Ganesh Chaturthi: आखिर भगवान गणेश को क्यों पसंद है दूर्वा घास, जानिए
Haryana Update. Bhadrapada Month Ganesh Chaturthi: सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी का खास महत्व है. इस दिन भक्त भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए विशेष-पूजा अर्चना करते हैं. भक्तों से प्रसन्न होने पर गजानन विशेष कृपा भी बरसाते हैं.
हालांकि, कई लोग नियमों के मुताबिक, पूजा नहीं करते, जिस वजह से उनको पूजा का फल नहीं मिल पाता है. गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) पर भगवान गणपति (Lord Ganpati) को दो-दो के जोड़े में दूर्वा अर्पित (Durva Offering Rules) करना शुभ माना जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि भगवान गणपित की पूजा में दूर्वा इतना क्यों खास होता है.
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अनलासुर ने मचाया था हाहाकार
अक्सर आपने देखा होगा कि गणपित की पूजा के समय में, उन्हें दूर्वा जरूर चढ़ाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गजानन को दूर्वा चढ़ाने के पीछे एक खास वजह है. इसको लेकर एक पौराणिक कथा भी है. माना जाता है कि अनलासुर नाम के एक असुर ने हर जगह हाहाकार मचा रखा था. उसके अत्याचारों से इंसान से लेकर देवता तक परेशान थे.
असुर को निगला जिंदा
ऐसे में एक दिन सभी परेशान देवता भगवान गणेश के पास गए और उन्होंने अनलासुर से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की. देवताओं की प्रार्थना सुन भगवान गणपित असुर को उसके कर्मों की सजा दिलाने के लिए निकल पड़े. उन्होंने अनलासुर को जिंदा ही निगल लिया.
दूर्वा से भगवान गणेश को मिली राहत
अनलासुर को तो गणपित बप्पा ने निगल लिया, लेकिन उनके पेट में पीड़ा और जलन होने लगी. ऐसे में ऋषि कश्यप ने 21 दूर्वा की गांठ बनाकर भगवान गणेश को खाने की सलाह दी. दूर्वा खाने के तुरंत बाद भगवान गणेश के पेट की पीड़ा और जलन शांत हो गई.
दूर्वा से गणपति होते हैं प्रसन्न
मान्यता है कि तब से उनको दूर्वा काफी भाने लगी और उनकी पूजा के समय 21 दूर्वा की गांठ अर्पित की जाने लगी. ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनका आशीर्वाद मिलता है.
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ऐसे चढ़ाएं दूर्वा
भक्त भगवान गणेश को दूर्गा तो चढ़ा लेते हैं, लेकिन उसके नियम नहीं पता होते. ऐसे में पूजा का पूरा फल नहीं मिल पाता. भगवान को चढ़ाई जाने वाली दूर्वा मंदिर या साफ जगह पर उगी होनी चाहिए. इसके बाद उसे साफ पानी में धोकर गंगाजल से अभिषिक्त कर लेना चाहिए. भगवान गणेश को दूर्वा घास के 21 जोड़े चढ़ाने चाहिए.