RBI के नए नियम जारी! Loan नहीं चुकाने पर Bank उठाएगा ये बड़ा कदम
RBI New Guidelines (Haryana Update) : आजकल ज़्यादातर लोग अपने बिज़नेस या निजी ज़रूरतों के लिए लोन लेते हैं. लेकिन कई बार लोन चुकाना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में बैंक लोन वसूलने के लिए एजेंट को ग्राहक के घर भेजता है. क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ है? अगर हाँ, तो आपको यह जानकर राहत मिल सकती है कि लोन वसूली को लेकर रिजर्व बैंक की ओर से कुछ दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके चलते अब बैंक को लोन चुकाने में देरी करने वालों को सबसे पहले नोटिस देना होगा.
लोन चुकाने में देरी, क्या बैंक ऐसा कर सकता है?
बैंक को लोन चुकाने में देरी होने पर ग्राहक से वसूली के लिए रिकवरी एजेंट भेजने का अधिकार है. लेकिन यह प्रक्रिया अब बहुत कड़ी निगरानी में है. ध्यान रहे कि बैंक आपको कभी धमका नहीं सकता. इसे लेकर रिजर्व बैंक ने बैंकों को कोड ऑफ कमिटमेंट लागू करने का निर्देश दिया है, ताकि वसूली प्रक्रिया सही तरीके से चले और ग्राहकों का शोषण न हो.
बैंक की ओर से आने वाले नोटिस का क्या मतलब है?
अगर आप 90 दिन या उससे ज़्यादा समय तक लोन की EMI नहीं चुकाते हैं, तो बैंक आपके अकाउंट को डिफॉल्टर कैटेगरी यानी NPA (नॉन-परफॉर्मिंग एसेट) में डाल सकता है। इसके बाद बैंक आपको 60 दिन का नोटिस भेजेगा और अगर इस समय में भी बकाया रकम नहीं चुकाई जाती है, तो बैंक आपकी प्रॉपर्टी को नीलाम करने के लिए 30 दिन का पब्लिक नोटिस जारी करेगा।
60 दिन का नोटिस - ध्यान रखें
नोटिस मिलने के बाद आपको 60 दिन का समय मिलेगा, इस दौरान आप अपनी बची हुई रकम चुका सकते हैं या बैंक से बात कर सकते हैं। अगर आप इस दौरान अपनी देनदारी नहीं चुकाते हैं, तो बैंक प्रॉपर्टी की नीलामी शुरू कर सकता है। आप प्रॉपर्टी की नीलामी कर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं - किसी डिफॉल्टर के खिलाफ़ प्रॉपर्टी की नीलामी के लिए अपनाई जाने वाली विधि पूरी तरह से पारदर्शी होनी चाहिए।
मान लीजिए, आपने 1 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी ली थी और बैंक का आप पर 50 लाख रुपये का लोन था। जब आपकी प्रॉपर्टी नीलाम होगी, तो बैंक यह 50 लाख रुपये वसूल लेगा। इसके बाद अगर कोई अतिरिक्त राशि बचती है, तो वह आपको वापस कर दी जाएगी। आपको यह भी अधिकार है कि अगर आपको लगता है कि आपकी संपत्ति का मूल्य सही तरीके से नहीं आंका गया है, तो आप इस पर आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। इस मामले में बैंक को समय रहते जवाब देना होगा। अगर आपकी आपत्ति खारिज होती है, तो उसे आपको इसका कारण भी बताना होगा।
बैंक कर्मचारी से मिलने का अधिकार-
जब बैंक किसी डिफॉल्टर से मिलने जाता है, तो उसकी निजता का ख्याल रखना जरूरी होता है। बैंक कर्मचारियों और एजेंटों को आपसे सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही मिलने का अधिकार है। अगर आपकी मुलाकात किसी खास जगह पर तय नहीं हुई है, तो वे आपसे आपके घर या ऑफिस में मिल सकते हैं, बशर्ते आपकी निजी जगह का उल्लंघन न हो।
नोटिस से नीलामी तक-ग्राहक के अधिकार
नोटिस के अधिकार: अगर आपका लोन 90 दिनों से ज्यादा बकाया है, तो बैंक आपको पहले नोटिस भेजता है, जिसके बाद आपको 60 दिन का समय मिलता है। इस दौरान आप पूरी रकम चुका सकते हैं या बैंक से बातचीत कर सकते हैं।
संपत्ति की नीलामी: अगर नोटिस का कोई असर नहीं होता है, तो बैंक आपकी संपत्ति की नीलामी कर देगा। इसमें आप आपत्ति दर्ज करा सकते हैं, अगर आपको लगता है कि आपकी संपत्ति का मूल्य सही तरीके से निर्धारित नहीं किया गया है।
गोपनीयता का संरक्षण: जब आप बैंक एजेंट से संपर्क करते हैं, तो अपनी गोपनीयता का ध्यान रखना जरूरी है। वे सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे के बीच ही आपके घर या ऑफिस में आपसे मिल सकते हैं।
काउंसलिंग और समाधान का समय-
अगर आपको लोन चुकाने में कोई दिक्कत आ रही है, तो बैंक से विस्तार से चर्चा जरूर करें। बैंक और रिजर्व बैंक की ओर से ऐसी योजनाएं हैं, जिनकी मदद से आप भुगतान में राहत पा सकते हैं। लोन चुकाने में देरी को लेकर दिक्कतें आ सकती हैं, लेकिन जरूरी है कि आप अपने अधिकारों के बारे में जागरूक हों और सही समय पर समाधान का रास्ता निकालें। अगर बैंक ने आपको नोटिस भेजा है और स्थिति गंभीर होती जा रही है, तो इसे नजरअंदाज न करें और जल्द से जल्द बैंक से संपर्क कर समाधान निकालें।