Khatu Shyam: खाटू श्याम की स्तुति, कथा, दोहा सहित
श्री श्याम स्तुति (Shri Shyam Stuti in Hindi)
हाथ जोड़ विनती करूं, खाटू नगर सुजान।
दास आ गयो शरण में, रखियो इसकी लाज।
अनुपम छवि श्री श्याम की, दर्शन से कल्याण।
धन्य है तुम्हारा देश, खाटू नगर सुजान।
श्याम श्याम मैं रटू, श्याम है जीवन प्राण।
श्याम भक्त जग में बड़े, उनको करूं प्रणाम।
खाटू नगर के बीच में, बनियों आपका धाम।
फाल्गुन शुक्ल द्वादशी, उत्सव होय भारी।
फाल्गुन शुक्ला मेला भरे, जय जय बाबा श्याम।
बाबा के दरबार से, खाली जाए ना कोई।
उमापति, लक्ष्मीपति, सीतापति श्री राम।
लज्जा सबकी राखियो, खाटू के श्री श्याम।
पान सुपारी इलायची, ईतर सुगंध भरपूर।
सब भक्तन की विनती, दर्शन देवो हजूर।
श्याम नाम एक मंत्र है, रखियो चित्त्त लगाएं।
जो याको सुमिरन करें, तो विघ्न सभी टल जाए।
हाथ जोड़ विनती करूं, धरूँ चरण में शीश।
ज्ञान भक्तिमय दीजिए, परम पिता जगदीश॥
श्याम तो प्रेम रस, धरे श्याम को ध्यान।
श्याम भक्त पावे सदा, श्री श्याम कृपा बनी रहे॥
दोहा कथा (Shri Shyam Katha)
कलयुग के है देव प्रथम जो देते हैं फल चार।
इसलिए कलयुग में उन्हें भजते हैं नर नारी॥
जो दामन इसका थाम ले उसके कष्ट सभी कट जाते हैं।
संकट में अगर पड़ जाए भक्त तो आकर उसे छुड़ाते हैं॥
यह कथा बहुत पुरानी है द्वापर का अंतिम पसारा था।
उस मायापति की माया में कलयुग का शुरू नजारा था॥
महाभारत के युद्ध की एक गाथा तुम्हें सुनानी है।
इन श्याम घनी के महादान की एक छोटी कहानी है॥
सब समय समय का चक्कर है बिना समय के कुछ हो पाता है।
जब समय पलट जाता है नर का तब क्या से क्या हो जाता है॥
थे कौरव पांडव भाई भाई पर भाईचारा रहा नहीं।
आपस की खींचातानी में कुछ कुल में बाकी रहा नहीं॥
थे धर्म युधिष्टिर उस कुल में पर धर्म कर्म से पला नहीं।
पापी दुर्योधन के आगे कुछ चारा उनका चला नहीं॥
संकल्प था दुर्योधन का जीते जी मिटा दूंगा।
एक रोज दुर्योधन छली, दुर्योधन ने एक सुंदर खेल रचा डाला।
मूर्छित हो गया जब भीम बली विष भीम को दे डाला॥
उस खेल-खेल में पापी ने विष भीम बली को दे डाला।
दुर्योधन ने भीम बली को दरिया में उठा कर डाल दिया।
ऐसी हालत में भी जिस समय नाग लोक में जा पहुंचा।
वासुकी नाग की कन्या का मानो सुहागा पहुंचा है॥
वासुकी नाग को एक समय मां पार्वती ने वचन दिया।
होवे कन्या वही अहलवती थी जो मां की भी वरदानी थी॥
शिव की पूजा नित करती थी सतवंती थी गुण खानी थी।
शिव के पूजन में एक रोज यह ताजा फूल ना चढ़ा सकी॥
माता पार्वती भी अपने कुछ मन के भाव छुपा ना सकी।
मां पार्वती ने क्रोधित हो उस कन्या को शाप दिया॥
मुरझाए पुष्प चढ़ाकर के पति का मेरे अपमान किया।
यह शाप तुझे मैं देती हूं इस करनी का फल पाएगी॥
मूर्छित फूलों के बदले में मूर्छित सुहाग ही पाएगी।
अहलवती बोली माता सब जब तक नष्ट हो जाएगा॥
अगर उजड़ गया तो सुहाग मेरा तो जन्म भ्रष्ट हो जाएगा।
अपराध हुआ मुझसे माता वरदान दूसरा दे डालो।
सुख से भर दो झोली मेरी या जीवन मेरा ले डालो॥
बल बुद्धि में होगा अपार उसे जीत नहीं कोई पाएगा।
यह पुरुष वही था भीम जिसे वहां मूर्छापन में पाया है।
वासुकी नाग की कन्या ने झट अमृत उन्हें पिलाया है॥
फिर नारद मुनि की आज्ञा से विवाह हुआ वहां दोनों का।
