Haryana News: हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में आखिर क्यों डॉक्टर चयन के बावजूद ड्यूटी जॉइन नहीं कर रहे? स्वास्थ्य मंत्री ने बिठाई हाई लेवल कमिटी
हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में करीब डेढ़ दशक से डॉक्टरों की कमी लगातार बनी हुई है। या तो डॉक्टर लगातार वीआरएस ले रहे हैं या फिर सरकारी नौकरी में चयन के बावजूद ड्यूटी जॉइन नहीं कर रहे हैं। जानिए ये पूरी रिपोर्ट
Haryana Update: हरियाणा के सरकारी अस्पतालों में करीब डेढ़ दशक से डॉक्टरों की कमी लगातार बनी हुई है। या तो डॉक्टर लगातार वीआरएस ले रहे हैं या फिर सरकारी नौकरी में चयन के बावजूद ड्यूटी जॉइन नहीं कर रहे हैं। परिणाम स्वरूप सरकारी अस्पताल और स्वास्थ्य संस्थान चिकित्सकों की बाट जोह रहे हैं।
प्रदेश के हालात यह हैं कि ज्यादातर मेडिकल प्रोफेशनल्स या तो निजी अस्पतालों में जा रहे हैं या फिर वह सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन ही नहीं करते हैं। अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि डॉक्टरों के सरकारी सेवाओं के प्रति घटते रुझान का पता लगाने के लिए स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के आदेश पर तीन वरिष्ठ डॉक्टरों की हाई लेवल कमिटी बनाई गई है।
यह कमिटी न केवल नौकरी छोड़ने के कारणों पर अपनी रिपोर्ट देगी बल्कि यह सुझाव भी दिए जाएंगे कि किस तरीके से अधिक से अधिक डॉक्टरों को सरकारी सेवाओं में लाया जा सकता है। मौजूदा डॉक्टरों को सेवाओं में बनाए रखने के सुझाव भी कमिटी देगी।
स्वास्थ्य मंत्री के आदेश पर स्वास्थ्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव जी. अनुपमा ने तीन डॉक्टरों डॉ. योगेश मेहता एचएसएच, झज्जर के सीएमओ (सिविल सर्जन) डॉ. ब्रह्मदीप और डॉ. निशिकांत (एमडी) की कमिटी बनाई है।
कमिटी एक महीने में अपनी रिपोर्ट देगी। यह रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री तक जाएगी। रिपोर्ट के आधार पर सरकार अगला कदम उठाएगी। डॉक्टरों की कमी का मुद्दा विधानसभा में विपक्ष के ही नहीं सत्तापक्ष के विधायक भी अकसर उठाते हैं।
Lava Upcoming Smartphone: मार्केट में तहलका मचाने, इस दिन दस्तक देगा Lava Agni 2, मिलेगा धाकड़ फीचर्स
नए डॉक्टर नहीं कर रहे जॉइन
मिली जानकारी के अनुसार, स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल ऑफिसर बड़ी संख्या में नौकरी छोड़ रहे हैं। कई ऐसे डॉक्टर हैं, जो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति यानी वीआरएस ले रहे हैं तो कई सरकारी नौकरी के लिए चयन होने के बाद भी जॉइन नहीं कर रहे। डॉक्टरों की सीधी भर्ती भी सरकार करके देख चुकी है। चयन भी होता है,
लेकिन ऐसा एक बार भी नहीं हुआ कि चयनित सभी डॉक्टरों ने नौकरी जॉइन की हो। जॉइन करने के बाद भी डॉक्टर इस्तीफा दे देते हैं। प्राइवेट सेक्टर में अधिक वेतन और सुविधाएं होने की वजह से भी डॉक्टरों का रुझान सरकारी सेवाओं में