Court News : पुश्तैनी जमीन के केसो को लेकर कोर्ट ने सुनाया अंतिम फैसला 

हाउसिंग डॉट कॉम के ग्रूप सीएफओ विकास बधावन ने बताया कि संपत्ति या जमीन का म्यूटेशन (Mutation) एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को संपत्ति का स्थानांतरण (Transfer of Property) है। यह भी अधिकारियों को करदाताओं की जिम्मेदारी निर्धारित करने में मदद करता है। इससे कोई मालिक नहीं बनता।आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

 

यदि आपके पास पुश्तैनी जमीन (Land) या मकान (House) है तो यह जानकारी आपके लिए लाभदायक होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अभी किसी भी संपत्ति के मालिकाना अधिकार पर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इसमें कहा गया है कि रेवेन्यू रिकार्ड में दाखिल खारिज होने से उसके मालिकाना हक पर कोई फर्क नहीं पड़ता। उस संपत्ति का मालिकाना हक सिर्फ एक सक्षम सिविल कोर्ट से निर्धारित होगा।

सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है


सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ, न्यायमूर्ति एमआर शाह और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस ने कहा कि रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने से कोई संपत्ति का हक नहीं मिलता। बेंच ने कहा कि जमाबंदी या रेवेन्यू रिकॉर्ड में शामिल होने का केवल 'वित्तीय उद्देश्य' होता है, जैसे भू-राजस्व का भुगतान। ऐसी एंट्री को मालिकाना हक नहीं मिलता।

संपत्ति का हस्तांतरण म्यूटेशन है।

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गृह डॉट कॉम के ग्रूप सीएफओ विकास बधावन ने कहा कि संपत्ति या जमीन का म्यूटेशन एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को स्थानांतरित करता है। यह भी अधिकारियों को करदाताओं की जिम्मेदारी निर्धारित करने में मदद करता है। इससे कोई मालिक नहीं बनता। यह प्रक्रिया, जिसे "दाखिल-खारिज" कहा जाता है, हर राज्य में अलग है। दाखिल खारिज एक बार में नहीं पूरा होता। समय-समय पर इसे अपडेट करना आवश्यक है।


महत्वपूर्ण दस्तावेजों का ध्यान रखें


उनका कहना है कि संपत्ति से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेजों को देखना बहुत महत्वपूर्ण है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि किसी भी तरह की बहस होने से पहले व्यक्ति को म्यूटेशन में अपना नाम बदलना चाहिए। यह निर्णय उचित नहीं है और इससे संपत्ति विवाद में समय लग सकता है, लेकिन इससे उन लोगों को राहत मिलेगी जो म्यूटेशन में अपना नाम तुरंत नहीं बदला है।