Mantra : हिन्दू देवी देवताओं के कुछ सिद्ध मंत्र, जिनको नित्य जपना चाहिए

Haryanaupdate News: आज हम आपको कुछ ऐसे सिद्ध मंत्रों को बताने वाले है, जिसे हर मनुष्य को नित्य जपना चाहिए...
 

आचमन मंत्र

ॐ केशवाये नमः  माधवाय नमः  ॐ नारायणाय नमः  फिर से हाथ से जल लेकर छींटा दे।

नवग्रह शांति मंत्र

ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च।

गुरुश्च शुक्र: शनि- राहु केतु सर्वे ग्रहा शांति करो भवंतु॥

मांगलिक श्लोक

मंगलम भगवान विष्णु मंगलम गरुड़ ध्वज:।

मंगलम पुंडरीकाक्ष: मंगलाय तनो हरि:॥

देवी पूजन

सर्व मंगल मंगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।

शरणये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते॥

श्री विष्णु मंत्र

ॐ विष्णवे नमः  ॐ नमो भगवते वासुदेवाय  ॐ नमो नारायणाय

महामारी नाश के लिए-

ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते॥

तुलसी पूजन का मंत्र

ॐ महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी।

आधी व्याधिहरा नित्य तुलसी तुभ्यं नमोस्तुते॥

पीपल पूजन का मंत्र

ॐ मूलतो ब्रह्मरूपा मध्य विष्णुरूपिणे।

अग्रतों शिवरुपाय पिप्पलाये नमो नमः॥

गणेश मंत्र

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।

निर्विघन कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा

श्री लक्ष्मी वंदना

महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं सुरेश्वरी।

हरिप्रिये नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं दयानिधे

परिक्रमा मंत्र

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

वासुदेवाय कृष्णदेवाय, वासुदेवाय कृष्णदेवाय

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

प्रातः स्मरण

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमूले सरस्वती:।

मरमध्ये बसते गोविंद: प्रभाते कर दर्शनम्॥

श्री सरस्वती जी के मंत्र

सरस्वती महाभागे, विद्ये कमल लोचने।

विश्वरूप विशालाक्षी, विद्या देहि नमोस्तुते॥

सरस्वती महादृष्टा वीणा पुस्तक धारिणी।

हंस वाहिनी सिद्धारूढ़ा विद्या दान करो तु-मे॥

चमत्कारी हनुमान मंत्र

घोर संकट के समय साधक को इस मंत्र का जाप 6अथवा 28 या 108 बार 40 दिन तक नियम पूर्वक करने से सभी कष्टों का निवारण होता है और कार्य सिद्धि होती है।

ओम ऐं ह्री श्री नमो भगवते हनुमते, मम कार्येषु ज्वल ज्वल प्रज्वल।

असाध्यम साधय साधय माम रक्ष सर्व दुष्टेभ्यों हूं फट स्वाहा॥

जय जय जय हनुमान की, जय जय कृपा निधान की, जय जय श्री रघुनाथ की, जय जय सीता राम की।

श्री हनुमान गायत्री मंत्र

ॐ अंजनी सुताय विद्महे, वायुपूत्राये धीमहि तन्नो मारुति प्रचोदयात्॥

कष्ट निवारण मंत्र

ॐ जूं स: माम रक्ष रक्ष स: जूं ॐ

सूर्य को नमस्कार करने का मंत्र

ॐ जन्मांतर सहस्त्रेषू दारिद्रय नोपजायते।

आदितयाये नमस्कार ये कुर्वन्न्ति दिने दिने ॥

पृथ्वी से क्षमा प्रार्थना

प्रातः काल उठने पर उसका स्पर्श कर पृथ्वी से क्षमा मांगे और यह श्लोक पढ़े-

समुद्रवसने देवी पर्वतस्तन मंडले।

विष्णु पत्नी नमस्तुभयम पादस्पर्श क्षमस्व में॥

विष्णु पत्नी पृथ्वी माता! समुद्र तुम्हारे वस्त्र हिमालय पर्वत वह तुम्हारे स्तन है, मैं तुम्हें नमस्कार करता हूं। मैं आपका स्पर्श पैरों से कर रहा हूं, इसलिए मुझे क्षमा प्रदान करें।

यमराज जी का कथन

यमराज ने अपने दूतों को बारंबार चेतावनी दी है कि जो मनुष्य गोविंद, माधव, मुकुंद, हरे मुरारे, शंभू, शिव, ईश, चंद्रशेखर, शूलपाणि, दामोदर, जनार्दन, वासुदेव इत्यादि नामों का उच्चारण करते हैं उनको दूर से ही त्याग देना।

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