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Vandana Singh Chauhan Success Story: बाहर जाने का नहीं मिला सपोर्ट फिर भी 8th रैंक पाकर बनीं IAS

Haryanaupdate: यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2012 में प्रभावशाली रैंक 8 हासिल कर आईएएस टॉपर्स में शुमार वंदवा ने यह इस मिथक को तोड़ा कि केवल अंग्रेजी मीडियम के उम्मीदवार ही आईएएस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.
 
Vandana Singh Chauhan Success Story: बाहर जाने का नहीं मिला सपोर्ट फिर भी 8th रैंक पाकर बनीं IAS

Vandana Singh Chauhan Success Story: इन कहानियों की कढ़ी में आज की कहानी है यूपी के नसरूल्लागढ़ की रहने वाली वंदना सिंह चौहान की. वंदना का जन्म और पालन-पोषण उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के नस्रुल्लागढ़ नामक गाँव में एक रूढ़िवादी परिवार में हुआ. वंदना जन्म से ही संयुक्त परिवार में रही.

परिस्थितियों और हालातों से बनीं सोच से परिवार वालों को ज्यादा पढ़ी लिखी बेटी से शिकायत थी. लेकिन पिता उनसे अलग राय रखते. उन्होंने बेटी को मुरादाबाद के गुरूकुल में पढ़ने भेजा.
पिता महिपाल सिंह चौहान ने कुछ नियमों को तोड़ा और उसे आगे की पढ़ाई के लिए गांव से बाहर भेज दिया.

महिपाल सिंह चौहान की बेटी ने गुरुकुल से स्कूली शिक्षा पूरी की. इसके उन्होंने आगरा के डॉ. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय में LLB में दाखिल लिया. लेकिन पढ़ाई उन्होंने घर से ही की. रेगुलर कॉलेज नहीं गईं. ऐसे ही ग्रेजुएशन पूरी की.

ग्रेजुएशन के बाद ही उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू की. वंदना ने कन्या गुरुकुल, भिवानी से संस्कृत (ऑनर्स) में ग्रेजुएशन की. बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा से एलएलबी पूरा की. अपनी कानून की डिग्री के बाद, वंदना ने खुद को सिविल सेवा की तैयारी में लगा लिया.

उन्हें अपने बड़े भाई का समर्थन मिला जो पेशे से वकील हैं. उनके परिवार में लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं थी. लेकिन वंदना ने छोटी उम्र से ही आईएएस का सपना संजोया था. उन्होंने UPSC CSE परीक्षा की तैयारी भी उन्होंने घर से ही की.

वे रोजाना 10 से 12 घंटे पढ़ती थी. विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पढ़ाई से लेकर तैयारी के दौरान परिवार का साथ तो नहीं मिला, लेकिन पिता और भाई जितना साथ दे सकते थे, पूरा सपोर्ट किया.

हिंदी मीडियम की से पढ़ने वाली वंदना सिंह चौहान ने सेल्फ़ स्टडी से सिविल सेवा की तैयारी की और 8वीं रैंक लाकर 24 साल की उम्र में IAS अधिकारी बन गईं.

विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इंटरव्यू के दौरान वंदना ने बताया कि गुरुकुल में मिला अनुशासन UPSC की तैयारी में मददगार साबित हुआ. तैयारी के दिनों में वे बहुत कठिन परिश्रम करती थीं.

मीडिया रिपोर्ट्स में उनकी मां के हवाले से लिखा है कि वंदना दिन में 18-20 घंटे खुद को कमरे में बंद करके पढ़ती. उन्होंने अपने कमरे में कूलर लगवाने से ये कहकर मना कर दिया था कि ठंडक से नींद आती है.

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा 2012 में प्रभावशाली रैंक 8 हासिल कर आईएएस टॉपर्स में शुमार वंदवा ने यह इस मिथक को तोड़ा कि केवल अंग्रेजी मीडियम के उम्मीदवार ही आईएएस परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं.

उनकी सफलता में बड़ी बात है कि वे किसी कोचिंग के लिए नहीं गई और पहले प्रयास में परीक्षा पास की. वंदना अब उत्तराखंड के अलमोड़ा जिले की DM हैं.

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