Haryana: NCR से बाहर हुए हरियाणा के पांच जिले और तीन तहसीलें 

Latest News: हरियाणा के पांच जिले और दो जिलों की तीन तहसीलें एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) से बाहर होंगी। प्रदेश सरकार ने एनसीआर का दायरा घटाने के लिए नया प्रस्ताव बनाकर भेजा है।
 

Haryana Update: करनाल, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, जींद और भिवानी जिले को 2018 में एनसीआर में शामिल किया गया था। इससे हरियाणा का एनसीआर क्षेत्र बढ़कर 25327 वर्ग किलोमीटर हो गया था। इससे पहले प्रदेश के नौ जिले ही एनसीआर में शामिल थे। संशोधित प्रस्ताव पर एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की मंजूरी मिलते ही हरियाणा में एनसीआर का दायरा 1148 वर्ग किलोमीटर और कम हो जाएगा। 


 
 

 

 

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मुख्य समन्वयक योजनाकार एनसीआर की ओर से बीती 24 मई को भेजे ताजा प्रस्ताव में करनाल, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, जींद और भिवानी के अलावा रोहतक जिले की महम, पानीपत जिले की मतलौडा व पानीपत तहसील क्षेत्र को एनसीआर से बाहर रखने का निवेदन किया है। जल्दी हरियाणा के प्रस्ताव को केंद्र सरकार से अंतिम स्वीकृति मिल सकती है, चूंकि पिछली बैठक में एनसीआर का दायरा दिल्ली के राजघाट से सौ किलोमीटर तक करने पर सहमति बनी थी। 


 

 

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प्रस्ताव अनुसार हरियाणा के एनसीआर में आने वाले नौ जिलों का क्षेत्रफल 12280.68 वर्ग किलोमीटर होगा। फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, नूंह, पलवल, रेवाड़ी और सोनीपत जिले का सौ फीसदी क्षेत्र एनसीआर में रहेगा। पानीपत का 52.92 और रोहतक का 68.46 प्रतिशत हिस्सा ही आने वाले दिनों में एनसीआर में होगा। 
 

एनसीआर में आने वाले अन्य राज्यों को हरियाणा के प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं है। यह पहली बार है जब किसी राज्य ने एनसीआर में अपना क्षेत्र घटाने का प्रस्ताव दिया है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि एनसीआर का क्षेत्र घटने जा रहा है। हरियाणा के काफी लोगों को राहत मिलेगी। रुकी हुई परियोजनाएं जल्द सिरे चढ़ पाएंगी।

2018 में शामिल किए गए थे पांच जिले
करनाल, महेंद्रगढ़, चरखी दादरी, जींद और भिवानी जिले को 2018 में एनसीआर में शामिल किया गया था। इससे हरियाणा का एनसीआर क्षेत्र बढ़कर 25327 वर्ग किलोमीटर हो गया था। इससे पहले प्रदेश के नौ जिले ही एनसीआर में शामिल थे।

डीजल-पेट्रोल वाहनों को मिलेगी राहत
एनसीआर में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों को चलाने पर प्रतिबंध है। इससे हरियाणा का काफी बड़ा क्षेत्र प्रभावित हो रहा था। हजारों वाहन सड़कों पर चलने योग्य नहीं थे। इसे लेकर अनेक लोगों ने सरकार से राहत देने का आग्रह किया था। उसके बाद पांच जिलों और तीन तहसीलों को एनसीआर से बाहर रखने का प्रस्ताव तैयार करवाया गया। इसके अलावा अनेक विकास परियोजनाओं पर भी असर पड़ रहा था।