Ratna Pathak Shah: करवा चौथ बयान देते कहा कुछ ऐसा कि ट्रोल्स पड़ गए पीछे
Haryana Update: एंटरटेनमेंट वेबसाइट 'पिंकविला' को एक इंटरव्यू में रत्ना पाठक शाह ने कहा था कि भारत बहुत ज्यादा रूढ़िवादी होता जा रहा है और हो सकता है कि यह सऊदी अरब जैसा बन जाए.
उन्होंने करवा चौथ का व्रत रखने से इनकार करते हुए कहा कि कैसे 21वीं सदी में भी महिलाएं बरसों पुरानी परंपरा ढो रही हैं. एक रूढ़िवादी समाज में महिलाओं पर ही सबसे पहले शिकंजा कसा जाता है.
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लेकिन इंटरव्यू में सांप्रदायिकता को लेकर भारत के मौजूदा माहौल और महिलाओं के बारे में रुढ़िवादी ख्यालों का जिक्र करते ही सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जाने लगा.
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ट्रोल्स के निशाने पर आईं रत्ना पाठक शाह
एलीफैंट सिंह नाम के एक यूजर ने लिखा है कि "रत्ना पाठक शाह हलाला और ट्रिपल तलाक के बारे में नहीं बोलेंगी क्यों कि उन्हें पता है कि ऐसा किया तो उनके साथ क्या हो सकता है?"
एसजी नाम के एक यूजर ने लिखा,
"हैलो! रत्ना पाठक शाह अगर करवा चौथ को लोकप्रियता भारी पिछड़ेपन की निशानी है तो क्यों नहीं अपना कैंपेन घर के नजदीक से ही शुरू करतीं. करण जौहरों, शाहरुख खानों, यश चोपड़ाओं और संजय भंसालियों के पीछे क्यों नहीं पड़तीं जिन्होंने केकेकेजी, डीडीएलजे, एचडीडीसीएस में करवा चौथ को ग्लैमराइज किया. हमने कभी उन्हें इनका विरोध करते नहीं देखा."
सिंह नेहा नाम के एक यूजर ने लिखा,
"रत्ना पाठक शाह ने जो कहा वो ज्यादा विधवापन के बारे में था. एक औरत होने के नाते मुझे विधवाओं की दर्दनाक हालात के बारे में अहसास है. लेकिन मैं उनसे पूरी तरह सहमत नहीं हूं क्योंकि आज महिलाएं खास आधुनिक महिलाएं विधवा होने को इस तरह नहीं देखतीं."
साहिल खुराना नाम के एक यूजर ने रत्ना पाठक शाह को निशान बनाते हुए लिखा, "नसीरुद्दीन शाह की पत्नी रत्ना पाठक हिंदू परंपराओं का अपमान करती हैं. लेकिन जब महिलाओं हिजाब की तुलना में शिक्षा को तवज्जो देती हैं तो वो कुछ नहीं बोलतीं. इन दिनों वह अपने पति को फॉलो कर रही हैं जो भारत में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतिंत हैं."
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एक और यूजर ने लिखा,
"रत्ना पाठक शाह जबरदस्त एक्टर हैं. मैं उनके काम का मुरीद हूं. लेकिन इस तरह के बयान ठीक नहीं हैं क्योंकि इससे लोग 'लिबरल्स' पर तुष्टीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाने लगते हैं. कहा जाता है कि वे सिर्फ एक धर्म को आलोचना का शिकार बनाते हैं."
क्या कहा था रत्ना पाठक शाह ने?
पिंकविला को दिए एक इंटरव्यू में रत्ना पाठक शाह ने कहा था, "हमारा समाज दिनोंदिन ज्यादा रूढ़िवादी होता जा रहा है. हम अंधविश्वासी होते जा रहे हैं. हमें धर्म को अपनाने और इसे अपने जीवन का एक बहुत अहम हिस्सा बनाने के लिए बाध्य किया जा रहा है. अचानक हर कोई यह पूछने लगा है, करवा चौथ की व्रत नहीं कर रहे हैं आप? आज तक मुझे किसी ने नहीं पूछा. पिछले साल मुझे किसी ने पूछा. मैंने कहा- पागल हूं मैं. क्या ये भयावह नहीं है कि मॉडर्न-एजुकेटेड महिलाएं करवा चौथ करती हैं?"
उन्होंने कहा, "पति के जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं, ताकि उन्हें जीवन में कुछ वैलिडिटी मिल सके? भारत में विधवा होना भयानक है, नहीं? तो जो कुछ भी मुझे विधवा हो जाने से बचाए, मैं वो करूं? सीरियसली? हम 21वीं सदी में इस तरह की बातें कर रहे हैं?"
भारत के मौजूदा हालत पर पर रत्ना पाठक शाह ने तंज करते हुए कहा कि हम क्या हम सऊदी बनने की राह पर हैं? ,
उन्होंने कहा, "हम एक बहुत रूढ़िवादी समाज बनते जा रहा हैं. ऐसे समाज में सबसे पहले महिलाओं पर शिकंजा कसा जाता है दुनिया भर में देख लीजिए. महिलाओं की जिंदगी ही इस सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. सऊदी अरब में महिलाओं की क्या स्थिति है? क्या हम सऊदी अरब की तरह बनना चाहते हैं?"
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'इधर-उधर' से लेकर 'साराभाई वर्सेज साराभाई' तक का सफर
रत्ना पाठक शाह थियेटर, टेलीविजन और फिल्मों में लंबे अरसे से सक्रिय हैं. रत्ना 1980 में टीवी धारावाहिक इधर-उधर से चर्चित हुई थीं.
लेकिन 2004 से 2006 के बीच चले धारावाहिक साराभाई वर्सेज साराभाई में अपनी नकचढ़ी और सोशलसाइट किरदार माया साराभाई से वह घर-घर में पहचानी जाने लगीं. उन्होंने जाने तूने.. या ना जाने नाम, गोलमाल, कपूर एंड सन्स और लिपिस्टिक अंडर माई बुर्का में भी अपने अभिनय से तारीफें बटोरी.
उन्होंने रोमांटिक कॉमेडी एक मैं और एक तू और कॉमेडी ड्रामा खूबसूरत में भी काम किया है. उनके पति नसीरुद्दीन शाह जाने-माने फिल्म और थियेटर एक्टर हैं. नसीरुद्दीन शाह भी भारत में सांप्रदायिकता के हालात पर बयान देते रहे हैं.