Indian Railway: "मिशन रफ्तार", 25 किमी/घंटा बढ़ेगी रेल गाड़ी की स्पीड

Indian Railways: अगर आप अक्सर ट्रेन से यात्रा करते हैं और धीमी रफ्तार से परेशान हैं तो ये समस्या जल्द ही समाप्त हो जाएगी। दरअसल, रेल मंत्रालय माल गाड़ियों के साथ-साथ सुपर फास्ट, मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए ''मिशन रफ्तार'' पर काम कर रहा है।
 

Haryana Update: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दावा किया कि बजट सत्र 2022 (Budget Session 2022) के दौरान पेश की गई सीएजी रिपोर्ट (CAG Report) में भारतीय रेलवे (Indian Railway) के ट्रेन संचालन की समयपालन और यात्रा समय की जांच की गई थी। रिपोर्ट तैयार करने के लिए ऑडिट मानदंड के रूप में उपयोग किए जाने वाले दस्तावेजों में से एक मिशन रफ्तार (Mission Raftaar) है।


 

 

 

Speed ​​will increase by 25 km / h

रेल मंत्रालय ने ट्रेन की औसत रफ्तार 25 किमी/घंटा तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में, केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, "मिशन रफ्तार एक स्टैंडअलोन परियोजना नहीं है, और मिशन रफ्तार के तहत धन के समग्र आवंटन और उपयोग की मात्रा निर्धारित नहीं की जा सकती है।"

 

 

उन्होंने कहा कि रेलगाड़ियों को गति देना भारतीय रेलवे पर एक निरंतर प्रयास और एक सतत प्रक्रिया है, जो प्रौद्योगिकी के आधुनिकीकरण, उच्च शक्ति वाले इंजनों, आधुनिक डिब्बों और बेहतर पटरियों में रेलवे द्वारा किए गए निवेश के निरंतर अनुकूलन पर निर्भर है।

वैष्णव ने कहा कि भारतीय रेलवे अन्य बातों के साथ-साथ Hoffman Bush (LHB) कोचों का प्रसार कर रहा है, जिनमें उच्च गति की क्षमता है, जो पारंपरिक कोचों के साथ चलने वाली यात्री ट्रेनों को MEMU सेवाओं में परिवर्तित कर रहे हैं। "Mission Raftaar" के एक भाग के रूप में और 2015-16 और 2021-22 की अवधि के दौरान, 414 यात्री ट्रेन सेवाओं को मेमू सेवाओं में परिवर्तित किया गया है।

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भारतीय रेल 3,000 किलोमीटर से अधिक dedicated freight corridor (DFC) का निर्माण कर रहा है, जो मालगाड़ियों को 100 किमी प्रति घंटे की गति से चलाने में सक्षम बनाएगा। मालगाड़ियों की औसत गति में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। वित्तीय वर्ष 2016-17 से वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान मालगाड़ियों की औसत गति 23.7 किमी/घंटा से बढ़कर 41.2 किमी/घंटा हो गई।

इस साल मार्च में रेलवे ने टकराव रोधक कोच प्रणाली 'कवच' को लॉन्च किया है। यह एक स्वचालित स्वदेशी रेल दुर्घटना सुरक्षा प्रणाली है जो दो ट्रेनों को आपस में टकराने से रोकती है। इसमें रेडियो कम्युनिकेशन, माइक्रोप्रोसेसर और ग्लोबर पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) तकनीक (Radio communication, microprocessor and globe positioning system (GPS) technology) का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे एक ट्रैक पर चल रहे दो ट्रेनों का पता लगाया जाता है।

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इस तकनीक की मदद से उम्मीद लगाई जा रही है कि रेलवे 'शून्य दुर्घटना' के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल होगा। यह तकनीक एक ही पटरी पर चल रही दो ट्रेनों की दूरी का आकलन करके और टकराव के जोखिम का आकलन करते हुए ट्रेन में अपने आप ब्रेक लगा देती है जिससे दुर्घटना को रोका जा सकता है।

Railway Minister Ashwin Vaishnav ने इस तकनीक की विश्वसनीयता के संबंध में बताया कि यह SIL4 प्रमाणित है जिसका अर्थ है कि 10,000 सालों में कोई एक गलती की संभावना है।