UP News : सरकार यूपी के लोगो की खरीद रही है जमीन, इतनी मिलेगी कीमत 

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के इस राजमार्ग के किनारे एक औद्योगिक कोरिडोर बनाया जाएगा। आपको मिली जानकारी के अनुसार, उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में मेरठ से प्रयागराज तक पहुंचने वाला गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य तेजी से पूरा हो रहा है।
 

गंगा एक्सप्रेसवे, जो उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले से मेरठ तक पहुंचता है और प्रयागराज तक पहुंचता है, तेजी से बन रहा है। इस राजमार्ग पर चलने वाले सभी किसानों को उनकी जमीन के अधिग्रहण के साथ-साथ मुआवजा भी दिया गया है। गंगा राजमार्ग का निर्माण तेजी से चल रहा है। यह राजमार्ग हरदोई के शाहाबाद, सवायजपुर और बिलग्राम तहसील क्षेत्रों से गुजरता है।


सरकार गंगा एक्सप्रेसवे बनाने के साथ-साथ औद्योगिक गलियारे का भी निर्माण कर रही है। इसके लिए भी किसानों से जमीन ली जा रही है, लेकिन हरदोई में बहुत से किसान इस औद्योगिक गलियारे को अपनी जमीन देने से बच रहे हैं।


बिलग्राम तहसील में भारतीय किसान यूनियन के जिला अध्यक्ष राज बहादुर सिंह यादव के नेतृत्व में सैकड़ों किसानों ने एसडीएम बिलग्राम संजय ओझा को ज्ञापन सौपा है। ज्ञापन में निर्मलाधीन गंगा एक्सप्रेसवे के किनारे प्रस्तावित औद्योगिक गलियारे के लिए आवश्यक भूमि अधिग्रहण का विरोध किया गया है। इस ज्ञापन में किसानों ने औद्योगिक गलियारे को भूमि नहीं देने की मांग की है। राजबहादुर सिंह यादव ने कहा कि अगर किसानों की सहमति के बिना औद्योगिक गलियारे के लिए जोर से भूमि अधिग्रहण की जाती है, तो भारतीय किसान यूनियन आंदोलन करने को मजबूर हो जाएगा।

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यादव ने बताया कि बिलग्राम तहसील क्षेत्र के पसनेर, गुरौली, पुसेढ़ा, रैफरियां और अन्य गांवों के लोग औद्योगिक गलियारे की बात सुनकर भयभीत होने के साथ-साथ आक्रोशित हो गए हैं. जबरन भूमि अधिग्रहण करने पर आंदोलन किसानों का मानना है कि उनकी जमीन चली जाने से उनकी आय छिन जाएगी, इसलिए वे औद्योगिक गलियारे और फैक्ट्री के लिए जमीन देने को तैयार नहीं हैं। अंदर गुस्सा है किसानों का कहना है कि जमीन चली जाने से वे मजदूर रहेंगे।


जमीन जबरन नहीं ली जा सकती—
भूमि अधिग्रहण एक प्रक्रिया के तहत होता है, एसडीएम बिलग्राम संजय ओझा ने बताया। राजी खुशी प्रक्रिया में जमीन का अधिग्रहण किया जाता है, जिसमें गंगा एक्सप्रेसवे जैसी योजना हरदोई से गुजरती है। राजी खुशी से किसानों ने इस बड़े परियोजना को बनाने के लिए अपनी जमीन दी है।औद्योगिक गलियारे के बारे में अभी तक एकमात्र प्रस्ताव आया है। किसानों का रोष और ज्ञापन उच्च अधिकारियों तक पहुंचा है। किसानों का कहना है कि वे अपनी जमीन नहीं देंगे, चाहे वे शहीद हों।