1971: जब रूस(RUSSIA) ने अपनी दोस्ती निभाई और भारत की रक्षा के लिए आगे आया
RUSSIA AND INDIA:आप जानते होंगे की 1971 से पहले बांग्लादेश पाकिस्तान (PAKISTAN) का ही हिस्सा था जिसे पूर्वी पाकिस्तान(EAST PAKISTAN) कहा जाता था। पूर्वी पाकिस्तान मे लोग बंगाली बोलते थे, परंतु पश्चिमी पाकिस्तान का इससे दूर दूर का भी वास्ता नही था। पूर्वी पाकिस्तान के लोगो से हमेशा नाइंसाफी ही होती रही, पाकिस्तान की सरकार ने कभी भी पूर्वी पाकिस्तान की उन्नति नही की और पश्चिमी पाकिस्तान को ही महत्व दिया। जिससे पूर्वी पाकिस्तान बर्बाद होता गया।
पूर्वी पाकिस्तान के लोग अब पश्चिमी पाकिस्तान से नफरत करने लगे थे. इसी के साथ वहां अलगाव की राजनीति शुरू हो गई, जो अब भयानक रूप ले चुकी थी। विद्रोह होने लगा। जिसे दबाने के लिए बल प्रयोग किया गयाऔर सैन्य ऑपरेशन चलाये गए।
बंगाली शरणार्थी बड़ी संख्या मे भारत आने लगे जिससे भारत सरकार की चिंता बढ़ गयी। गंभीर हालातों को समझते हुए भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने अमरीकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन से बात की और और उन्हे जानकारी दी कि हालत बेहद बदतर हो गए है और बड़ी संख्या मे शरणार्थी भारत आ रहे है।
अब निक्सन को इस बात की भनक लग चुकी थी की भारत और पाकिस्तान मे जंग छेडने वाला है। उस समय अमेरिका और पाकिस्तान संधि के द्वारा जुड़े हुए थे। अमेरिका को डर था की युद्ध मे भारत जीत गया तो सोवियत संघ का विस्तार बढ़ जाएगा जो अमेरिका नही चाहता है।
28 मार्च 1971: अमरीकी सेक्रेटरी ऑफ स्टेट विल रोजर को पाकिस्तान से एक खत मिला जिसमे लिखा था “हमारी सरकार देश में पूर्वी हिस्से में फैली असंतुलन की स्थिति को काबू करने में पूरी तरह से फेल हो गई है” अब जंग तय थी। अमेरिका ने चीन को भी इसमे शामिल करना चाहा और पाकिस्तान के जरिये चीन से संपर्क किया।
भारत इस बात से बेखबर था की अमरीका इस बात पे उसे घेरने वाला है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने रिचर्ड से बंगालियो पर हो रहे जुल्म के खिलाफ हस्तक्षेप करने की मांग की पर उन्होने मना कर दिया।ऐसे मे युद्ध ही एक मात्र विकल्प था।
खतरनाक होती स्थिति के बीच भारत ने अपनी पूर्वी सीमा पर बंगाल की खाड़ी में युद्धपोत तैनात कर दिए। इसी बीच 3 दिसंबर की रात को पाकिस्तान की ओर से भारत पर हमला कर दिया गया। भारत ने स्थिति को पहले ही भांप लिया था, इसलिए उसने पहले ही तैयारी कर ली थी। भारत ने भी खुलकर युद्ध छेड़ दिया।
अमेरिका(AMERICA) को जब इस बात का पता चला तो उसने भारत के खिलाफ अपना जंगी बेड़ा USS ENTERPRISES बंगाल की खाड़ी की और भेज दिया।10 दिसंबर को भारत केआई खुफिया एजेंसियो ने निक्सन द्वारा भेजा गया एक संदेश पकड़ लिया, जिसमे कहा गया की उनका 75000 टन न्यूक्लियर पावर युद्धपोत अपनी सही जगह पहुँच गया है।
उसके जवाब मे भारत ने अपना युद्धपोत INS VIKRANT बंगाल की खाड़ी मे तैनात कर दिया।
इसी बीच सोवियत संघ(RUSSIA) ने भारत को ब्रिटिश युद्धपोत के आने की सूचना दी, भारत ने घबराने की जगह सामना करने का फैसला किया। इस दौरान इन्दिरा गांधी ने इंडो-सोवियत संधि के तहत सोवियत संघ से मदद मांगी।
13 दिसंबर को एड्मिरल क्लादिमीर करुपलयाकोव के नेतृत्व में सोवियत संघ( RUSSIA) ने न्यूक्लियर हथियारों से लैस युद्धपोत और सबमरीन भेज दी।अमरीकी बेड़ा जब तक भारत पहुंचता, उससे पहले ही सोवियत संघ(RUSSIA) का बेड़ा भारत पहुँच गया। अमरीकी बेड़ा भारत पर हमले के लिए आगे बढ़ रहा था उसी समय सोवियत संघ(RUSSIA) की परमाणु क्षमता से लैस पण्डुब्बिया अचानक से समुद्र तल पर आ गयी। अब अमेरिका और भारत के बीच सोवियत संघ पहाड़ बन कर खड़ा हो गया, सोवियत संघ के युद्धपोत सामने देख अमेरिकी बेड़े के जनरल ने अमेरिका को खबर दी। उस समय सोवियत संघ को सामने देख अमरीका की हमला करने की हिम्मत नही हुई। तत्काल ही अमरीकी युद्धपोत को वापिस बुला लिया गया। ब्रिटिश युद्धपोत भी सोवियत संघ(RUSSIA) की ताकत को पहचानता था इसलिए उसे भी मुह की खानी पड़ी।
उधर भारत ने भी युद्ध मे अपने हाथ खोल रखे थे, भीषण युद्ध होने के बाद आखिर पाकिस्तान को भारत के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा और पूर्वी पाकिस्तान को आजाद करवा लिया गया।
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