Janmashtami 2022: आज भी मौजूद इस गावं में श्री कृष्ण की चरणों के निशान,क्या है84 कोस की परिक्रमा

Janmashtami 2022: The footprints of Shri Krishna in this village still present today,What is the circumambulation of 84 kos
 

Haryana Update: राजस्थान (Rajashthan) के भरतपुर जिले के कामां क्षेत्र (Kaman area of ​​Bharatpur district) में भगवान श्री कृष्ण (Lord Shri Krishna) की चरणों के निशान आज भी मौजूद हैं। इसलिए यहां की एक पहाड़ी को चरण पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि जब रासलीला (Raslila) के दौरान भगवान श्री कृष्णा गोपिकाओं (Lord Shri Krishna Gopikas) से छुप गए तो एक जगह पर खड़े होकर बंसी बजाने लगे।

 

उसी जगह पर पहाड़ी पर उनके चरणों के निशान पड़ गए। इसी स्थान को चरण पहाड़ी के नाम से जाना जाने लगा। ब्रज 84 कोस में डीग क्षेत्र में स्थित केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham) के महंत बाबा सुखदास (Mahant Baba Sukhdas) के मुताबिक नंद बाबा और यशोदा माता (Nand Baba and Yashoda Mata) को 80 वर्ष की उम्र में भगवान श्री कृष्ण के रूप में संतान का सुख मिला। जब भगवान श्री कृष्ण 3 वर्ष के हो गए तो उनकी लीलाएं शुरू हो गई।  गोपाष्टमी (gopashtami) के दिन भगवान श्री कृष्ण ने गाय चराना शुरू किया। एक दिन जब भगवान श्री कृष्ण गाय चरा कर घर लौटे तो मिट्टी से लथपथ उनकी मनमोहक छवि देख कर नंद बाबा और यशोदा माता ने चार धाम करने की इच्छा जाहिर की।

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भरतपुर का पूरा ब्रज क्षेत्र भगवान श्री कृष्ण की लीला स्थली (The entire Braj region of Bharatpur is the place of Lord Krishna's Leela)के रूप में पहचाना जाता है। लेकिन ब्रज क्षेत्र की 84 कोसीय परिक्रमा (करीब 268 किमी क्षेत्र) को भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली, रासलीला और चारों धामों (The birthplace of Lord Shri Krishna, Rasleela and the four Dhams) को प्रकट करने की कथाओं के रूप में विशेष रूप से जाना जाता है। बाबा सुखदास (Baba Sukhdas) ने बताया कि जब भगवान श्री कृष्ण ने चारों धामों को प्रकट कर दिया, तो ब्रज के सभी लोग चारों धाम के दर्शन करने के लिए एकत्रित हो गए।  देवताओं को भी ब्रज में चारों धामों के प्रकट होने की जानकारी मिली तो 33 कोटि देवी-देवता मानव रूप धारण कर ब्रज पहुंच गए और चारों धामों के दर्शन किए।  बाबा सुखदास ने बताया कि भगवान श्री कृष्ण ने योगमाया से सभी श्रद्धालुओं को ऐसा महसूस करा दिया कि मानो वो उत्तराखंड में स्थित चारों धामों की यात्रा कर रहे हैं।  जो व्यक्ति उत्तराखंड नहीं जा पाते वो बृज के गंगोत्री, यमुनोत्री, आदिबद्री धाम और केदारनाथ तीर्थ स्थलों पर पहुंचकर चारों धामों की यात्रा का पुण्य कमा सकते हैं। 

The circumambulation of the fourteenth Kos of Braj is the witness of Shri Krishna's Leelasthali

वेद, पुराण और धार्मिक ग्रंथों में भी ब्रज की चौरासी कोस की परिक्रमा का बड़ा महत्व बताया गया है। इस परिक्रमा के संबंध में वाराह पुराण में बताया गया है कि पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं। इस वजह से भी पूरे ब्रज क्षेत्र और चौरासी कोस की परिक्रमा का धार्मिक महत्व काफी बढ़ जाता है।






 


 

What is in 84 Kosi Parikrama:

असल में ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा राजस्थान के साथ ही उत्तर प्रदेश के मथुरा और हरियाणा के होडल जिले के गांव से होकर गुजरती है। बताया जाता है कि इस परिक्रमा मार्ग के आसपास कुल करीब 1300 गांव पड़ते हैं। पूरा चौरासी कोस परिक्रमा मार्ग करीब 268 किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। इस परिक्रमा मार्ग और क्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए 1100 तालाब, सरोवर, वन, उपवन और पहाड़ हैं। ये सभी भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली के गवाह हैं। परिक्रमा मार्ग में यमुना नदी, तमाम मंदिर भी पड़ते हैं, जिनमें श्रद्धालु दर्शन करते हुए परिक्रमा देते हुए निकलते हैं।

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नंद बाबा और माता यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण से चार धाम की यात्रा (Nand Baba and Mother Yashoda traveled to Char Dham from Lord Krishna) पर जाने के लिए कहा। इस पर भगवान श्री कृष्ण ने माता-पिता की बुजुर्ग अवस्था को देखकर कहा कि मैं चारों धामों को यहीं पर बुला देता हूं। इसके बाद भगवान श्री कृष्ण के आह्वान और योगमाया से 5000 वर्ष पूर्व गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ, बद्रीनाथ, लक्ष्मण झूला और हरि की पौड़ी आदि ब्रज क्षेत्र में ही प्रकट हो गए। मान्यता है कि जो व्यक्ति 84 कोस की परिक्रमा लगा लेता है उसे 84 लाख योनियों से छुटकारा मिल जाता है।  शास्त्रों में बताया गया है कि 84 कोस की परिक्रमा करने वालों को अश्वमेध यज्ञ का फल भी मिलता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।