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यहां बलि चढ़ाने के बाद फिर जिंदा हो जाता है बकरा! यहां माता दिखाती है अद्भुत चमत्कार

Incredible India.भारत में कई रहस्यमयी और चमत्कारिक मंदिर हैं। कई मंदिरों में ईश्वर का साक्षात चमत्कार देखने को मिलते हैं। इन चमत्कारों को देखकर सभी आश्चर्य में पड़ जाते हैं। देश में माता के ऐसे कई चमत्कारिक मंदिर मौजूद हैं।

 
यहां बलि चढ़ाने के बाद फिर जिंदा हो जाता है बकरा! यहां माता दिखाती है अद्भुत चमत्कार
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Haryana Update. इन मंदिरों में भक्तों को ईश्वरीय शक्ति का अहसास होता है। एक ऐसा ही माता का चमत्कारिक मंदिर बिहार के कैमूर जिले में भी है। माता के इस मंदिर में भक्तों को अद्भुत चमत्कार देखने को मिलता है। यहां बकरे की बलि तो चढ़ती है लेकिन बकरा मरता नहीं। बलि के कुछ समय बाद पुन: जिंदा होकर खुद ही चलता हुआ मंदिर से बाहर आ जाता है।

 

 

 

हजारों साल पुराना है माता है यह मंदिर (thousands of years old temple)
माता का यह चमत्कारी मंदिर मुंडेश्वरी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर कैमूर पर्वत की पहाड़ी पर करीब 600 ज्यादा फीट की ऊंचाई पर है। जानकारी के मुताबिक, यह मंदिर हाजारों साल पुराना है। इतिहासकारों का मानना है कि इसका निमार्ण 108 ईस्वी में शक शासनकाल में बनवाया गया था। भगवान शिव और देवी शक्ति को समर्पित यह प्राचीन मुंडेश्वरी देवी मंदिर बिहार के कैमूर जिले के कौरा क्षेत्र में स्थित है।

 


सदियों से चली आ रही बलि चढ़ाने की परंपरा (centuries-old tradition of offering sacrifices)
इस मंदिर में बलि चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन यहां की बलि की परंपरा अन्य मंदिरों से बिल्कुल अलग है। इसमें खास बात यह है कि इस मंदिर में जिस बकरे की बलि चढ़ाई जाती है उसकी जान नहीं ली जाती। यहां बलि चढ़ाने की प्रक्रिया भक्तों के सामने ही की जाती है।

 

जिंदा हो जाता है बकरा
यहां जिस बकरे की बलि चढ़ानी होती है, उसे माता की मूर्ति के सामने लाया जाता है। इसके बाद उसे वहां लिटाकर पुजारी उस पर कुछ अभिमंत्रित चावल फेंकता है। ये चावल माता की मूर्ति को स्पर्श करवाने के बाद बकरे पर फेंके जाते हैं। जैसे ही बकरे पर वे चावल फेंकते है, वह बकरा मृत सा हो जाता है। उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे उसमें प्राण ही न बचे हों। उसमें बिल्कुल हलचल नहीं होती। इसके बाद फिर इसी प्रकार दोबारा चावल बकरे पर फेंके जाते हैं और माता के जयकारे लगाए जाते हैं। माता के जयकारे लगते ही बकरा तुरंत उठ जाता है। बलि चढ़ाने की क्रिया पूरी होने के बाद बकरे को छोड़ दिया जाता है।

चंड-मुंड का वध करने को प्रकट हुई थीं माता (Mata had appeared to kill Chand-Mund)
इस मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है। मान्यता है कि चंड-मुंड नाम के राक्षसों का अंत करने के लिए माता यहां प्रकट हुई थी। जब माता ने चंड को मारा तो मुंड यहां की पहाड़ियों में आकर छिप गया। इसके बाद माता ने उसका भी वध कर दिया। इसके साथ ही मां मुंडेश्वरी मंदिर में एक प्राचीन पंचमुखी शिवलिंग की मूर्ति भी है, जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलती है। लोगों का कहना है कि यहां देखते ही देखते कब शिवलिंग अपना रंग बदल लेता है इसका पता भी नहीं चल पाता।

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