EMI न भरने पर सुप्रीम कोर्ट का तगड़ा झटका, लोन लेने वालों के लिए अहम जजमेंट!

EMI : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण जजमेंट जारी किया है, जिसके अनुसार, अगर कोई व्यक्ति लोन की EMI नहीं भरता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है। कोर्ट ने  सभी लोन लेने वालों के लिए एक चेतावनी है, ताकि वे समय पर अपनी EMI का भुगतान करें। नीचे पढ़ें पूरी डिटेल।
 
 
Haryana update, EMI : आजकल, bank और एनबीएफसी दोनों ही विभिन्न प्रकार के loan उपलब्ध कराते हैं, जिससे लोग अपने सपनों को पूरा कर पाते हैं। इनमें से एक आम सपना होता है वाहन खरीदना, जिसे loan के माध्यम से पूरा किया जाता है। लेकिन अगर loan की EMI का भुगतान समय पर नहीं किया जाता, तो यह आपकी मुश्किलें बढ़ा सकता है। हाल ही में एक शख्स द्वारा कार loan की ईएमआई (EMI) का भुगतान न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया, जिसने loan लेने वाले को बड़ा झटका दिया।

loan की ईएमआई न भरने पर क्या होगा नुकसान?

loan की ईएमआई न चुकाना ग्राहक के लिए कई तरह से परेशानी का कारण बन सकता है। सबसे पहले तो आपका सिबिल स्कोर (credit score) खराब होगा, जिससे भविष्य में अन्य loan लेने में समस्या हो सकती है। इसके अलावा, वह वाहन भी आपसे छिन सकता है, जिसके लिए आपने loan लिया था। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, अगर loan की ईएमआई नहीं भरी जाती, तो वाहन की मालिकाना हक loan देने वाली कंपनी के पास ही रहेगा।

वाहन का मालिक कौन होगा?

अगर आपने डाउन पेमेंट करके वाहन लिया है और समय पर किस्त नहीं चुकाई, तो loan देने वाली कंपनी को उस वाहन का मालिक माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा कि loan चुकाने तक फाइनेंसर ही वाहन का मालिक होगा और जब तक loan चुकता नहीं होगा, ग्राहक वाहन पर कोई दावा नहीं कर सकता।

वाहन कब्जे में लिया जा सकता है

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अगर loan की ईएमआई समय पर नहीं चुकाई जाती है, तो फाइनेंसर उस वाहन को कब्जे में ले सकता है, और यह कानूनी अपराध नहीं माना जाएगा। फाइनेंसर को इस अधिकार की मंजूरी है कि वह वाहन को फिर से अपने कब्जे में ले सके, यदि loan लेने वाला लगातार ईएमआई का भुगतान नहीं करता है।

7 महीने तक ईएमआई भरी थी

इस मामले की शुरुआत 2003 में हुई थी, जब आंबेडकर नगर के राजेश ने महिंद्रा मार्शल कार के लिए loan लिया था। राजेश ने 1 लाख रुपये की डाउन पेमेंट की थी और बाकी राशि पर loan लिया था। इस loan की मंथली ईएमआई 12,531 रुपये तय की गई थी। राजेश ने शुरू के 7 महीनों में तो ईएमआई का भुगतान किया, लेकिन इसके बाद उसने loan की किस्तें नहीं चुकाई। इस पर फाइनेंस कंपनी ने 5 महीने बाद कार को वापस अपने कब्जे में ले लिया।

उपभोक्ता अदालत का फैसला

राजेश ने उपभोक्ता अदालत में इस मामले को उठाया और अदालत ने फाइनेंस कंपनी के खिलाफ फैसला सुनाया। अदालत ने फाइनेंस कंपनी पर 2 लाख 23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया और यह कहा कि बिना नोटिस के वाहन को उठाना उचित नहीं था। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि फाइनेंसर ने राजेश को किस्त चुकाने का उचित समय और अवसर नहीं दिया।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालत के फैसले को पलटते हुए फाइनेंस कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसमें फाइनेंसर का कोई दोष नहीं है, बल्कि loan लेने वाला ही डिफॉल्टर था। सुप्रीम कोर्ट ने फाइनेंसर पर लगे जुर्माने को रद्द कर दिया और कहा कि loan लेने वाले को नोटिस दिए बिना गाड़ी उठाना सही नहीं है।

यह फैसला loan लेने वालों के लिए एक अहम संदेश है कि loan की किस्तें समय पर चुकाना बहुत जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचा जा सके।