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IAS और IPS में क्या अंतर है? जानिए किसके पास अधिक बल है

IAS vs. IPS Sallary: हम आज इस लेख में बताएंगे कि आईएएस (IAS) और आईपीएस (IPS) अधिकारियों में सबसे शक्तिशाली कौन है और उनमें क्या अंतर है।आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।

 
IAS और IPS में क्या अंतर है? जानिए किसके पास अधिक बल है

Haryana Update: यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) परीक्षा भारत में सबसे कठिन होती है। परीक्षा को पास करने के बाद ही उम्मीदवार आईएएस, आईपीएस, आईईएस या आईएफएस अधिकारी बन सकते हैं। लेकिन इन सभी अधिकारियों में आईएएस और आईपीएस के बारे में सबसे अधिक चर्चा होती है। IAS और IPS अलग-अलग हैं और एक दूसरे का हिस्सा हैं। इनमें से एक सादे कपड़े पहने हुए अफसर है, जबकि दूसरा पुलिस की वर्दी पहने हुए देश का नागरिक है।

IAS-IPS का चयन कैसे होता है?

UPSC के परीक्षा परिणामों के अनुसार IAS और IPS का चयन होता है। IAS, IPS या IFS रैंक उनकी रैंकिंग पर आधारित हैं। शीर्ष रैंक वालों को IAS पोस्ट मिलता है, लेकिन निचले रैंक वालों को भी IAS पोस्ट मिल सकती है क्योंकि उनका प्रेफरेंस IPS या IFS होता है। बाद में, उच्चतम रैंक वालों को IPS और IFS पोस्ट मिलते हैं।


IAS और IPS की शिक्षा

इस परीक्षा में चुने गए उम्मीदवारों को लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन (LBSNAA) मसूरी में प्रशिक्षण मिलेगा। सभी को तीन महीने का प्रशिक्षण मिलता है। इस कोर्स में बेसिक एडमिनिस्ट्रेटिव कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है, जो हर सिविल सेवा अधिकारी को जानना जरूरी है। 3 महीने बाद IAS और IPS की ट्रेनिंग काफी अलग है।

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IPS अधिकारी फिर सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA) में पुलिस की ट्रेनिंग लेते हैं। इस दौरान IPS को हथियार चलाना, परेड करना और घुड़सवारी सिखाया जाता है। IAS भी मसूरी में ट्रेनिंग लेते हैं। दोनों की प्रोफेशनल ट्रेनिंग इसके बाद शुरू होती है, जिसमें गवर्नेंस, पुलिसिंग और एडमिस्ट्रेशन के हर क्षेत्र की जानकारी दी जाती है।


IAS और IPS के कार्य

IAS अधिकारियों को ट्रेनिंग के बाद एक विशेष क्षेत्र या विभाग का नियंत्रण करना पड़ता है। उन्हें अपने क्षेत्रों के विकास के लिए प्रस्ताव बनाने, सरकारी नीतियों को लागू करने और महत्वपूर्ण निर्णय लेने की कार्यकारी शक्ति मिलती है। वहीं, आईपीएस अधिकारियों को अपराध की जांच करनी होती है और उस क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखनी होती है। IAS अफसर फॉर्मल ड्रेस में रहते हैं और उनके पास कोई ड्रेस कोड नहीं होता। वहीं आईपीएस अधिकारी काम करते समय वर्दी पहनते हैं। IAS अधिकारी को पोस्ट के अनुसार बॉडीगार्ड मिलते हैं, जबकि IPS पूरी पुलिस बल को नियंत्रित करता है।


दोनों की क्षमता और दायित्व
IAS जिलाधिकारी का पद, दोनों सेवाओं की तुलना में अधिक शक्तिशाली है। वहीं, एक IPS केवल अपने विभाग का काम करता है। एक आईएस जिले के सभी विभागों को नियंत्रित करता है। वह जिला अधिकारी के रूप में पुलिस विभाग और अन्य विभागों को नियंत्रित करता है। भी जिला अधिकारी डिस्ट्रिक्ट की पुलिस व्यवस्था पर नियंत्रण रखता है। शहर में curfew, धारा 144 और अन्य कानून और व्यवस्था से संबंधित सभी निर्णय DM ही लेता है। DM भी भीड़ पर कार्रवाई करने या फायरिंग जैसे आदेश दे सकता है। वहीं IPS ऐसा आदेश नहीं दे सकता। इतना ही नहीं, पुलिस ऑफिसर के तबादले के लिए डीएम की अनुमति भी चाहिए।

शीर्ष पोस्ट

IAS के तौर पर सर्वोच्च पद सेक्रेटरी का होता है। यह भारत का सर्वोच्च पद है, जिस पर केवल एक IAS ऑफिसर ही नियुक्त हो सकता है। स्टेट में भी सर्वोच्च पद IAS चीफ सेक्रेटरी का है। वहीं एक IPS अपने राज्य का डिप्टी गवर्नर बन सकता है। एक IPS ऑफिसर CBI, IB या RAW का डायरेक्टर बन सकता है केंद्रीय सरकार में। वह राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी भी बन सकता है।

IAS और IPS में कौन प्रभावशाली है?

IAS और IPS की जिम्मेदारियां और अधिकार पूरी तरह से अलग हैं। कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय IAS अधिकारियों को नियंत्रित करते हैं। वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय आईपीएस को नियंत्रित करता है। IPS अधिकारी की तुलना में IAS अधिकारी का वेतन अधिक होता है। साथ ही, एक क्षेत्र में केवल एक IAS अधिकारी होता है, जबकि एक क्षेत्र में IPS अधिकारियों की संख्या आवश्यकतानुसार होती है। कुल मिलाकर, वेतन और अधिकारों के मामले में IAS अधिकारी एक IPS अधिकारी से बेहतर है।
 


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