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Property Rules : प्रॉपर्टी का मालिक बनने के लिए रजिस्ट्री से ज्यादा ये दस्तावेज है जरूरी!

Property Rules : अक्सर लोग पूरी जिंदगी मेहनत करने के बाद जमीन का एक टुकड़ा खरीदते हैं. कई बार जमीन खरीदते समय की गई एक छोटी सी गलती उन्हें भारी पड़ सकती है. लोगों को लगता है कि सिर्फ रजिस्ट्री करवा लेने से ही वे उस प्रॉपर्टी के मालिक बन जाते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है. अगर आप जमीन खरीद रहे हैं (जमीन कैसे खरीदें) तो आपको कुछ दस्तावेजों पर ध्यान देना चाहिए.

 
Property Rules

Property Rules (Haryana Update) : प्रॉपर्टी में निवेश करना सबसे सुरक्षित और मुनाफे वाला सौदा माना जाता है। जब भी आप प्रॉपर्टी खरीदें (Property New) तो आपको कुछ बातों पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि अगर आप प्रॉपर्टी खरीदते समय एक छोटी सी भी गलती करते हैं तो इसकी वजह से आपको बहुत बड़ा हो सकता है नुकसान । जमीन खरीदते समय (जमीन खरीद समझौता) लोग आमतौर पर उस जमीन की रजिस्ट्री करवा लेते हैं और उन्हें लगता है कि जमीन उनके नाम हो गई है, लेकिन कानून के मुताबिक ऐसा कहना सही नहीं है। रजिस्ट्री के अलावा भी कई ऐसे दस्तावेज हैं जो जमीन खरीदते समय जरूरी होते हैं।  

रजिस्ट्री का महत्व-
आमतौर पर जब भी आप प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो रजिस्ट्री करवाना सबसे जरूरी माना जाता है, लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक पाने के लिए सिर्फ रजिस्ट्री करवाना ही काफी नहीं है। अक्सर देखा जाता है कि जब लोग प्रॉपर्टी खरीदते हैं तो उनका सबसे ज्यादा ध्यान रजिस्ट्री के कागजों पर ही होता है। रजिस्ट्री के अलावा म्यूटेशन करवाना भी बहुत जरूरी है। म्यूटेशन करवाने के बाद ही जमीन आपके नाम होती है।

म्यूटेशन करवाने के फायदे-
म्यूटेशन की मदद से आप यह पता लगा सकते हैं कि कोई प्रॉपर्टी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को ट्रांसफर हुई है या नहीं। साथ ही यह अधिकारियों को करदाताओं की जिम्मेदारी तय करने में भी मदद करता है। इससे बेची गई प्रॉपर्टी का पुराना मालिक उस पर अपना मालिकाना हक नहीं जता सकता। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते समय नाम ट्रांसफर यानी म्यूटेशन जरूर चेक कर लें।

सेल डीड और म्यूटेशन में अंतर-
जानकारी के लिए बता दें कि सेल डीड और म्यूटेशन (सेल डीड या म्यूटेशन में अंतर) अलग-अलग दस्तावेज हैं। आमतौर पर लोग सोचते हैं कि सेल डीड और म्यूटेशन एक ही दस्तावेज हैं। जब तक किसी भी प्रॉपर्टी का म्यूटेशन नहीं हो जाता, तब तक उस प्रॉपर्टी का मालिक खरीदार नहीं बन सकता, भले ही उसने रजिस्ट्री करवा ली हो। उस प्रॉपर्टी का मालिक पुराना खरीदार ही होता है।

म्यूटेशन करवाने का ये है सही तरीका-
भारत में मुख्य रूप से तीन तरह की जमीनें (How many types of land) होती हैं। पहली कृषि भूमि, दूसरी आवासीय भूमि, तीसरी औद्योगिक भूमि, इसके साथ ही जमीन में घर भी शामिल है। इन तीनों तरह की जमीनों के म्यूटेशन की प्रक्रिया अलग-अलग होती है। जब भी कोई प्रॉपर्टी सेल डीड के जरिए खरीदी जाती है या किसी दूसरे तरीके से हासिल की जाती है। तो सामने वाले व्यक्ति को उस दस्तावेज को रजिस्ट्री ऑफिस में ले जाकर उस जमीन का म्यूटेशन करवा लेना चाहिए।

यहां करवाना होगा लैंड म्यूटेशन-
जब भी आप कोई जमीन खरीदें, तो उस जमीन की जांच करवा लेनी चाहिए। अगर आप उस जमीन को कृषि भूमि के तौर पर खरीद रहे हैं, तो उस जमीन का म्यूटेशन उस इलाके के पटवारी द्वारा किया जाता है। दूसरी ओर, आवासीय भूमि का संपत्ति म्यूटेशन नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद क्षेत्र में जाकर करवाना पड़ता है। अगर औद्योगिक भूमि का म्यूटेशन करवाने पर विचार किया जा रहा है, तो इस भूमि का लैंड टाइटल रिकॉर्ड औद्योगिक विकास केंद्र में होता है जो हर जिले में होता है।

 

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