Tomato Price Increase: टमाटर की कीमतों में वृद्धि को देख सभी परेशान, वैज्ञानिकों ने बताई इसकी वजय,बताया कब होगे इसके दाम कम

Tomato Price Rise Explained:हम आपको बता दे कि डॉ. आर गोपीनाथ ने बताया है कि हम सभी को जलवायु में हो रहे परिवर्तन के मुताबिक समाधान करना होगा और आगे भविष्य में जाकर भी ऐसी स्थितियों ना आए इसके लिए निपटने के लिए हमें तयारी करनी होगी।

 

Haryana Update: यही एक तरीका है जिससे हम सभी कीमतों में आ रहे उतार-चढ़ावो से बच पाएगे। आपको बता दे की उन्होने ये भी कहा है कि खेती को किसी भी स्धिति की हानी ना होने से बचाने के लिए और साथ ही खेती के उत्पादन को बड़ाने के लिए एक वैज्ञानिक उत्पादन रणनीति जरुर बनानी होगी। 

छोटा सा लाल टमाटर (Tomato Price Increase), जो कभी Tomato Price Rise Explainedलोगों को बहुत पसंद आता था, अब औसत उपभोक्ता की जेब पर भारी पड़ रहा है.

मई के पहले सप्ताह में इसकी कीमतें महज 15 रुपये प्रति किलोग्राम से बढ़कर जून के अंत तक 110 रुपये तक पहुंच गई हैं. टमाटर के दाम में कुछ ही हफ्तों में लगभग 200 प्रतिशत की आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है.

भारतीयों के किचन में टमाटर बहुत जरूरी चीजों में शामिल है. बिना इसके खाने के स्वाद में वह मजा नहीं आता, जो इसके होने से आता है. 

हमने उपभोक्ताओं को यह समझाने के लिए कि टमाटर अधिक महंगे क्यों हो गए हैं, कृषि-मौसम विज्ञानियों, कृषि-शोधकर्ताओं के साथ-साथ वैज्ञानिकों सहित कई विशेषज्ञों से बात की.

टमाटर की कीमतों में बढ़ोतरी को दो प्रमुख कारणों से जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जैसा कि चेन्नई में एम स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. आर गोपीनाथ ने बताया.

पहला, मानसून का देर से आना और दूसरा, फसल अवधि के दौरान आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में बेमौसम बारिश और बाढ़.

गोपीनाथ ने हमे बताया है, ‘अगर आप देखें, तो देश का लगभग 20% टमाटर उत्पादन आंध्र प्रदेश से आता है, और बाकी कर्नाटक, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों से आता है.

अगर दक्षिण-पश्चिम मानसून देर से आता है, तो यह सब्जी उत्पादन को प्रमुख रूप से प्रभावित करता है.’

मानसून की आने में देरी औऱ बेमौसम हो रही बारिश है जिम्मेदार -

उन्होंने कहा, ‘पिछले साल भी यही घटना घटी थी. अगर जुलाई और अगस्त में बारिश में और देरी होती है, तो त्योहारी सीजन शुरू होते ही कीमतों में भारी वृद्धि होगी.

हम प्याज की कीमतों में भी बढ़ोतरी की उम्मीद कर सकते हैं. महाराष्ट्र और कर्नाटक सब्जी के बड़े उत्पादक हैं, और ये दैनिक आवश्यकताएं हैं, न कि मौसमी आवश्यकताएं.’

आम तौर पर, जहां तक ​​कर्नाटक का सवाल है, मानसून जून के पहले सप्ताह में आता है. कृषि प्रयोजनों के लिए, यह आमतौर पर जुलाई के दूसरे सप्ताह में शुरू होता है.

कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, जीकेवीके, बेंगलुरु के कृषि-मौसम विज्ञानी प्रोफेसर एमबी राजे गौड़ा ने कहा- ‘कर्नाटक में लगभग 25 प्रतिशत बुआई जुलाई के पहले सप्ताह से में होती है और लगभग 75 लाख हेक्टेयर में मुख्य रूप से जुलाई के मध्य और आखिरी में बुआई होती है.’

एमबी राजे गौड़ा ने एक महत्वपूर्ण अवलोकन भी किया और कहा, ‘कर्नाटक के कुछ हिस्सोंए जैसे पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में वर्षा में 40 से 45 प्रतिशत की कमी आई है.

जबकि राज्य के दक्षिण और उत्तर के आंतरिक हिस्सों में वर्षा हुई है जो आमतौर पर जून में होती है. अगर बारिश में जुलाई के तीसरे सप्ताह से अधिक देरी होती है, तो फसलें प्रभावित हो सकती हैं और किसान आवश्यक वर्षा प्राप्त करने में विफल हो सकते हैं.

ऐसे मामलों में, हम क्लाउड सीडिंग और अन्य समाधानों की अनुशंसा करते हैं. हम कृषक समुदाय को धैर्य रखने और चिंता न करने की वकालत कर रहे हैं.’

वैज्ञानिक समुदाय ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार ने भविष्यवाणी की है कि इस वर्ष भारत में अपेक्षित वर्षा का 90 से 95 प्रतिशत तक ही बारिश होगी.

गौड़ा ने कहा, ‘कर्नाटक में, सामान्य वर्षों में आमतौर पर 850 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस साल औसतन लगभग 820 मिमी बारिश हो सकती है.’

आपूर्ति का गंभीर बिंदू-

कोलार, चिक्काबल्लापुरा और बेंगलुरु ग्रामीण जैसे प्रमुख जिलों से टमाटर की आपूर्ति में गंभीर व्यवधान आया है. राज्य बागवानी विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कोलार में सफेद मक्खी रोग के कारण बड़े पैमाने पर फसल का नुकसान हुआ है.

जिले में कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) यार्ड – जिसे एशिया में 20,000 हेक्टेयर में फैले सबसे बड़े टमाटर बाजार केंद्र के रूप में जाना जाता है- में प्रति बॉक्स (लगभग 15 किलोग्राम प्रति बॉक्स) की कीमत में 700 रुपये से लगभग 2,500 रुपये तक की भारी वृद्धि देखी गई है.

एक विक्रेता जो वहां काम करता है, उसने News18 को बताया.

आर गोपीनाथ ने कहा, ‘यह स्थिति (टमाटर की कीमत में वृद्धि) अगले दो से तीन सप्ताह में सामान्य हो जाएगी.’

कृषि वैज्ञानिक ने किसानों और कृषि गतिविधियों में शामिल लोगों को भविष्य में इसी तरह की स्थितियों के लिए तैयार रहने के लिए आगाह किया, क्योंकि बेमौसम और लगातार बारिश के साथ-साथ देर से मानसून की शुरुआत नियमित होती जा रही है.

उन्होंने कहा- ‘हमें जलवायु परिवर्तन के अनुकूल समाधान खोजने और भविष्य में ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है.

तभी हम कीमतों में उतार-चढ़ाव से बच सकते हैं. खेती को अल नीनो, बाढ़ जैसे प्रभावों से बचाने और अन्य क्षेत्रों में उत्पादन में विविधता लाने के लिए एक वैज्ञानिक उत्पादन रणनीति की भी आवश्यकता है.’

उपभोक्ता विभाग के तहत मूल्य निगरानी प्रभाग ने भी टमाटर की औसत खुदरा कीमत में उल्लेखनीय वृद्धि का संकेत दिया है, जो कुछ बाजारों में 70 रुपये से बढ़कर 125 रुपये हो गई है.