Property Rules : पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी को लेकर कोर्ट ने किया बड़ा ऐलान

अगर आप भी पत्नी का नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने हैं तो आपको यह खबर जरूर जान लेनी चाहिए पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने वालों के लिए हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जिसे जानना आपके लिए बेहद जरूरी है

 

Haryana Update : Property के एक विवाद के मामले पर इलाहाबाद High Court ने अपना फैसला सुनाया है. मामला था कि अगर कोई घर की Bahu या Wife के नाम पर संपति खरीदता है तो उस पर किसका अधिकार रहेगा. Property की मालकिन सिर्फ वह महिला होगी या उसपर परिजनों का अधिकार होगा. High Court ने फैसला सुनाते हुए कहा कि एक व्यक्ति द्वारा अपनी गृहिणी Wife के नाम पर खरीदी गई संपत्ति, पारिवारिक Property है क्योंकि उसके पास Income का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है.

इस मामले पर न्यायमूर्ति अरुण कुमार सिंह देशवाल ने उक्त व्यवस्था देते हुए कहा कि हिंदू पतियों के लिए अपनी पत्नियों के नाम पर Property खरीदना आम बात है. दिवंगत पिता की Property में सह-स्वामित्व के पुत्र के दावे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा, अदालत भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत यह मान सकती है कि हिंदू पति द्वारा अपनी गृहिणी Wife के नाम खरीदी गई संपत्ति, परिवार की Property होगी, क्योंकि सामान्य स्थिति में पति अपने परिवार के हित में घर संभालने वाली Wife के नाम पर Property खरीदता है, जिसके पास Income का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं होता है

बता दें कि  अपीलकर्ता की अपील स्वीकार करते हुए अदालत ने 15 फरवरी को दिए अपने निर्णय में कहा कि एक हिंदू पति द्वारा अपनी गृहिणी Wife के नाम पर खरीदी गई संपत्ति, Pati की व्यक्तिगत Income से खरीदी गई Property मानी जाती है, क्योंकि Wife के पास Income का कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं होता है. 

इस पर अदालत ने कहा कि ऐसी Property प्रथम दृष्टया एक संयुक्त हिंदू परिवार की Property बन जाती है. अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में यह आवश्यक हो जाता है कि उस Property की तीसरे पक्ष के सृजन से रक्षा की जाए.


अदालत ने कहा कि जब तक यह सिद्ध ना हो जाए कि अमुक Property Wife की Income से खरीदी गई है, तबतक वह Property पति की Income से खरीदी मानी जाती है. अपीलकर्ता सौरभ Gupta ने मांग की थी कि उसे अपने Father द्वारा खरीदी गई Property के एक चौथाई भाग का सह स्वामी का दर्जा दिया जाए. उसकी दलील थी कि Property उसके दिवंगत पिता द्वारा खरीदी गई थी, वह अपनी मां के साथ उसमें सह हिस्सेदार है

जानकारी के लिए बता दें कि सौरभ गुप्ता की मां इस वाद में प्रतिवादी हैं. सौरभ गुप्ता ने Property किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित करने के खिलाफ रोक लगाने की मांग करते हुए एक अर्जी दाखिल की थी. सौरभ की मां ने एक लिखित बयान में कहा कि वह Property उसके पति द्वारा उसे उपहार में दी गई थी, क्योंकि उसके पास Income का कोई स्रोत नहीं था. अंतरिम रोक की मांग वाला आवेदन निचली अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था, जिसके खिलाफ सौरभ गुप्ता ने High Court में अपील दाखिल की.