logo

Explainer: नशे के इलाज समेत कई काम आता हैं लव हारमोन!

Explainer: इसी की आगे पड़ताल के लिए उन्होंने और उनकी टीम ने चूहों के संज्ञानात्मक कार्यों में इसकी भूमिका की जांच की.

 
Explainer
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

Haryana Update: आपकी जानकारी के लिए बता दें की पगमुनर पइंसान के बर्ताव के बारे में किसी चिकित्सक या वैज्ञानिक से पूछेंगे तो वे यही कहेंगे कि सारा खेल हार्मोन का होता है. चाहे मां के अपने शिशु के प्रति स्नेह हो या फिर किसी प्रेमी का अपनी प्रेमिका के प्रति लगाव, इन सब में इंसानों में ऑक्सीटोसिन हार्मोन ही मुख्य भूमिका निभाता है. इसीलिए इसे लव हार्मोन या कडल हार्मोन भी कहते हैं. यही हार्मोन इसानों में भावनात्मक लगाव और लोगों में विश्वास और सम्वेदना पैदा करने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. हालिया अध्ययन बताते हैं कि ऑक्सीटोसिन और भी बहुत कुछ कर सकता है. वह ना केवल सीखने और याद रखने में अपनी एक भूमिका निभाता है, बल्कि कई तरह के उपचारों में भी मददगार हो सकता है.

ऑक्सीटोसिन के असर की पड़ताल
टोक्यो विज्ञान विश्वविद्यालय के शोधकर्ता जूनपेई ताकाहाशी और प्रोफेसर आकियोशी साइतोश केसाथ फ्लोरीडा विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाली मेरीडिथ बेरी के अध्ययनों में ये नतीजे निकले हैं. उन्होंने ऑक्सीटोसिन का हमारे दिमाग पर पड़ने वाले का असर पर खासतौर से अध्ययन किया. उन्होंने डिमेंशिया और अफीम के नशे के उपचार में इसकी भूमिका की पड़ताल की.

चूहों पर किया खास प्रयोग
ऑक्सीटोसिन का सामाजिक बर्तावों पर असर तो काफी जाना पहचाना है, लेकिन कई दिमागी प्रक्रियाएं और काबिलियतों, जिन्हें हम संज्ञानात्मक कौशल कहते हैं, पर उसके प्रभाव की जानकारी कम है. प्रोफेसर साइतोह यह जानना चाह रहे थे कि क्या ऑक्सीटोसिन यादों को बनाने और उन्हें बनाए रखने में कोई भूमिका भी निभाता है या नहीं. उन्होंने बताया कि वे पहले ही बता चुके हैं कि ऑक्सीटोसिन डिमेंशिया या एल्जाइमर जैसे रोगों में इलाज के लिए काम आ सकता है. इसी की आगे पड़ताल के लिए उन्होंने और उनकी टीम ने चूहों के संज्ञानात्मक कार्यों में इसकी भूमिका की जांच की.

ऑक्सीटोसिन का याद्दाश्त पर असर
शोधकर्ताओं ने चूहों के दिमाग के कुछ हिस्सों के ऑक्सीटोसिन से सक्रिय न्यूरॉन को उन्नत तकनीकों से सक्रिय किया. इससे वैज्ञानिक यह जान पाते हैं कि कोई जानवर एक बार देख लेने के ब द कितने अच्छे से उस वस्तु की पहचान कर सकता है. उन्होंने पाया कि ऑक्सीटोसिन न्यूरॉन को सक्रिय करने पर दिमाग के याद्दाश्य और भावनात्मक प्रतिक्रियाओं वाले इलाके भी सक्रिय होते थे. इसका कम समय की याद्दाश्त पर नहीं, लेकिन लंबे समय की याद्दाश्त पर खासा असर देखने को मिला.

डिमेंशिया में उपयोगी हो सकता है ऑक्सीटोसिन
ये नतीजे काफी अहम थे. ऑक्सीटोसिन कैसे याद्दाश्त पर असर डालती है यह डिमेंशिया के रोगों जैसे कि अल्जाइमर आदि के उपचारों के लिए नए तरीके सुझा सकता है. इतना ही नहीं अकेलापन, समाज में लोगों ने ना मिलना जुलना, जैसी कई समस्याएं भी डिमेंशिया के लक्षण गहरा देती हैं. प्रोफेसर साइतोह का कहना है कि इनमें भी ऑक्सीटोसिन की एक भूमिका हो सकती है.

Latest News: देश के 98% लोगों को नहीं पता बर्फ से भी लगाई जा सकती है आग, आइए देखें

FROM AROUND THE WEB