Petrol Diesel Price: क्या एक बार फिर बढ़ने वाले हैं पेट्रोल-डीजल के दाम? जानिए पूरा मामला 

Hisar desk. Petrol Diesel Price: Are the prices of petrol and diesel going to increase once again? Know the whole matter
 

Haryana Update. Petrol Diesel Price in India: देश में काफी वक्त से पेट्रोल और डीजल के दाम स्थिर बने हुए हैं. हालांकि पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई बदलाव न होने से आम लोगों को जरूर राहत मिली हुई है लेकिन कंपनियों से इससे घाटा उठाना पड़ रहा है.

 

सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों को चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लागत मूल्य बढ़ने के बावजूद पेट्रोल और डीजल की कीमतों को स्थिर रखने की वजह से कुल 18,480 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है. सार्वजनिक क्षेत्र की तीन तेल विपणन कंपनियों की तरफ से शेयर बाजारों को दी गई जानकारी के बाद ये बात सामने आई है.

 

Also Read This News- CWG 2022: भारतीय मुक्केबाजों नीतू और अमित पंघाल ने दिलाई स्वर्णिम विजय, अब निकहत से उम्मीदें

बढ़ गया घाटा

इस जानकारी के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही में पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ाने की वजह से उनका घाटा काफी बढ़ गया. ऐसा उनके विपणन मार्जिन में गिरावट आने के कारण हुआ. पेट्रोल-डीजल के अलावा घरेलू एलपीजी (LPG) के विपणन मार्जिन में कमी आने से इन पेट्रोलियम कंपनियों को बीती तिमाही में हुआ तगड़ा रिफाइनिंग मार्जिन भी घाटे में जाने से नहीं बचा पाया.

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (HPCL) और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (BPCL) को लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में प्रतिदिन बदलाव करने का अधिकार मिला हुआ है लेकिन बढ़ती खुदरा मुद्रास्फीति के दबाव में चार महीने से पेट्रोलियम उत्पादों के दाम नहीं बढ़ाए गए हैं.

Also Read This News-एफपीओ सहित केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर बैठक- Kailash Choudhary

लागत भी बढ़ी

बढ़ गई. इन कंपनियों ने रसोई गैस की एलपीजी दरों (LPG Price) को भी लागत के अनुरूप नहीं बदला है. आईओसी ने गत 29 जुलाई को कहा था कि अप्रैल-जून तिमाही में उसे 1,995.3 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ. एचपीसीएल ने भी गत शनिवार को इस तिमाही में रिकॉर्ड 10,196.94 करोड़ रुपये का घाटा होने की सूचना दी जो उसका किसी भी तिमाही में हुआ सर्वाधिक घाटा है.

इसी तरह बीपीसीएल ने भी 6,290.8 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है. इस तरह इन तीनों सार्वजनिक पेट्रोलियम विपणन कंपनियों को एक तिमाही में मिलकर कुल 18,480.27 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है जो किसी भी तिमाही के लिए अब तक का रिकॉर्ड है.

उठाना पड़ा नुकसान

दरअसल, आलोच्य तिमाही में आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने बढ़ती लागत के अनुरूप पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संशोधन नहीं किया ताकि सरकार को सात प्रतिशत से अधिक चल रही मुद्रास्फीति पर काबू पाने में मदद मिल सके. पहली तिमाही में कच्चे तेल का आयात औसतन 109 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के भाव पर किया गया था.

हालांकि खुदरा बिक्री की दरों को लगभग 85-86 डॉलर प्रति बैरल की लागत के हिसाब से समायोजित किया गया था. इस तरह तेल कंपनियों को प्रति बैरल कच्चे तेल पर करीब 23-24 डॉलर का नुकसान खुद उठाना पड़ा.

क्या है वजह?

आमतौर पर तेल कंपनियां आयात समरूपता दरों के आधार पर शोधित तेल कीमत की गणना करती हैं लेकिन अगर विपणन खंड इसे आयात समरूपता दर से कम दाम पर बेचता है तो कंपनी को नुकसान उठाना पड़ता है. हालांकि सरकार ने कहा है कि तेल कंपनियां खुदरा कीमतों में संशोधन के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन गत छह अप्रैल से अब तक खुदरा बिक्री दरों में कोई बदलाव नहीं किए जाने की ठोस वजह सरकार नहीं बता पाई है.

वहीं आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि आईओसी, बीपीसीएल और एचपीसीएल ने पेट्रोल और डीजल को 12-14 रुपये प्रति लीटर के नुकसान पर बेचा जिससे तिमाही के दौरान उनका राजस्व प्रभावित हुआ.