UP के इस किले में रात होते ही सुनाई देती है घूंघरुओं की आवाज, लोगों ने बताया रहस्य
The sound of ghungroos is heard in this fort of UP as soon as night falls, people told the secret
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) का चित्रकूट (Chitrakoot) जिला अपने ऐतिहासिक स्थलों की वजह से पहचाना जाता है. धार्मिक स्थलों (Religious Places) से जहां प्राचीन कारीगरी का नजारा मिलता है, वहीं एक जगह रात होते ही डरावनी बन जाती है. यहां आज भी रात के समय घुंघरुओं की आवाज सुनाई देने का दावा किया जाता है. यही नहीं, पानी टपकने की आवाज भी लगातार सुनाई देती है. हालांकि किसी ने सबूतों के साथ इसका प्रमाण नहीं दिया, लेकिन पर्यटकों का आज भी शाम ढलने से पहले ही इस जगह से बाहर निकाल दिया जाता है.
हम जिस जगह की बात कर रहे हैं, वो गणेश बाग का प्राचीन किला है. इस किले को 19वीं शताब्दी में बनाया गया था. बताया जाता है कि इस किले में कई हजारों रानियां रहती थी. किले को बेहद आलीशान बनाया था ताकि यहां रहने वाले सभी लोगों को जन्नत जैसा अहसास मिले. यहां रोजाना गीत-संगीत का माहौल होता था.
इस किले के चारों ओर विशाल चोटी पर बड़ी मूर्तियां बनाई गई. यहां की कारीगरी देखकर खुजराहो की याद आ आती है. यही कारण है कि इसे छोटा खुजराहो कहा जाता है. इस किले में रहस्यमी गुप्त रास्ते भी हैं, जो कि मुगल परिवार के सदस्य ही इस्तेमाल कर सकते थे. इस किले को 19वीं शताब्दी में बनाया गया था, लेकिन आज भी यह किला जहां अपनी ऐतिहासिक धरोहर को संभाले बैठा है, वहीं लोगों में डर भी पैदा करता है.
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कहा जाता है कि इस किले में रात के समय आज भी घुंघरु बजने की आवाज सुनाई देती है. साथ में पानी टपकने की भी आवाज दिखाई देती है. कई लोग दावा कर चुके हैं कि उन्होंने यह आवाजें सुनी हैं, लेकिन इसकी वजह पुष्टि के साथ नहीं बता सके हैं. यह किला दिन में जहां खामोश रहता है तो वहीं रात को आवाजें लगातार सुनाई देती हैं. ऐसे में शाम ढलने से पहले ही पर्यटकों को किले से बाहर निकाल दिया जाता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां पर रानियां जौहर करती थीं. किले में घुंघरुओं की आवाज भी रानियों के पायलों की वजह से होती है. बहरहाल, स्थानीय लोगों के यह दावे अभी तक पुष्टि के पैमाने पर साबित नहीं हो सके हैं.