Goga Navami 2022: गोगा की पूजा से मिलती है संतान, नहीं होती नागों से हानि, गोगा पूजा की विधि विधान व कथा
गूगा नवमी (goga navami)
जन्माष्टमी के अगले दिन गूगा नवमी को पूजा होती है। इस सवेरे बिना नमक की रोटियां बनाई जाती है। दो जगह नो-नो रोटी बनाई जाती है। रसोई की दीवार पर दिन निकलने से पहले गूगा बनाया जाता है। गूगा जी महाराज के घी थापा लगाते हैं। नाले की जोड़ी लगाते हैं। फिर उसके आगे की जोत जलाते हैं और उसके गेहूं, गुड़ रखते हैं फिर गेहूं हाथ में लेकर धोक मारते हैं। जोगी को बुलाते हैं एवं गूगा के आगे एक थाली में नौ रोटी, गुड, आटा, कच्चा दूध यह सब चीजें रखते हैं। जोगी माथे में टिका लगाते हैं और गूगे को भी लगाते हैं। फिर जो भी हाथ में आटे से धोक मरवाते है। वह सब चीजें जोगी लेता है और पैसे देते हैं। इसके बाद जो कच्चा दूध में से थोड़ा बचा देते हैं उसमें पानी डालकर घर में सब जगह छिड़क ते हैं। 9 रोटी घर में या तो पेड़ से या बूरा से खाते हैं। सारा परिवार इस नो रोटी को खाता हैं। इसे बिना नमक के मीठे से खानी होती है।
रोचक है गोगादेव के जन्म की कथा (story of gogadeva)
किवंदतियों के अनुसार, गोगा जी की माँ बाछल देवी की कोई संतान नहीं थी। काफी प्रयास के बाद भी जब उन्हें संतान नहीं हुई तो वे निराश हो गई। तब एक दिन गोगामेड़ी में गुरु गोरखनाथ तपस्या करने आए। बाछलदेवी गुरु गोरखनाथ (guru gorakh nath) के पास गई और अपनी परेशानी बताई।
गुरु गोरखनाथ ने उन्हें एक फल खाने को दिया और पुत्रवती होने का आशीर्वाद देते हुए कहा कि “ तेरा पुत्र वीर तथा नागों को वश में करने वाला तथा सिद्धों का शिरोमणि होगा। जब बाछल देवी को पुत्र हुआ तो उन्होंने उसका नाम गुग्गा रखा। बाद में इन्हें गोगा देव (gogadeva)के नाम से जाना जाने लगा। ये गुरु गोरखनाथ के परम शिष्य थे। इनका नाम लेने से सर्प कोई हानि नहीं पहुंचाते।
हिंदू-मुस्लिम दोनों करते हैं पूजा
राजस्थान (Rajasthan) में इनके स्थान पर आज भी सभी धर्म और संप्रदाय के लोग माथा टेकने जाते हैं। मुस्लिम समाज के लोग इन्हें जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं। लोक मान्यता के अनुसार, गोगा जी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। इन्हें गुग्गा वीर, राजा मण्डलीक व जाहर पीर के नाम से भी जाना जाता है। इनकी जन्मभूमि पर उनके घोड़े का अस्तबल आज भी है। साथ ही यहां इनके गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है।
ऐसे करें गोगदेव की पूजा (gogadev ki Puja Vidhi)
गोगा नवमी की सुबह स्नानादि करने के बाद गोगा देव की घोड़े पर सवार प्रतिमा लेकर घर आएं। कुंकुम, रोली, चावल, फूल, गंगाजल आदि से गोगादेव की पूजा करें। खीर, चूरमा, गुलगुले का भोग लगाएं एवं चने की दाल गोगा जी के घोड़े पर श्रद्धापूर्वक चढ़ाएं। गोगा देव की कथा श्रद्धा पूर्वक सुनें और मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करें। कुछ स्थानों पर इस दिन सांप की बांबी की पूजा भी की जाती है।