Durga Saptshati Path: दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम, आपकी किस्मत हो जाएगी बुलंद
Durga Saptshati Path: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-उपासना का विशेष फल मिलता है. मान्यता है कि इन 9 दिनों में मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है.
नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ कुछ लोग गोस्वामी तुलसीदाश कृत रामचरितमानस का पाठ भी करते हैं. कहते हैं कि इस दौरान किए गए पाठ से मां दुर्गा को विशेष फलों की प्राप्ति होती है.
शास्त्रों में दुर्गा सप्तशती को तांत्रिक ग्रंथ बताया गया है. कहते हैं कि इसमें कई ऐसे मंत्र भी शामिल हैं, जो असंभव को भी संभव बना देते हैं.
हालांकि, इसके लिए एक विशेष अनुष्ठान किया जाता है और विधिपूर्वक करने पर ही इसके पूर्ण फल की प्राप्त होती है. जानें दुर्गा सप्तशती पाठ करने की विधि के बारे में.
दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले गणेश पूजा करें. वहीं अगर आपने कलश स्थापना की है, तो पहले कलश पूजन, नवग्रह पूजन और ज्योति पूजन के बाद ही सप्तशती का पाठ करें.
- पाठ करने के बाद पुस्तक को साफ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर रखें. इस दौरान इस बात का ध्यान रखें कि जहां पुस्तक रख रहे हैं, वह जगह शुद्ध रहे. इसके बाद पुष्प, चावल और कुमकुम से पूजन करें.
- अगर पहले दिन पूरा पाठ न किया जा सके, तो शुरुआत में सिर्फ मध्यम चरित्र का पाठ करें. दूसरे दिन बचे हुए 2 पाठ करें.
- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वाक सिद्धि और मृत्यु पर विजय पाने के लिए श्री दुर्गा सप्तशती में श्रीदेव्यथर्वशीर्षम स्त्रोत का पाठ नित्य रूप से करना चाहिए.
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बता दें कि श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ से पहले और बाद में नर्वाण मंत्र 'ओं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाये विच्चे' का पाठ अवश्य करें.
- अगर संस्कृत में दुर्गा सप्तशती का पाठ करना मुश्किल लग रहा है, तो हिंदी में ही सरलता के साथ ये पाठ किया जात सकता है. साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि पाठ करते समय इसका उच्चारण साफ और शुद्ध होना चाहिए