Oral Health: लगभग हर व्यक्ति ओरल हेल्थ की समस्या का शिकार है, जानिए कारण और लक्षण 

ओरल हेल्थ यानी आपके मुंह के अंदर के स्वास्थ्य को लेकर आपने बहुत कुछ सुना होगा. लेकिन इतना जरूर समझ लें कि दिन में दो बार ब्रश करने भर से ही आप अपनी ओरल हेल्थ सुनिश्चित नहीं कर सकते है. ओरल हेल्थ सिर्फ ब्रश करने से कहीं आगे की बात है.
 

ओरल हेल्थ यानी आपके मुंह के अंदर के स्वास्थ्य को लेकर आपने बहुत कुछ सुना होगा. लेकिन इतना जरूर समझ लें कि दिन में दो बार ब्रश करने भर से ही आप अपनी ओरल हेल्थ सुनिश्चित नहीं कर सकते है.

अगर आप मान लेते हैं कि सुबह और शाम दो बार ब्रश कर लिया तो आप ओरल हेल्थ के प्रति बहुत ही सजग हैं. तो समझ लें कि यह बिल्कुल वैसे ही है, जैसे सर्दियों में नहाए हुए व्यक्ति को छू लेने भर से मान लेना कि आपने नहा लिया है. ओरल हेल्थ सिर्फ ब्रश करने से कहीं आगे की बात है.

यह भी पढ़े: RAGI: अगर आप नहीं होना चाहते कैंसर का शिकार, आज से ही करे इसका इस्तेमाल

तो ओरल हेल्थ में किसकी बात होती है?

ये प्रश्न आपको स्वयं से भी पूछना चाहिए कि ओरल हेल्थ में ब्रश करने के अलावा और क्या-क्या आ सकता है. इसमें निश्चित तौर पर आपके दांत तो आते ही हैं, जिनसे आप खाने, काटने के सभी कार्य करते हैं और ब्रश करके इन्हें सुरक्षित रखने की कोशिश भी करते हैं. इसके अलावा मुंह से जुड़े सभी कार्य ओरल हेल्थ के दायरे में आते हैं. इसमें आपकी सांसों की ताजगी, बोलने की क्षमता और जीफ की देखरेख, मसूड़े आदि सब कुछ शामिल हैं. ओरल हेल्थ आपके सेल्फ कॉन्फिडेंस के लिए भी बहुत जरूरी है, क्योंकि अगर आपकी सांसों से दुर्गंध आ रही है तो यह किसी को भी आपसे दूर कर सकती है. अगर आपके दांत टेढ़े-मेढ़े हैं तो आपको समाज में हंसने में भी शर्म आने लगती है. अगर दांत सड़ गए हैं या गिर गए हैं तो आप ठीक से खाना नहीं खा पाते हैं, जिसका असर आपकी ओवरऑल हेल्थ पर भी पढ़ता है. दांत एक प्राकृतिक बाड़ की तरह काम करते हैं, दांत न होने पर राल टपकने की समस्या होती है. इसलिए ओरल हेल्थ अपने आप में बहुत बड़ा विषय है और इसे कतई हल्के में नहीं लिया जा सकता.

ओरल डिजीज क्या होती हैं?

ओरल हेल्थ की बात हो रही है तो कुछ ऐसी बीमारियां भी होंगी जो ओरल हेल्थ को बिगाड़ सकती हैं. इसमें दातों में कैविटी, मसूड़ों से जुड़ी बीमारी, दांत गिरना, ओरल कैंसर, ओरो-डेंटल ट्रॉमा, नोमा और फटे होंट (Cleft Lip) जैसे बर्थ डिफेक्ट भी शामिल होते हैं. ज्ञात हो कि ओरल डिजीज दुनियाभर में सबसे ज्यादा फैलने वाली गैर संक्रामक (Noncommunicable) डिजीज हैं. यानी दुनियाभर में लगभग 3.5 अरब लोग ओरल डिजीज से पीड़ित हैं. दुनियाभर में ओरल हेल्थ से जुड़ी दिक्कतें लगातार बढ़ रही हैं, खासतौर पर मिडल इनकम देशों में. गरीब और गरीबी से निकलने की कोशिशें करने वाले देशों में ओरल हेल्थ के मामले बढ़ने की आशंका है, क्योंकि इन देशों में जनसंख्या भी लगातार बढ़ रही है.

चिंताजनक यह है कि ओरल हेल्थ से जुड़ी परेशानियां सबसे ज्यादा ऐसे लोगों को होती हैं, जिनको सुविधाएं नहीं मिलती हैं, जो गरीब हैं. दुनियाभर में ओरल हेल्थ से पीड़ित लोगों को देखें तो इसमें अधिकतर लोग वे हैं, जिनकी आय बहुत कम है, सामाजिक स्तर पर भी वह पिछड़े हुए हैं. यह स्थिति बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर स्तर पर है.

यह भी पढ़े: SOMVAR KE UPAY: भगवान शिव को नहीं करना चाहतें नाराज तो भूल कर भी ना करे ये काम

ओरल डिजीज के कारण और लक्षण

ज्यादातर ओरल डिजीज ऐसी हैं, जिनके साथ कुछ ऐसी गैर संक्रामक रोग हो सकते हैं, जिन्हें टाला भी जा सकता है. इनमें डायबिटीज, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, कैंसर, क्रोनिक रेस्पिरेटरी डिजीज और मेंटर डिसऑर्डर शामिल हैं. बात करें ओरल डिजीज के कारण और रिस्क फैक्टरों की तो इनमें शामिल हैं तंबाकू का सेवन, शराब का सेवन और मीठे का अत्यधिक सेवन. ओरल हेल्थ और आपकी जनरल हेल्थ के बीच भी संबंध है. उदाहरण के लिए डायबिटीज का डेवलपमेंट और प्रोग्रेस पेरियोडोटाइटिस से जुड़ा है. इसके साथ ही ज्यादा मीठा खाने का डायबिटीज, मोटापे और दांतों की कैविटी के बीच भी संबंध है.

जब कभी भी किसी बीमारी या चोट की वजह से ओरल हेल्थ से जुड़ी दिक्कत होती है तो इसका असर आपकी ओवरऑल हेल्थ पर भी पड़ता है. ओरल हेल्थ से जुड़ी परेशानी, जैसे दांत या मसूड़ों में दर्द की वजह से व्यक्ति को अपने किसी भी काम में कॉन्सनट्रेट करने में दिक्कत होती है. इसकी वजह से लोगों को अपने स्कूल या दफ्तर से छुट्टी लेनी पड़ सकती है. यह एक छोटे से समय के लिए सामाजिक दूरी का कारण भी बन सकता है. ओरल डिजीज का व्यक्ति और परिवार पर सामाजिक व आर्थिक प्रभाव पड़ता है. घर के खर्च के साथ इलाज का खर्च बढ़ जाता है, जिससे अन्य खर्चों में कटौती करनी पड़ सकती है.