Navratri Special: दीवाली के पावन मौके पर अगर आप भी बुलाना चाहते हो मां लक्ष्मी को अपने घर, तो इन बातों का रखे खास ध्यान

नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना और मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से की जाती है। कलश हटाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने से मां दुर्गा अपने भक्तो से कभी नही रुठती।
 

Haryana Update: भारतीय संस्कृति के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन मूर्ति स्थापना के दौरान कलश के ऊपर नारियल रखा जाता है वह नारियल लगातार नौ दिनो तक वही रखा रहता है। और उसकी पूजा की जाती है। अब मन मे प्रश्न उठता है कि नवरात्रि के बाद कलश के ऊपर रखे नारियल या प्रतिमा के पास रखे नारियल का प्रयोग कैसे किया जाए। जिससे माता रानी खुश होकर अपना आर्शीवाद सभी भक्तो को प्रदान करें। 

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जानिए नारियल का महत्व 
जैसा की हम सभी जानते है कि नवरात्रि की शुरुआत कलश स्थापना और मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से की जाती है। कलश स्थापना के दौरान उसके ऊपर नारियल रखा जाता है। कलश हटाते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखने से मां दुर्गा अपने भक्तो से कभी नही रुठती। और उसका फल भी हमें पूर्ण रुप से प्रदान कर देती है। 

जानिए कलश पर रखे नारियल की महिमा
1.नवरात्रि के बाद कलश पर रखे नारियल को लाल कपड़े में बांधकर पूजा-घर में रखने से माता रानी पूरा साल हमें धन-वैभव का आशीर्वाद देती हैं।
2.नारियल को घर के मुख्य दरवाजे पर सुख शांति के लिए लाल कपड़े में लपेट कर बांध दें। फिर अगली नवरात्रि के बाद पहले से बंधे नारियल को नदी में प्रवाहित कर दें। एसा करने से पूरा साल माता रानी की कृपा आपके उपर बनी रहेगी।
3. व्यापारी लोगो अगर व्यापार के स्थान पर उस नारियल को रखते  हैं तो उनके व्यापार में दिन दौगुनी रात चौगुनी तरक्की हो जाएगी।
4. कलश हटाने के बाद नारियल का प्रसाद कन्या पूजन  के समय घर के सदस्यों में बांट भी सकते हैं।

जानिए चावल का महत्व
घट स्थापना के दौरान कलश के नीचे  रखे चावलों को नवरात्रि के आखिरी दिन घर के हर कोने में रखना चाहिए। ऐसा करने से  घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है।

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 जानिए कलश मे रखे जल का महत्व 
कलाश हटाने के बाद उसके जल को घर में सभी जगह, घर के सभी सदस्यों पर, व्यापार के स्थान पर ,खेतों में उस जल का छिड़काव करने से सब जगह सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके अलावा हमें नवरात्रि समाप्त होने के बाद पूजा-पाठ की सामग्री को नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए, ताकि हमे किसी भी प्रकार का दोष ना लग सके और पूजा का संपूर्ण फल हमें प्राप्त हो जाए