22 साल नौकरी कर नहीं मिला सुकून तो गांव लौटकर की खेती, अब कर रहा ये काम 

Didn't get a job after 22 years, then returned to the village and did farming, now doing this work
 

Haryana Update. Uttarakhand Farmer Story: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में पलायन एक गंभीर समस्या बन गई है.

 

लेकिन अब इसे खत्म का बीड़ा उठाया है उत्तरखंड के बागेश्वर के रहने वाले चंद्रशेखर पांडे ने.जैविक खेती के सहारे लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं.

 

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तैयार करते हैं जड़ी-बूटियां
इस मुहिम में चंद्रशेखर अकेले नहीं हैं, 12 लोगों का पूरा परिवार इनके साथ इसी काम में लगा हुआ है. इसी जैविक खेती के जरिए कुछ ऐसी जड़ी बूटियां तैयार कर रहे हैं, जिससे कई बीमारियों का समाधान हो सके और लोग स्वस्थ रहें.

पलायन की संख्या में आई कमी
चंद्रशेखर ने इस काम की शुरुआत 4 से 5 साल पहले की थी. और आज उनकी इस जड़ी बूटियों वाली जैविक खेती से कई लोगों को रोजगार तो मिल ही रहा है. इसके अलावा आसपास के गांवों से पलायन की संख्या में कमी आई है.

22 साल मुंबई में की नौकरी
चंद्रशेखर का जन्म बागेश्वर में ही हुआ था. पढ़ाई करने के बाद वे नौकरी करने मुंबई चले गई थे. मुंबई में उन्होंने 22 साल नौकरी की, लेकिन मुंबई में उन्हें वह सुकून और शांति नहीं मिल पाई, जो उन्हें गांव में मिलती थी.

क्यों छोड़ा मुंबई?
वह बताते हैं कि जब भी वे उत्तराखंड से जुड़ी पलायन की खबरें पढ़ते थे तब उन्हें बहुत दुख होता है. उन्हें लगता था कि वे अपने हैं प्रदेश के लोगों के लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं. इसी सोच ने उन्हें मुंबई जैसे शहर को छोड़ने पर मजबूर किया.

क्या है लक्ष्य
मुंबई छोड़ने के बाद पूरे परिवार के साथ आकर वे अपने गांव में बस गए. अब वे और उनका 12 सदस्यों का परिवार मिलकर जैविक खेती कर रहा है.

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चंद्रशेखर बताते हैं कि जड़ी बूटियां तैयार करने के लिए वे अश्वगंधा, कैमोमाइल, लेमनग्रास, लेमनबाम, डेंडेलियन,रोजमेरी, भूमि आंवला, आंवला, रिठा, हरड़, वनतुलसी, रामातुलसी, श्यामा तुलसी और इसी तरह से कई अन्य पौधे उगाते हैं.

इन जड़ी बूटियों से शुगर, बीपी, ब्लड प्रेशर, दिल से जुड़ी बीमारियां, अस्थमा, सिरदर्द, सर्दी जुकाम बुखार और इसी तरह से कई अन्य चोटी छोटी-बड़ी बीमारियों को दूर करने के गुण हैं. उनका सपना है कि वे अपने खेती के जरिए पूरे उत्तराखंड में पलायन की समस्या खत्म कर सकें.