Yamuna Flood : आखिर क्यों यमुना की बाढ़ ताजमहल का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही, जाने मुगल काल का ये रहस्य 

यमुना का पानी आगरा में ताजमहल की दीवार तक पहुंच गया है, जो खतरे का संकेत है। ताज को इससे कोई खतरा नहीं है। आपको पता है क्यों? यमुना की बाढ़ ताजमहल को क्यों नहीं नुकसान पहुंचा सकती?
 


आगरा में यमुना का पानी ताज महल की दीवार तक पहुंच गया है।


यमुना में कितनी भी बाढ़ आ जाए, मोहब्बत का प्रतीक ताजमहल को नष्ट नहीं कर सकती। ऐसा कई बार हुआ है जब यमुना में उफान आया और ताज की दीवार से पानी टकराया, लेकिन एक जर्रा भी नहीं गिरा। इसलिए शाहजहां ने इंजीनियरिंग अपनाई थी। शाहजहां के दरबारी इतिहासकार ने इसके बारे में बहुत कुछ बताया है। बाद में इसकी पुष्टि आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिक ने भी की है।

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यह पहली बार नहीं है कि आगरा में यमुना का पानी खतरे का संकेत पार करते हुए ताज की दीवारों से टकरा रहा है। AISI (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) के अधिकारियों ने बताया कि 1978 और 2010 में भी ऐसी बाढ़ आई थी, लेकिन ताज को कभी खतरा नहीं था। आइए देखें क्यों?

शाहजहां इंजीनियरिंग का क्या कमाल है?
शाहजहां ने इस स्थान को ताजमहल बनाने के लिए चुना था जब यमुना का वेग बहुत अधिक था। उस समय यमुना नदी बिल्कुल ताज के पास से बहती थी। इसलिए ताजमहल की नींव को इस तरह से बनाया गया था कि पानी उसे न नुकसान पहुंचा सके। पादशाहनामा में शाहजहां के दरबारी इतिहासकार अब्दुल हामिद लाहौरी ने इसका वर्णन किया है। लाहौरी ने कहा कि ताजमहल नदी के किनारे बना है। ताज के लिए इस जगह को जानबूझकर चुना गया था ताकि बाढ़, तूफान और कटाव इसे नुकसान नहीं पहुंचा सकते थे। यह बनने के तुरंत बाद इसमें दरारें आईं, इसलिए औरंगजेब ने फिर से इसकी नींव की। लकड़ी की नींव बनाई गई और चिनाई की गई।

वैज्ञानिक आधार पर पुष्टि: ताजमहल की नींव संवेदनशील है, इसकी पुष्टि वैज्ञानिक आधारों पर भी हुई है। 1990 के दशक में IIT रुड़की के पूर्व निदेशक एससी हांडा ने ताज की नींव में आबनूस और महोगनी लकड़ी का इस्तेमाल किया था। यह भीगने पर न तो खराब होती है और न ही सड़ती है। ताज की नींव मजबूत है क्योंकि बाहरी दीवार भी लकड़ी की है। ताज के पास यमुना का मोड़ भी इसे बचाता है। दरअसल, कहा जाता है कि जहां नदी मोड़ ओता है, उसका वेग कम होता है।


ताज को नदी के पानी से बचाने के लिए नदी के आसपास 42 कुएं भी बनाए गए। ताजमहल के संरक्षक सहायक प्रिंस वाजपेयी ने बताया कि ताज का मुख्य मकबरा एक ऊंचे चबूतरे पर बना है। इसकी नींव ऐसी बनाई गई है कि बाढ़ का पानी इसे नहीं नुकसान पहुंचा सकता। उसने कहा कि 1978 और 2010 में ताजमहल ने इससे ज्यादा बाढ़ झेली है।