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ये दो फार्म नहीं लगने देते FD पर Tax, इस तरह करें इस्‍तेमाल

FD: प्राप्ति कर नियम पर FD: आज के समय में निवेश करने के कई अवसर हैं, लेकिन निश्चित निवेश पर लोगों का बहुत भरोसा है। आज भी, अधिकांश लोगों के पोर्टफोलियो में FD जरूर शामिल है।
 
Tax on FD
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प्राप्ति कर नियम पर FD: आज के समय में निवेश करने के कई अवसर हैं, लेकिन निश्चित निवेश पर लोगों का बहुत भरोसा है। आज भी, अधिकांश लोगों के पोर्टफोलियो में FD जरूर शामिल है। एफडी को इसलिए सिक् योर इन्वेस्टमेंट कहा जाता है।

 

साथ ही, निवेशकों को गारंटीकृत रिटर्न मिलेगा। लेकिन एफडी से कमाई पर आयकर लगता है। बैंक फिक् स् ड डिपॉजिट पर ब्याज से मिलने वाली आय से TDS काट लेते हैं अगर वह तय सीमा से अधिक होती है। लेकिन आप चाहें तो TDS को कटौती नहीं कर सकते। 15G और 15H फॉर्म इसके लिए हैं।

 

इन फॉर्म का प्रयोग कब और कैसे करें


TDS कब काटा जाता है? 
एफडी पर ब्याज से मिलने वाली सालाना आय 40,000 रुपए से अधिक होने पर टीडीएस कटता है। सीनियर सिटीजंस के लिए इसकी सीमा 50,000 रुपये है। टैक्स स्लैब के अनुसार, ये टीडीएस व्यक्ति की कुल आय में जोड़ा जाता है। लेकिन अगर इनकम टैक्सेबल लिमिट से कम है तो फॉर्म 15G और 15H भरकर बैंक में जमा करना होगा, ताकि टीडीएस कटौती नहीं की जाए।


Form 15G क्या है?


व्यक्ति फॉर्म 15G और 15H भरकर बैंक को बताता है कि वह इनकम टैक्स के दायरे में नहीं आता है। फॉर्म 15G को 60 साल से कम आयु का हिन्दू अविभाजित परिवार का कोई भी सदस्य भर सकता है।

1961 के अंडर सेक्शन 197A के अंडर सब सेक्शन 1 और 1(A) के भीतर आने वाला डीक्लेरेशन फॉर्म 15G इनकम टैक्स एक्ट है। इससे बैंक को आपकी सालाना आय का पता चलता है। बैंक एफडी पर TDS नहीं काटता है अगर आपकी आय टैक्स के दायरे में नहीं आती है।

आप इस फॉर्म भर सकते हैं अगर आप टैक्स के दायरे में नहीं आते हैं।
60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए फॉर्म 15H क्या है? यह जमा करके सीनियर सिटीजंस एफडी पर कटने वाले टीडीएस को रोका जा सकता है। लेकिन ये फॉर्म सिर्फ वे लोग जमा कर सकते हैं जिनकी टैक्सेबल आय शून्य है।

इस प्रक्रिया को उन सभी बैंकों में भरना होगा जहां पैसा जमा किया जाता है। अगर जमा के अलावा किसी अन्य स्रोत से इंटरेस्ट आय (जैसे लोन, एडवांस, डिबेंचर, बोनस आदि) 5,000 रुपए से अधिक है तो फॉर्म 15H भरना होगा।

पहले ब्याज का भुगतान करने से पहले 15H फॉर्म भरना होगा। लेकिन ये आवश्यक नहीं है। लेकिन आप ऐसा करते हैं तो बैंक से टीडीएस कटौती को शुरू से ही रोका जा सकता है। अगर कोई कस्टमर इन फॉर्म्स को भरने से चूक जाता है, तो वे एक वर्ष में इनकम टैक्स रिटर्न में आकलन में टीडीएस पा सकते हैं। ऐसे में आयकर विभाग रिफंड देगा। 


 

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