गृह मंत्रालय की नौकरी छोड़ कर कनिका राठी ने की UPSC की तैयारी, बनी IAS ऑफिसर 

भारत में UPSC की परीक्षा को पास करना बहुत बड़ी सफलता माना जाता है। इस परीक्षा को पास करने का अर्थ है कि उम्मीदवार किसी भी क्षेत्र में फंस नहीं सकता।
 

 यूपीएससी उत्तीर्ण विद्यार्थी सबसे अधिक बुद्धिमान और बुद्धिमान होते हैं। विद्यार्थी इस परीक्षा को पास करने के लिए वर्षों तक मेहनत करते हैं और पास होने पर फिर से खुश नहीं होते।

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ऐसे ही हरियाणा के बहादुरगढ़ की रहने वाली कनिका राठी का बचपन से ही आईएएस बनने का सपना था। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी करने के लिए भी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी।


दादा की इच्छा थी कि एक बेटा होगा। कनिका राठी, एक आईएएस अधिकारी, ने अपनी मेहनत से यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में देश भर में 64वीं स्थान हासिल किया। वह आईएएस बनने के बाद दिल्ली में अंग्रेजी के पीजीटी रहे अपने दादा का सपना पूरा करने के लिए काम करने लगे। उनके दादा चाहते थे कि उनकी पोती आईएएस अधिकारी बन जाएगी। याद रखें कि कनिका पहले से ही पढ़ने में होशियार और तेज दिमाग की थी। उन्होंने बहादुरगढ़ के बाल भारती स्कूल से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की और दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज से गणित में बीएससी की डिग्री प्राप्त की।


उन्होंने अशोका यूनिवर्सिटी से लिबरल स्टडीज में पीजी किया है और सरकारी नौकरी छोड़कर फिर से यूपीएससी की तैयारी शुरू की। 2015 में, वे यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने लगे। उन्होंने इसके लिए दिल्ली में यूपीएससी को भी कोचिंग दी। 2016 और 2017 में कनिका राठी ने दो बार यूपीएससी की परीक्षा दी। लेकिन वे दोनों बार असफल रहे, लेकिन 2019 में उन्हें गृह मंत्रालय में नौकरी मिली।

उन्होंने आईबी के पटना कार्यालय में कुछ समय तक काम करने के बाद माता-पिता की सहमति से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद, वह फिर से यूपीएससी की तैयारी में लग गया।

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कनिका राठी की चौथी प्रयास में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफलता मिली. उनका परिवार अच्छे पदों पर है। कनिका ने ऑल इंडिया में 64वीं रैंक हासिल कर आईएएस अफसर बन गया। उन्हें आईएएस अधिकारी बनने का सपना पूरा करने में छह साल और कड़ी मेहनत लगी। आईएएस कनिका राठी के पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो उनके माता-पिता और चाचा अच्छे सरकारी पदों पर हैं।

उनके पिता नरेश राठी एक इंजीनियर हैं, और उनके चाचा डॉ. अनिल राठी झज्जर के एक वरिष्ठ डॉक्टर हैं। उनकी मां नीलम भी दिल्ली के घेवरा में सर छोटूराम पब्लिक स्कूल में शिक्षिका हैं। आज पूरा परिवार उनकी सफलता से खुश है।