Chaitra Navratri : क्यों नयना देवी मंदिर देश-दुनिया में है प्रसिद्ध? जानिए मंदिर के पीछे की मान्यताएं

पुराणों में वर्णन है कि अत्रि, पुलस्त्य व पुलह ऋषियों ने इस घाटी में तपस्या कर तपोबल से मानसरोवर झील का पानी खींचा, इसलिए नैनी झील का पानी पवित्र माना गया है. झील किनारे मां नयना देवी मंदिर है.
 

Chaitra Navratri 2023: सरोवर नगरी स्थित नयना देवी मंदिर देश-दुनिया में प्रसिद्ध है. शहर में बस स्टेशन से मात्र दो किलोमीटर दूर झील किनारे स्थित मंदिर के पीछे मान्यताएं जुड़ी हैं. इस मंदिर को भारत के 51 शक्तिपीठों में एक माना जाता है. मान्यता है कि देवी मां हर भक्त की मुंहमांगी मुराद पूरी करती हैं.
 

जानिए मंदिर के पीछे मान्यताएं

धार्मिक मान्यता
पुराणों में वर्णन है कि अत्रि, पुलस्त्य व पुलह ऋषियों ने इस घाटी में तपस्या कर तपोबल से मानसरोवर झील का पानी खींचा, इसलिए नैनी झील का पानी पवित्र माना गया है. झील किनारे मां नयना देवी मंदिर है.

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पुराणों के अनुसार देवी सती के पिता दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार में विशाल यज्ञ का आयोजन किया और भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया तो नाराज होकर देवी सती ने अगले जनम में शिव की पत्नी की कामना के साथ यज्ञ कुंड में अपने प्राणों का उत्सर्ग कर दिया.
महादेवी सती के शरीर के अंश जहां-जहां गिरे, कालांतर में शक्तिपीठ बन गए. बताया जाता है कि नैनीताल में देवी सती की बांयी आंख गिरी, जो रमणीक सरोवर में बदल

ऐतिहासिक महत्व
19वीं शताब्दी में नैनीताल की खोज के बाद स्थानीय निवासी मोतीराम साह ने सरोवर किनारे मां नयना देवी मंदिर बनाया. यह मंदिर पहले बोट हाउस क्लब तथा कैपिटोल सिनेमा के मध्य स्थित था.

1880 के विनाशकारी भूस्खलन में यह मंदिर नष्ट हो गया.
बताया जाता है कि मां नयना देवी ने मोती राम साह के पुत्र अमरनाथ साह को स्वप्न में उस स्थान का पता बताया, जहां मूर्ति दबी थी. साह ने अपने बंधु-बांधवों के साथ देवी की मूर्ति खोज कर नए सिरे से मंदिर का निर्माण कराया.

वर्तमान मंदिर 1883 में बनकर पूरा हुआ. 21 जुलाई 1996 को अमरनाथ साह की मृत्यु के बाद उनके पुत्र उदयनाथ व प्रपोत्र राजेंद्र साह मंदिर की देखरेख करते रहे.

चुनरी बांधने का है महत्व
मुख्य मंदिर में मां की मूर्ति स्थापित है जबकि मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर, राधा-कृष्ण मंदिर, नवग्रह मंदिर व बाराहवतार मंदिर है. परिसर में शिव लिंग भी स्थापित है. यहां आने वाले भक्त मन्नत के लिए चुनरी बांधते हैं, नारियल चढ़ाते हैं. मंदिर के आस-पास विशालकाय पेड़ों का नजारा मनमोहक है.

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नवरात्र के अलावा अन्य दिनों में भी रोजाना देवी पूजन होता है जबकि नवरात्र में हवन, सुंदरकांड पाठ होता है. नवरात्र में उपवास रखने वाले भक्तजन तथा यहां आने वाले पर्यटक नयना देवी मंदिर अवश्य जाते हैं. मंदिर के स्थापना दिवस ज्येष्ठ माह की नवमी की तिथि को धार्मिक अनुष्ठान व विशाल भंडारा होता है.