Google Doodle: आखिर कौन थीं ज़रीना हाशमी? और आज गूगल क्यो मना रहा है इनका 86वां जन्मदिन!

Who is Zarina Hashmi: क्या आप भी जानते है कि कौन है ज़रीना हाशमी? और आज के दिन गूगल क्यो इनका जन्मदिन मना रहा है. आपको बात दे कि इनकी आयु केवल 21 साल थीं जब इन्होनें एक युवा राजनयिक से शादी कर ली थी, और आपको बात दे कि इसके बाद ये दुनिया घूमने निकल पड़ीं थी.

 

Haryana Update: जैसा आप सभी देख पा रहे है कि आज के दिन गूगल डूडल भारतीय-अमेरिकी के मशहुर कलाकार और प्रिंटमेकर जरीना हाशमी का 86वां जन्मदिन मना रहा है.

आज हम आपकों इनके बारे में बताने वाले है. आपको बता दे कि ज़रीना आपनी न्यूनतम शैली में प्रमुख व्यक्तित्वों के लिए प्रसिद्ध थीं. इनका जन्म 1937 में हमारे भारत के एक अलीगढ़ शहर में हुआ था.

ये और इनका परिवार विभाजन से पहले एक खुशहाल जीवन जी रहे थे, लेकिन इसके बाद जरीना के परिवार के साथ-साथ लाखों अन्य परिवारो को भी दोबारा घर बसाने के लिए पाकिस्तान में कराची जाने पड़ा था.

आपको बता दे कि इसकी शादी इनकी महज 21 साल की आयु में हो गई थीं और ये इसके बाद पुरी दुनिया को घूमने के लिए निकल पड़ीं थी.

इन्होनें पेरिस, बैंकॉक और जापान की यात्रा की थी, और इस यात्रा के दौरान ये प्रिंटमेकिंग के साथ-साथ आधुनिकतावादी और अमूर्त कला प्रवृत्तियों से अवगत हुई थी. 

इसके बाद 1977 की साल में न्यूयॉर्क शहर में चली गईं और वहा जाने के बाद ये फीमेल कलाकारों की एक मजबूत समर्थक बन गईं थी.

इसके बादे ये हेरिसीज़ कलेक्टिव की सदस्य भी बन गईं, आपको बात दे कि यह एक नारीवादी पत्रिका थी.

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इसमें सदस्य बनने के बाद इन्हे न्यूयॉर्क फेमिनिस्ट आर्ट इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर के पद पर नौकरी मिली थी, इन्होने महिला कलाकारों को भी शैक्षिक अवसर  देने के लिए समर्थन किया था.

इसके बाद इन्होनें 1980 की साल में ए.आई.आर. में प्रदर्शनी के सह-संचालन में सहयोग किया था.इसका शीर्षक था "अलगाव की द्वंद्वात्मकता: संयुक्त राज्य अमेरिका की तीसरी दुनिया की महिला कलाकारों की एक प्रदर्शनी."

आपको बता दे कि हाशमी अपनी आकर्षक इंटैग्लियो और वुडकट प्रिंटों की कला के लिए मशहुर थी, इन्होनें बहुत से घरों और शहरों में अपनी कलाकारी दिखाई थी, जिनमें वह रहती थीं.

आपको बात दे कि ज़रीना हाशमी की पहचान एक भारतीय महिला के साथ-साथ एक मुस्लिम के रूप में पैदा हुई थीं और यह तथ्य कि उन्होंने अपना पूरा बचपन एक जगह से दूसरी जगह घूमते हुए बिताया, दोनों ने उनकी कला को प्रभावित किया.

इस्लामी धार्मिक सजावट के दृश्य तत्वों का उनका उपयोग इसकी नियमित ज्यामिति के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय था.

उनके प्रारंभिक कार्यों के अमूर्त और संक्षिप्त ज्यामितीय सौंदर्यशास्त्र की तुलना सोल लेविट जैसे न्यूनतमवादियों के कार्यों से की गई है.

उनके काम को अभी भी विश्व स्तर पर लोग देखते हैं क्योंकि सैन फ्रांसिस्को म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट, व्हिटनी म्यूजियम ऑफ अमेरिकन आर्ट, सोलोमन आर.

गुगेनहेम म्यूजियम और मेट्रोपॉलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट सहित अन्य प्रतिष्ठित दीर्घाओं में स्थायी संग्रह हैं. 25 अप्रैल, 2020 को अल्जाइमर रोग के कारण जरीना का लंदन में निधन हो गया.

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