को फिर से शुरू करने की अन्य मांगों को नहीं मानती, तो कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल जैसे कठोर कदम भी उठा सकते हैं। कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में से एक था पीएफआरडीए कानून में बदलाव करना या उसे पूरी तरह खत्म करना। कर्मचारियों ने कहा कि सरकार पीएफआरडीए को वापस लेना चाहती है। विभिन्न राज्यों में ओपीएस को लागू करना मुश्किल ही रहेगा जब तक इस अधिनियम को खत्म नहीं किया जाता। कारण यह है कि एनपीएस के तहत कर्मचारियों से प्राप्त धन पीएफआरडीए के पास जमा होता है। केंद्रीय सरकार ने घोषणा की है कि राज्यों को धन नहीं दिया जाएगा। ऐसे में, एनपीएस को जहां भी लागू किया जा रहा है, सरकार बदलते ही फिर से लागू किया जा सकता है। ऐसे में राज्यों की ओपीएस बहाली में कई समस्याएं होंगी।

राज्यों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा

पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का फैसला करने वाले राज्यों को भविष्य में आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। कारण यह है कि केंद्रीय सरकार ने कई नियमों को बदल दिया है। OPS लागू कर रहे राज्यों को शायद केंद्र से अतिरिक्त कर्ज मिलना मुश्किल होगा। NPS के तहत राज्य सरकारें अपने और अपने कर्मचारियों की सैलरी का एक निश्चित भाग पेंशन फंडिंग रेगुलेटरी डेवलेपमेंट अथॉरिटी को देती हैं। बाद में कर्मचारी को पेंशन मिलती है। इसके तहत राज्य सरकारें, पेंशन फंडिंग एडजस्टमेंट के तहत केंद्र से अधिक ऋण ले सकती हैं। अतिरिक्त कर्ज राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत तक हो सकता है। राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों के बीच पुरानी पेंशन व्यवस्था को फिर से लागू करने का विवाद है। जिन गैर-भाजपा शासित राज्यों ने अपने कर्मियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था में लाने की घोषणा की है, उन राज्यों को 'एनपीएस' में जमा कर्मियों का धन वापस नहीं मिलेगा। केंद्र सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि यह धन 'पेंशन फंड एंड रेगुलेटरी अथारिटी' (PFRDA) के पास जमा है। केंद्रीय बजट में जमा यह धन राज्यों को नई पेंशन योजना (NPS) में नहीं मिल सकता। वह धन केवल उन कर्मचारियों को मिलेगा, जो इसका योगदान करते हैं।

कोई प्रणाली बनानी पड़ेगी।

राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार ने पीएफआरडीए से धन वापस लेने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया था। छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों ने 17 हजार करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि पीएफआरडीए में दी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस धन की वापसी की मांग की है। भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ के महासचिव मुकेश कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार एनपीएस के धन को नियंत्रित करती है। यदि धन वापस नहीं आता है, तो राज्य सरकारों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। उस धन का सरकारी खाते में वितरण क्या होगा, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है। NPS में जमा पैसा मार्केट में लगा है, इसलिए उसे वापस लाने के लिए कोई प्रणाली बनानी होगी। केंद्र सरकार एनपीएस को धन दे सकती है, लेकिन पीएफआरडीए कानून को बदलना होगा। केंद्रीय सरकार को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।