National Child Health program: दिल में छेद, पीठ में फोड़ा सहित बच्चों की 44 बीमारियों का होगा निश्शुल्क इलाज

Internet Desk: रमाकान्त शर्मा ने बताया कि यदि किसी बच्चे को कोई जन्मजात विकृति या अन्य बीमारी है तो अपने क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता को जानकारी दें।
 

Haryana Update:  (Hole in heart, boil on back, chapped lips, crooked legs) दिल में छेद, पीठ पर फोड़ा, कटे हुए होठ, टेढ़े-मेढ़े पैर के साथ ही टीबी सहित 44 बीमारियों का (National Child Health Program) राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के निश्शुल्क इलाज होगा।

 

 

यह सुविधा नवजात से 19 वर्ष के बच्चों के लिए है

आरबीएसके मैनेजर रमाकान्त शर्मा ने बताया कि योजना के तहत 19 वर्ष तक के बच्चों का जन्मजात रोगों सहित अन्य बीमारी का निश्शुल्क इलाज किया जाता है। अभी तक दिल में छेद, पीठ पर फोड़ा, कटे हुए होठ, टेढ़े मेढ़े पैर होना, जन्मजात मोतियाबिंद या फिर जन्म से सुनने या बोलने की शक्ति न होने आदि का निश्शुल्क इलाज किया जाता था। अब इसमें (TB, Lung TB, Vitamin B Complex Deficiency, Microcephaly, Macrocephaly, Laprosy) टीबी, फेंफड़ों की टीबी, विटामिन बी कॉम्प्लेक्स डिफिशिएंसी, माइक्रोसिफेली, मैक्रोसिफेली, लैप्रोसी का भी इलाज हो सकेगा। अब कुल 44 प्रकार की बीमारियों का उपचार हो सकेगा।

कटा होठ हुआ ठीक

(Tulsi Das) तुलसी दास का होंठ जन्म से ही कटा हुआ था। परिवार के लोग इसे देखकर परेशान हो गए कि बच्चे को अब जीवनभर परेशानी होगी। मां सुनीता तो अपने बेटे के होंठ को देखकर हमेशा परेशान रहती थीं। अचानक से बच्चे के वैक्सीन लगाने आई टीम ने उन्हें राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम(आरबीएसके) के बारे में बताया और बच्चे का मुफ्त में ही आपरेशन हो गया। अब पांच महीने का तुलसीदास आम बच्चों की तरह स्माइल करता है। रमाकान्त शर्मा ने बताया कि इसी तरह से (Akola Village Naumil) अकोला ग्राम नौमील (Resident Gopal Singh) निवासी गोपाल सिंह के नौ माह की बेटी जैन्या के दिल में छेद था। उनका इस योजना के तहत अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी डीईआईसी विभाग में सर्जरी की गई। अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है।

क्षेत्रीय आशा को बताएं

रमाकान्त शर्मा ने बताया कि यदि किसी बच्चे को कोई जन्मजात विकृति या अन्य बीमारी है तो अपने क्षेत्र की (ASHA worker) आशा कार्यकर्ता को जानकारी दें। बच्चे की जांच की जाएगी। यदि बच्चे को परेशानी होगी तो उसे हायर सेंटर में रेफर किया जाएगा और बीमारी का उपचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि (RBSK) आरबीएसके की टीम भी स्कूलों और ऑंगनवाड़ी केन्द्रों में जाकर और अन्य स्थानों पर सर्वे करके ऐसे बच्चों का डाटा जुटाएगी, जो पहले उपचार नहीं करवा पाए। उनकी जांच कराकर ऐसे बच्चों का उपचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरबीएसके योजना के तहत 2019 से 2022 तक कुल 42 बच्चों की सर्जरी की जा चुकी है। इनमें किसी के दिल में छेद था तो किसी की पीठ पर जन्म से फोड़ा था।

की जाती है स्क्रीनिंग

(Ramakant Sharma) रमाकान्त शर्मा बताते हैं कि योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में बच्चों के जन्म के समय ही उनकी स्क्रीनिंग की जाती है। इसके साथ ही आशा कार्यकर्ता बच्चे के घर जाकर सात बार बच्चे की स्क्रीनिंग करती है। यदि बच्चे में जन्म से 19 वर्ष तक कोई परेशानी हो तो उसका उपचार किया जाता है।

इन बीमारियों को आरबीएसके में जोड़ा गया

टीबी

फेंफड़ों की टीबी

विटामिन बी कॉम्पलेक्स डिफिशिएंसी

माइक्रोसिफेली

मैक्रोसिफेली

लैप्रोसी

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