Haryana: हरियाणा के इस जिले में किसानों के चेहरे उदास, गेहूं उत्पादन में भारी कमी

Haryana News: रिटौली गांव के युवा किसान कृष्णा बताते हैं कि स्थानीय किसान कुछ साल पहले तक खुद अपने परिवार के साथ फसल काटते थे, जानिए पूरी डिटेल।  

 

Haryana Update: आपको बता दें, की पिछले महीने हरियाणा में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से काफी नुकसान हुआ था। लेकिन रोहतक जिला सबसे अधिक बारिश और ओलावृष्टि से प्रभावित है। जिले में गेहूं की पैदावार पिछले रबी सीजन की तुलना में 20 प्रतिशत तक कम हो सकती है। किसानों की चिंता इससे बढ़ी है। किसानों का कहना है कि उन्हें नुकसान हो सकता है अगर उत्पादन कम होता हैं।

कृषि विभाग के अधिकारियों का मानना है कि क्षेत्र में मार्च में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि इस गिरावट का कारण थी। 2022-23 में जिले में गेहूं की औसत उपज 41.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर थी, आधिकारिक सूत्रों के अनुसार। 2023-24 में जिले में गेहूं की खेती 1.04 लाख हेक्टेयर में बढ़ गई, लेकिन इस साल गेहूं की औसत पैदावार लगभग 33 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होगी, जो लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट का संकेत है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के गुणवत्ता नियंत्रण निरीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि मार्च में हुई असामयिक बारिश और ओलावृष्टि ने जिले में गेहूं की खड़ी फसल को खराब कर दिया है, जिससे पैदावार में कमी की आशंका हैं।

हार्वेस्टर से गेहूं काट रहे किसान
इस बीच, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से कई श्रमिक त्योहारों में भाग लेने गए हैं, जिससे गेहूं की कटाई में प्रवासी श्रमिकों की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यही कारण है कि हार्वेस्टर मशीन की बहुत मांग है। रिटौली गांव के युवा किसान कृष्णा बताते हैं कि स्थानीय किसान कुछ साल पहले तक खुद अपने परिवार के साथ फसल काटते थे। हालाँकि, वे अब हार्वेस्टरों या प्रवासी कर्मचारियों पर निर्भर हैं। उधर, जिले की अनाज मंडियों में गेहूं की आवक शुरू हो गई है, लेकिन उपज में अधिक नमी होने से खरीद धीमी है। गेहूं खरीद बढ़ने की संभावना हैं।

किसानों ने मुआवजे की मांग की, वहीं 6 अप्रैल को खबर आई कि गेहूं की फसल दो या तीन दिन में रोहतक अनाज मंडी पहुंच गई। लेकिन सरकारी एजेंसियां इस गेहूं को खरीदने से इनकार कर दीं क्योंकि इसमें सरकारी मानकों से अधिक नमी थी। इसलिए किसान गेहूं लाना बंद कर देते हैं। गेहूं की आवक फिर से शुरू हो गई है। किसानों का कहना है कि इस बार बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने उनकी गेहूं की फसल को बर्बाद कर दिया है। किसानों ने सरकार से जल्द ही फसल नुकसान का मुआवजा देने की मांग की है। उनका कहना है कि फसल का खर्च पूरा हो सकता है अगर सरकार किसानों को 20 से 25 हजार रुपये का मुआवजा दे दे। यदि इससे कम मुआवजा मिलता है तो खेती की लागत भी नहीं होगी