Haryana News: हरियाणा में कच्‍चे कर्मचारियों के खुशखबरी, अब हर साल डीसी रेट में होगी इतनी वृद्धि 

Haryana News: हरियाणा के कच्‍चे कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। राज्‍य सरकार ने फैसला किया है कि कच्‍चे कर्मचारियों के डीसी रेट में हर साल पांच फीसदी की बढ़ोत्‍तरी होगी।

 

Haryana Update: हरियाणा में कच्चे कर्मचारियों के लिए खुशखबरी है। अब उनके डीसी रेट अब हर साल पांच फीसद तक बढ़ेगा। पूरे प्रदेश को तीन जोन में बांटा गया है। जिलों की बजाय जोन के अनुसार डीसी रेट तय होंगे। डीसी रेट अकुशल, अर्धकुशल और कुशल श्रमिकों की मजदूरी होती है, जो उपायुक्तों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति द्वारा तय की जाती है। अब न्यूनतम मजदूरी तथा जिला विशेष उपभोक्ता मूल्य के सिद्धांतों पर डीसी रेट तय किया जाएगा।

 जिलों की बजाय जोन के अनुसार होंगे डीसी रेट

मुख्य सचिव के नेतृत्व में सामान्य प्रशासन विभाग सभी श्रेणियों और जिलों के लिए डीसी रेट तय करेगा। इससे इन दरों को युक्तिसंगत बनाया जा सकेगा जिससे कर्मचारियों को लाभ होगा। मकान का किराया, सब्जी की कीमतें, स्कूल फीस के आधार पर डीसी रेट निर्धारित किया जाएगा। जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। ए श्रेणी में गुरुग्राम, फरीदाबाद, पंचकूला और सोनीपत तथा बी श्रेणी के शहरों में पानीपत, झज्जर, पलवल, करनाल, अंबाला, हिसार, रोहतक, रेवाड़ी, कुरुक्षेत्र, कैथल, यमुनानगर, भिवानी और जींद को रखा गया है। महेंद्रगढ़, फतेहाबाद, सिरसा, नूंह और चरखी दादरी सी श्रेणी के जिलों में रखे गए हैं।

मकान का किराया, स्कूल फीस होगा डीसी रेट का आधार

अभी तक डीसी रेट का निर्धारण जिला विशेष और मुख्य रूप से प्रचलित न्यूनतम मजदूरी तथा जिला विशेष श्रम दरों पर किया जा रहा था। सभी जिलों में मजूदरी की दरों में काफी अंतर है। डीसी दरों में वृद्धि न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि के अनुपात में नहीं होने के कारण या तो बहुत अधिक या बहुत कम है। मुद्रास्फीति आदि जैसे मापदंडों के आधार पर डीसी रेट में संशोधन भी संस्थागत नहीं है। प्रदेश सरकार के डीसी रेट में संशोधन के निर्णय से कर्मचारियों को लाभ होगा।

रफ्तार पकड़ेगा बीपीएल सर्वे, आवेदन निरस्त करने पर टीमों को बतानी पड़ेगी वजह

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर ने सभी अतिरिक्त उपायुक्तों को गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे (बीपीएल) परिवारों के सर्वेक्षण में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री अंत्योदय परिवार उत्थान योजना (एमएमएपीयूवाई) के तहत ऐसे परिवारों की सालाना आय को एक लाख रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य है। समीक्षा बैठक में वी उमाशंकर ने जमीनी स्तर पर सर्वेक्षण टीमों के सामने आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीति पर फीडबैक लिया।

इसके साथ ही अतिरिक्त उपायुक्तों को सर्वेक्षण टीमों द्वारा सूचीबद्ध किए गए आवेदकों के आवेदन अस्वीकृत होने के कारणों का पता लगाने के भी निर्देश दिए ताकि पात्र लाभार्थी सरकारी योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठा सकें। सर्वेक्षण टीमों को आवेदन अस्वीकृत किए जाने की वजह भी बतानी होगी। सर्वेक्षण टीमों को अक्टूबर के अंत तक प्रत्येक जिले से न्यूनतम पांच ऐसे लाभार्थियों की सफलता की गाथा को साझा करने के लिए कहा गया है जिन्होंने अपनी आय को एक लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक बढ़ाने में सफलता हासिल की है।

क्षेत्रीय समितियों को अपनी-अपनी टीम में बैंक के एक प्रतिनिधि को शामिल करने के लिए भी कहा गया है ताकि सर्वेक्षण के दौरान बैंक से संबंधित सवालों और ऋण के लिए पात्रता मानदंड का मौके पर ही निपटान किया जा सके। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रधान सचिव विनीत गर्ग ने कहा कि यदि सर्वेक्षण के दौरान लाभार्थी का नाम गलती से गलत विभाग में दर्ज हो जाता है तो पोर्टल के माध्यम से लाभार्थी के नाम को संबंधित विभाग में शामिल करवाया जाना चाहिए। 

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