Pithori Amavasya 2022: कब है पिठोरी अमावस्या? जानिए विशेष महत्व

Pithori Amavasya 2022 Vrat Puja Importance: हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रत्येक माह में अमावस्या तिथि पड़ती है, जिसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
 

Haryana Update:Pithori Amavasya: पिठोरी अमावस्या विशेष महत्व भी होता है। भाद्रपद माह में पड़ने वाली अमावस्या को (Pithori Amavasya 2022) पिठोरी अमावस्या कहा जाता है। इस साल पिठौरी अमावस्या 27 अगस्त 2022, दिन सोमवार को मनाई जाएगी। इस अमावस्या पर पितृ तर्पण आदि धार्मिक कार्यों में कुश का प्रयोग किया जाता है, इसलिए इसे कुश अमावस्या भी कहा जाता है।

 

 

 

 

Freedom from the troubles caused by Pitra Dosha

इस अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष से होने वाली परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन मां दुर्गा की भी पूजा करने का प्रावधान है। इस दिन महिलाएं मां दुर्गा की उपासना करती हैं और अपने पुत्रों की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। चलिए जानते हैं पिठोरी अमावस्या व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में...

 
related news

worship method
पिठोरी अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। सूर्य देव को अर्घ्य दें। पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें। भगवान विष्णु और महादेव की विधि-विधान से पूजन अर्चन के साथ दान पुण्य करें।

 
 

Significance of Pithori Amavasya
मान्यताओं के अनुसार, पिठोरी अमावस्या का व्रत करने से निसंतानों को संतान रत्न की प्राप्ति होती है। जो माताएं इस व्रत को करती हैं उन्हें संतान की दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन मां दुर्गा सहित 64 देवियों की आटे से मूर्तियां बनाते हैं। महिलाएं इस दिन आटे से बनी देवियों की पूजा-अर्चना करती हैं और व्रत रखती हैं।

  related news
 

पिठोरी अमावस्या के दिन दान, तप और स्नान का विशेष महत्व है। स्नान के बाद पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान किए जाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  
 

धार्मिक मान्यता है कि पिठोरी अमावस्या का व्रत और पूजन केवल सुहागिन महिलाएं ही कर सकती हैं। कुंवारी कन्याओं को इस दिन व्रत नहीं रखना चाहिए।