Tomato Farmers: किसान ने टमाटरों को फेका सड़क पर, मामला जानकर रोंगटे खड़े हो जाएंगे....
किसानों का कहना था कि 1 रुपये किलो में न तो एक एकड़ में बोए गए टमाटर की मजदूरी वसूली जा सकती थी और ना ही टमाटर वापस ले जाने के लिए ट्रान्स्पोर्ट की लागत निकलती. इसलिए उन्होंने टमाटरों को सड़क पर फेंक दिया. वहीं, मीडिया से बात करते वक्त एक किसान ने कहा कि खेती करना इतना महंगा हो गया है,
Nashik Tomato Farmers: नासिक की कृषी उपज मंडी में आज टमाटर किसानों में खास नारजगी देखने को मिली. किसानों ने उस वक्त विरोध जाहिर किया जब मंडी में टमाटर की बोली 1 रुपये किलो लगी.
किसान मार्केट में जाली में टमाटर लेकर आते हैं. इस जाली में 20 किलो टमाटर आते हैं. इसका मतलब है किसानों को प्रति जाली 20 रुपये मिलते. जब किसानों ने यह देखा तो उन्होंने सड़क पर टमाटर फेंककर विरोध दर्ज कराया.
20 रुपये जाली के हिसाब से किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ता. इस कीमत में खेत से मार्केट तक टमाटर लाने का खर्च भी नहीं निकलता. मंडी में व्यापारियों ने पहले टमाटर की तीन रुपये किलो बोली लगाई. इसके बाद उन्होंने दो रुपये किलो बोली लगाई और बाद में फिर एक रुपये किलो बोली लगाई. इसी को देखते हुए किसान परेशान हो गए और मंडी में बेचने के लिए टमाटरों को सड़क पर ही फेंक दिया.
मंडी का गेट भी किया जाम
दरअसल, ऐसे मामलों में किसानों को नुकसान न हो इसके लिए कृषी उपज मंडी के कर्मचारी वहां मौजूद रहते हैं, लेकिन किसानों की मानें तो जब वो टमाटर लेकर मंडी पहुंचे तो वहां कोई भी मौजूद नहीं था. इसे देखते हुए किसानों की नाराजगी और बढ़ गई. इसी को देखते हुए किसानों ने टमाटर सड़क पर फेंके और मंडी का गेट भी जाम किया.
क्यों सड़क पर फेंके टमाटर
किसानों का कहना था कि 1 रुपये किलो में न तो एक एकड़ में बोए गए टमाटर की मजदूरी वसूली जा सकती थी और ना ही टमाटर वापस ले जाने के लिए ट्रान्स्पोर्ट की लागत निकलती. इसलिए उन्होंने टमाटरों को सड़क पर फेंक दिया. वहीं, मीडिया से बात करते वक्त एक किसान ने कहा कि खेती करना इतना महंगा हो गया है,
जिंदा रहें या मरें समझ में नहीं आ रहा. उन्होंने बताया कि व्यापारी वर्ग ने पहले तीन-साढ़े तीन रुपये किलो टमाटर की बोली लगाई. हम उसके लिए भी राजी थे. मार्केट में 47 जाली माल था. जब 4-5 जाली खाली हो गईं तो व्यापारियों ने कहा कि माल बहुत ज्यादा है और टमाटर की बोली 1-2 रुपये कर दी.
किसानों ने अपनी परेशानी बताते हुए कहा कि खेती तो करनी है. हमारा यही भाग्य है. उन्होंने कहा कि हम ज्यादा नहीं चाहते. हम बस चाहते हैं कि 100-150 रुपये में एक जाली टमाटर बिके. उन्होंने कहा कि इस मार्केट की समस्या ये है कि मार्केट कमिटी से एक भी आदमी मौजूद नहीं होता है और जो बोली लगती है, वह दाम किसानों को मिलता भी नहीं है.