Mysterious Temple: इस मंदिर को माना जाता है चमत्कारी, हर 20 साल बाद यहां होता है कुछ ऐसा..

Latest News: प्रकृति खुद में अनगिनत रहस्यों को समाए हुए हैं, जिनमें से कुछ रहस्यों के बारे में ही इंसान जान पाया है. दुनियाभर के तमाम वैज्ञानिक भी इन रहस्यों से आज तक पर्दा नहीं उठा पाए हैं.
 

Haryana Update: आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे कलयुग की समाप्ति से जुड़ा हुआ माना जाता है. ये रहस्य एक मंदिर से जुड़ा हुआ है. जिसमें नंदी महाराज की मूर्ति विराजमान है. आंध्र प्रदेश के कुरनूल जिले में यागंती उमा महेश्वर नाम का एक मंदिर है. जो हमारे देश की ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है. यह मंदिर जितना अद्भुत है, वह अपने आप में उतने ही रहस्य समेटे हुए है. इस मंदिर में मौजूद नंदी महाराज की प्रतिमा लगातार रहस्यमय तरीके से विशालकाय होती जा रही है.

 

 

 

एक दिन जीवित हो जाएंगे नंदी?

यागंती मंदिर में मौजूद नंदी महाराज की प्रतिमा को लेकर ऐसी मान्यता है कि एक दिन ऐसा आएगा जब नंदी महाराज जीवित हो उठेंगे, उनके जीवित होते ही इस संसार में महाप्रलय आ जाएगी और इस कलयुग का अंत हो जाएगा.

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20 साल में 1 इंच बढ़ती है नंदी महाराज की मूर्ति

ऐसा कहा जाता है कि इस यागंती उमा महेश्वर मंदिर में स्थापित नंदी महाराज की प्रतिमा का आकार हर 20 साल में करीब एक इंच बढ़ जाती है. इस रहस्य से पर्दा उठाने के पुरातत्व विभाग की ओर से शोध भी किया गया था. इस शोध के मुताबिक कहा जा रहा था कि इस मूर्ति को बनाने में जिस पत्थर का इस्तेमाल किया गया था उस पत्थर की प्रकृति बढऩे वाली है. इसी वजह से मूर्ति का आकार बढ़ रहा है.

 

परिक्रमा नहीं कर पाते भक्त

कहा जाता है कि यागंती उमा महेश्वर मंदिर में आने वाले भक्त पहले नंदी महाराज की परिक्रमा आसानी से कर लेते थे लेकिन प्रतिमा के लगातार बढ़ते आकार के चलते अब यहां परिक्रमा करना संभव नहीं है. विशाल होते नंदी को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने वहां से एक पिलर को भी हटा दिया है.

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ये है मंदिर का इतिहास

बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में किया गया था. संगमा राजवंश राजा हरिहर बुक्का ने इस मंदिर को बनवाया था. कहा जाता है ऋषि अगस्त्य इस स्थान पर भगवान वेंकटेश्वर का मंदिर बनाना चाहते थे पर मंदिर में मूर्ति की स्थापना के समय मूर्ति के पैर के अंगूठे का नाखून टूट गया. इस घटना की वजह जानने के लिए अगस्त्य ने भगवान शिव की तपस्या की. उसके बाद भगवान शिव के आशीर्वाद से अगस्त्य ऋषि ने उमा महेश्वर और नंदी की स्थापना की थी.