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Gautam Singhania: विजयपत सिंघानिया ने अपने ही बेटे को लेकर बोली बडी बात, ​मुझे सड़क पर देखकर होता हैं...

Gautam Singhania: आपको बता बता दें, की कभी 12000 करोड़ रुपये की कंपनी का मालिक आज दक्षिणी मुंबई की ग्रैंड पराडी सोसायटी में किराए पर रहता है। बेटे ने ड्राइवर और कार भी उनसे छीन लिया उनकी सबसे बड़ी गलती थी बेटे को अपनी सारी संपत्ति देना, जानिए पूरी डिटेल। 

 
Gautam Singhania

Haryana Update: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की कंप्लीट मैन से लेकर फील्स लाइक हैवन तक, रेमंड आज फिर से चर्चा में है। आज, कंबल बेचने वाली छोटी सी फैक्ट्री को रेमंड जैसा ब्रांड बनाने वाले विजयपत सिंघानिया पाई-पाई को मोहताज है। रेमंड कंपनी के सौ साल पुराने फाउंडर विजयपत सिंघानिया आज किराए के घर में रहते हैं। जिनके पास अंबानी से अधिक संपत्ति थी। मुकेश अंबानी आज गरीब जीवन जी रहे हैं, हालांकि उनका घर एंटीलिया से बड़ा था। उनके पास कोई घर नहीं है और कोई कार नहीं है। यह हैरान करने वाला है कि रेमंड को घर-घर तक पहुंचाने वाले व्यक्ति को खुद बेघर होना पड़ा। विजयपत सिंघानिया ने स्वीकार किया है कि उनके पास कुछ भी नहीं है। जीवन उनके लिए कठिन है। हालाँकि उनकी कंपनी आज उच्च स्तर पर है, उनकी विजय के सितारे अस्तित्वहीन हैं। जिन लोगों ने पहले प्राइवेट प्लेन में उड़ान भरती थी, वे आज कार तक नहीं चलाते। 12,000 करोड़ रुपये की संपत्ति रखने वाले विजयपत सिंघानिया ने अपने बेटे को पूरी संपत्ति सौंप दी, जो उनकी सबसे बड़ी भूल थी। आज विजयपत सिंघानिया के अर्श से फर्श तक पहुंचने की कहानी है।

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100 साल पहले मुंबई में कंबल बेचने वाली एक कंपनी ने रेमंड ब्रांड की शुरुआत की। 1900 में महाराष्ट्र के ठाणे में कंबल बनाने के लिए एक वुलन था। बाद में वहां सैनिकों के लिए तैयारियां होने लगीं। मुंबई के एक कारोबारी ने इस मिल को 1925 में खरीद लिया था, लेकिन 1940 में कैलाशपत सिंघानिया ने इसे कुछ साल बाद खरीद लिया। वे वाडिया मिल का नाम रेमंड मिल कर दिया। सिंघानिया परिवार ने राजस्थान से भागकर कानपुर में जेके कॉटन स्पिनिंग और वीविंग मिल्स की स्थापना की। अब वे ब्रिटेन से आने वाले कपड़ों को टक्कर देने के लिए रेमंड मिल का इस्तेमाल करते थे।

ऐसे कैलाश सिंघानिया ने सस्ते कपड़े बनाने पर ध्यान दिया और "पूर्ण आदमी" बन गया। 1958 में उन्होंने मुंबई में अपना पहला रेमंड शोरूम खोला। 1960 में उन्होंने विदेशी मशीनरी लाकर कपड़े बनाना शुरू किया। 1980 में विजयपत सिंघानिया ने रेमंड का नेतृत्व किया। उन्होंने कंपनी को बखूबी संभाला और रेमंड को बढ़ाते रहे। सिंघानिया ने 1986 में परफ्यूम ब्रांड पार्क एवेन्यू को फैब्रिक बिजनेस के साथ लॉन्च किया। उनका ध्यान देश और विदेश में विस्तार पर था। 1990 में विजयपत सिंघानिया ने भारत के बाहर अपना पहला शोरूम खोला।

2015 में, विजयपत सिंघानिया ने अपने बेटे गौतम सिंघानिया को रेमंड की कमान सौंप दी, जो उनकी सबसे बड़ी गलती थी। उन्होंने अपने सारे शेयर बेटे को दे दिए। उस वक्त उन शेयरों का मूल्य एक हजार करोड़ रुपये था। गौतम ने कंपनी की कमान अपने हाथों में लेते ही रंग दिखाना शुरू कर दिया। बाप-बेटे का संबंध खराब होने लगा। दोनों ने एक फ्लैट को लेकर इतना विवाद किया कि मामला कोर्ट तक पहुंचा। फ्लैट को लेकर बहस इतनी बढ़ गई कि बेटे ने पिता का घर छोड़ दिया। मुंबई के व्यस्त इलाके में विजयपत सिंघानिया ने जेके हाउस नामक एक सुंदर घर बनाया था, लेकिन उनके बेटे ने उन्हें उस घर से निकालकर किराए के घर में रहने को मजबूर कर दिया।

रेमंड के संस्थापक विजयपत सिंघानिया ने खुद माना कि बेटे को सारी संपत्ति और बिजनेस सौंपना उनकी सबसे बड़ी गलती थी। कभी 12000 करोड़ रुपये की कंपनी का मालिक आज दक्षिणी मुंबई की ग्रैंड पराडी सोसायटी में किराए पर रहता है। बेटे ने ड्राइवर और कार भी उनसे छीन लिया। मुंबई मिरर ने बताया कि एक छोटे से विवाद ने बाप-बेटे का रिश्ता इतना बिगड़ गया कि बेटे ने बाप को घर से निकाल दिया। पिता विजयपत सिंघानिया ने मालाबार हिल्स में अपने ड्यूपलेक्स घर पर अधिकार मांगा। इस मुद्दे को लेकर पिता-बेटे में बहस बढ़ी।

सड़क पर मुझे देखकर खुशी होती हैविजयपत सिंघानिया ने बिजनेस टुडे से एक इंटरव्यू में कहा कि उन्होंने अपना सब कुछ अपने बेटे को सौंप दिया, लेकिन उनके बेटे ने सब कुछ उनसे छीन लिया। विजयपत सिंघानिया ने कहा कि वह मुझे कंपनी का कुछ हिस्सा देने का वादा किया था, लेकिन बाद में उससे भी मुकर गया। उनका बेटा उन्हें सड़क पर देखकर खुश होता, उन्होंने कहा। अपने बेटे गौतम सिंघानिया को उन्होंने गुस्सैल, लालची और घमंडी व्यक्ति बताया। उनका कहना था कि उनकी सबसे बड़ी गलती थी बेटे को अपनी सारी संपत्ति देना।

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