Russia Ukraine war will loosen the pockets of Indians
भारतीयों की जेब ढीली करेगा रूस यूक्रेन युद्ध…
Russia Ukraine: रूस और यूक्रेन के बीच छिडी भीषण जंग थमने का नाम नहीं ले रही। ऐसे मे रूस पर अमेरिका समेत कई देशो ने कड़े प्रतिबंध लगा दिये गए है, कई देशो ने रूस से अपने रिश्ते खतम कर दिये है और आयात निर्यात पर रोक लगा दी है।
बता दे की रूस और यूक्रेन(Russia Ukraine War) के बीच छिड़े युद्ध को 15 दिन से ज्यादा हो चुके है कोई भी देश झुकने के लिए तैयार नहीं है । इस युद्ध का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड रहा है, भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता। इस युद्ध का सीधा असर लोगो की जेब पर पड़ रहा है । युद्ध के बीच मे जरूरती समान की आपूर्ति ने तमाम चीजों के दाम बढ़ा दिये है । भारत में चाहे वो निर्माण से जुड़ी सामग्री हो या खाद्य सामग्री, सबके दाम इस युद्ध के कारण बढ़ रहे हैं।
युद्ध का सर्वाधिक असर कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों पर पड़ा है। कच्चा तेल की आसमान छूती कीमत का असर अब घरेलू बाजार पर सबसे अधिक दिखने लगा है। इन तमाम आर्थिक दुश्वारियों को देखकर भारतीय रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों को बढ़ाने का दबाव बढ़ जाता है, जिससे वाहन क्षेत्र और आवास क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
जनवरी में खुदरा महंगाई आरबीआई लक्ष्य से कहीं अधिक बढ़ी हुई थी। इस युद्ध ने स्थिति को और अधिक गंभीर कर दिया है।
Read This:Breaking News : India took this big decision amid Russia Ukraine war
जंग के कारण कच्चे तेल, प्राकृतिक गैस, कोयले, निकेल, तांबे, एल्यूमिनीयम, टाइटेनियम और पैलेडियम सबके दाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ गये हैं। भारत इनका बहुत बड़ा आयातक है। इसके अलावा पोटाश और प्राकृतिक गैस की कीमतों में तेजी से उर्वरक के दाम भी बढ़ जायेंगे, जिसका सीधा प्रभाव भारतीय बाजार पर दिखेगा।
कोयले और निकेल के दाम में तेजी से स्टील और सीमेंट के भाव बढ़गे, जिससे आम लोगों की जेब अधिक ढीली होगी। भारत में सबसे बड़ी चिंता पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आने वाली तूफानी तेजी की संभावना को लेकर है।
कच्चे तेल के आसमान छूते दाम जल्द ही घरेलू स्तर पर पेट्रोल और डीजल के दामों में भी आग लगा देंगे, जिससे परिवहन लागत बढ़ जायेगी। इस बढ़ी लागत की वसूली अंत में उत्पादक ग्राहकों से ही करेंगे। हालांकि सरकार उत्पाद शुल्क में कटौती करके पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर थोड़ा लगाम लगा पायेगी लेकिन यह कोई बड़ी राहत नहीं दे सकते हैं।
औद्योगिक विश्लेषकों की मानें तो कच्चे तेल की कीमतों में 10 प्रतिशत की तेजी खुदरा महंगाई दर में करीब 10 आधार अंकों की बढ़ोतरी कर सकती है।
एम्के ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की प्रमुख अर्थशास्त्री मधवी का कहना है कि वित्तवर्ष 23 में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के साढे चार प्रतिशत के अनुमान से 120 आधार अंक अधिक हो सकती है।
एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च की मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी के अनुसार, अगर कच्चे तेल के दाम ज्यादा समय तक 100 डॉलर प्रति बैरल के उपर बने रहते हैं तो वित्त वर्ष 23 में खुदरा महंगाई दर के औसतन छह प्रतिशत रहने का अनुमान है।