अब इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं पड़ेगी CA की जरूरत, जानें सरकार का नया कदम

अब इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय सीए (चार्टर्ड अकाउंटेंट) की जरूरत नहीं पड़ेगी। सरकार ने एक नया कदम उठाया है, जिसके तहत सामान्य टैक्सपेयर्स को रिटर्न दाखिल करने के लिए सीए की मदद की आवश्यकता नहीं होगी। यह कदम छोटे और मंझले व्यापारियों के लिए राहत की खबर है, क्योंकि अब वे बिना किसी बिचौलिये के अपना टैक्स रिटर्न फाइल कर सकेंगे। नीचे जानें पूरी जानकारी।
 
Haryana update : भारत सरकार टैक्सपेयर्स के लिए Income Tax Return Filing प्रक्रिया को बेहद सरल और सुलभ बनाने के लिए कई सुधारों पर काम कर रही है। वर्तमान में टैक्स कानूनों की जटिलता और बढ़ते विवाद सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। इन समस्याओं का समाधान निकालने के लिए केंद्र सरकार ने Income Tax Act 1961 की व्यापक समीक्षा का निर्णय लिया है। इस निर्णय से टैक्सपेयर्स को भारी राहत मिल सकती है, क्योंकि अब उन्हें अपना रिटर्न फाइल करने के लिए चार्टर्ड एकाउंटेंट (CA) की जरूरत नहीं पड़ेगी।

टैक्स कानूनों के सुधार के लिए समिति का गठन

सरकार ने Central Board of Direct Taxes (CBDT) के तहत एक आंतरिक समिति का गठन किया है, जो Income Tax Act की समीक्षा और संशोधन करेगी। यह समिति टैक्स कानूनों की जटिलता को कम करने, प्रक्रियाओं को तर्कसंगत बनाने और विवादों को कम करने की दिशा में काम करेगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, यह समिति 2025 की शुरुआत में पब्लिक कंसलटेशन के लिए एक ड्राफ्ट रिपोर्ट जारी करेगी, जिसका उद्देश्य टैक्सपेयर्स के लिए प्रक्रिया को सरल बनाना है।

सरकार की योजना: पब्लिक कंसलटेशन और बजट 2025 में घोषणा

ब्लूमबर्ग रिपोर्ट के अनुसार, सरकार इस रिपोर्ट को जनवरी 2025 के मध्य तक सार्वजनिक चर्चा के लिए प्रस्तुत कर सकती है। इसके बाद, प्राप्त सुझावों और सिफारिशों को शामिल करते हुए, अंतिम प्रस्ताव को 1 फरवरी 2025 को बजट 2025 में पेश किया जाएगा। इस कदम का उद्देश्य टैक्स कानूनों को अधिक अनुकूल और टैक्सपेयर्स-फ्रेंडली बनाना है। यह बदलाव न केवल टैक्स रिटर्न की प्रक्रिया को सरल करेगा, बल्कि टैक्स विवादों को भी कम करेगा।

टैक्स कानूनों की भाषा को सरल बनाने पर जोर

सरकार ने Income Tax Act की जटिल भाषा को बदलने और इसे अधिक आसान और गैर-तकनीकी बनाने का निर्णय लिया है। इससे टैक्सपेयर्स को टैक्स फॉर्म्स और फॉर्मूला से संबंधित जानकारी समझने में कोई कठिनाई नहीं होगी। हालांकि, इस प्रस्ताव में टैक्स रेट्स या नीतियों को बदलने का कोई प्रावधान नहीं होगा।

बढ़ते टैक्स विवादों पर सरकार का ध्यान

भारत में अभी भी लगभग 123 बिलियन डॉलर यानी 10.5 लाख करोड़ रुपये के टैक्स विवाद लंबित हैं। यह विवाद न केवल सरकार के लिए एक चुनौती है, बल्कि टैक्सपेयर्स के लिए भी परेशानी का कारण बनते हैं। टैक्स कानूनों को सपष्ट और सरल बनाने से इन विवादों में कमी आएगी, और टैक्सपेयर्स को अपनी टैक्स रिटर्न फाइल करने में अधिक सहूलत मिलेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2024-25 के बजट में कहा था कि टैक्स कानूनों का व्यापक रिव्यू छह महीनों के भीतर किया जाएगा। उनका कहना था कि सरकार का उद्देश्य टैक्सपेयर्स पर नौकरशाही का बोझ घटाना है, ताकि वे बिना किसी परेशानी के आसानी से टैक्स नियमों का पालन कर सकें। यह कदम टैक्स अनुपालन को बढ़ावा देगा और सरकार की राजस्व संग्रह प्रक्रिया को भी सुधार सकता है।

नई प्रणाली: Tax Year और सरल गणना

वर्तमान में Assessment Year (AY) और Financial Year (FY) का उपयोग टैक्स प्रणाली में किया जाता है। सरकार की योजना है कि इसे बदलकर Tax Year की अवधारणा पेश की जाए। इससे जटिल इनकम कैलकुलेशन स्ट्रक्चर को टेबल्स और फॉर्मूला के जरिए अधिक सरल और समझने योग्य बनाया जाएगा। यह कदम टैक्सपेयर्स के लिए सुविधाजनक होगा और उन्हें किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ेगा।

रिटर्न फाइलिंग प्रक्रिया में सुधार और CA की आवश्यकता का अंत

सरकार Income Tax Return Filing प्रक्रिया को और अधिक सरल बनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इन कदमों में से एक है कि अब टैक्सपेयर्स को अपना रिटर्न फाइल करने के लिए किसी पेशेवर की सहायता की आवश्यकता नहीं होगी, जैसे कि Chartered Accountant (CA)। इसके लिए सरकार ने अतिरिक्त फॉर्म्स की संख्या कम करने की योजना बनाई है, ताकि लोग स्वतंत्र रूप से अपना रिटर्न फाइल कर सकें।

फेसलेस और फ्रेंडली टैक्स प्रक्रिया

सरकार ने Income Tax अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे टैक्सपेयर्स के साथ फेसलेस, फेयर और फ्रेंडली दृष्टिकोण अपनाएं। टैक्स नोटिस की भाषा को सरल और गैर-तकनीकी बनाने पर भी जोर दिया जाएगा, ताकि टैक्सपेयर्स आसानी से नोटिस को समझ सकें और जवाब दे सकें। इसका उद्देश्य यह है कि अब टैक्सपेयर्स को वकील या अन्य पेशेवरों की मदद की आवश्यकता नहीं होगी।

प्रस्तावित सुधारों का व्यापक प्रभाव

इन प्रस्तावित सुधारों से टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिल सकती है। इससे न केवल टैक्स अनुपालन में सुधार होगा, बल्कि टैक्स विवादों में भी कमी आएगी। टैक्स कानूनों की सरलता और पारदर्शिता से सरकारी राजस्व में वृद्धि होने की संभावना है। यह कदम सभी टैक्सपेयर्स के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है।