इसी तरह से भीम बली कुछ करते रहे विहार वहां॥
जब आई सुध भ्राताओं की बोले अब चला मैं जाऊंगा।
यह वचन अहलवती देता हूं जब चाहोगी आ जाऊंगा॥
भीम के यहां आ जाने पर खुशी पांडव कुल में भारी थी।
यह वही समय आ पहुंचा था जब महाभारत की तैयारी थी॥
उधर अहलवती के द्वारा एक सुंदर पुत्र उत्पन्न हुआ।
मानो था वह भी महाबली जीवन से सुख संपन्न हुआ।
बर्बरीक नाम रखा उसका और महा तेज भी पाया है॥
यह वही नाम और वही बली श्याम घणी कहलाया है।
भिड़ पड़े कौरव पांडव दोनों आपस में युद्ध घमासान तना।
वह पावन धाम कुरुक्षेत्र जो मानो आज श्मशान बना॥
यह युद्ध महान भयंकर था जो नहीं भूलाने वाला था।
मर मिट कौरव पांडव दोनों कुछ साथ न जाने वाला था॥
बालक बर्बरीक भी माता से ले विदा युद्ध में आया है।
उस महाप्रलय में लड़ने को बस तीन बाण ही लाया है॥
भगवान कृष्ण ने देखा कि बर्बरीक युद्ध में आया है।
डट गया अगर यह युद्ध में तो मानव त्रिलोकी का हुआ सफाया॥
यह पक्ष भी लेगा उस दल का जो हार मानने वाला है।
उसकी ताकत से फिर दल को यह कौन बचाने वाला है॥
यही सोचकर मायापति मन में अनुमान लगाने लगे।
उस वीर बर्बरीक बालक पर माया के फंदे चलाने लगे॥
भगवान कृष्ण ब्राह्मण बनकर जब सामने उसके आए हैं।
बालक की अनूठी छवि देख कर प्रभु मन ही मन मुस्काए हैं॥
भगवान ने पूछा जब उससे तो हाल सभी बतलाया है।
उस युद्ध में मैं भी भाग लूंगा यह निश्चय मैंने ठहराया है॥
उस तरफ लड़ लूंगा मैं निश्चय है जो पक्ष हारने वाला हो।
अरमान करूं पूरे उससे जो उन्हें मारने वाला हो॥
है आन मुझे इष्ट की मेरे जीते जी ना बाजी हारूँगा।
बस इन्हीं तीन बाणों द्वारा त्रिभुवन को मैं संघारुगा॥
दे आशीर्वाद मां मुझको जीवन बलिदान चढ़ा दूंगा।
निर्बल पक्ष की विजय के हेतु त्रिलोक आज हिला दूंगा॥
भगवान कृष्ण ने सोचा यह बर्बरीक युद्ध में डट जाए तो।
एक अर्जुन भीम की तो ताकत क्या मेरा भी चक्र पलट जाए॥
तुम दानी कितने हो देखें यह इच्छा हुई हमारी है।
यह सुनकर बर्बरीक बोले मंगते की सब इच्छा भर दूँ।
जो अगर जरूरत पड़ जाए तो शीश तार अर्पण कर दूं॥
भगवान ने वह भी मांग लिया और तुरंत शीश दे डाला है।
यह महिमा महादानी की है जो सर्वस्व भी दे डाला है॥
पर इस योद्धा ने मांगा था यह जो मांगोगे दे जाऊंगा।
दे दो एकवचन मुझको की यह युद्ध देख में पाऊंगा॥
इसलिए शीश को लेकर के प्रभु ने ऐसा विधान किया।
उस कटे शीश को युद्ध स्थल में एक खंबे पर स्थान दिया॥
जब महाभारत के युद्ध में मिट गए सभी कोरव लड़कर।
मिल विजय जब पांडवों को करते थे बातें बढ़-चढ़कर॥
जब कृष्ण भगवान बोले स्वयं से युद्ध किसी ने किया नहीं।
शीश ने दिया फैसला जो देखा था सो बतलाते थे॥
कुरुक्षेत्र की इस भूमि में मायापति ही दर्शाते थे।
कृष्ण भगवान की महिमा से पांडव का जयकार हुआ।
काली खप्पर वाली द्वारा दुष्टों का संहार हुआ॥
पांडव गण का भ्रम दूर हुआ कृष्ण भगवान मुस्काते हैं।
उस कटे शीश की ओर देख मोहन बलिहारी जाते हैं॥
प्रभु ने हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया प्रसन्न होकर।
कलयुग में पूजे जाओगे कुलदेवता होकर तुम॥
शिवाष्टकम: इस छोटे से स्तोत्र को जपने से ही हो जाते हैं भगवान शिव प्रसन्न, पढ़िये स्तोत्र
आशीर्वाद यह हमारा है जो नाम तुम्हारा गाएगा।
बिगड़े कार्य बनेंगे उसके मनवांछित फल पाएगा॥
श्याम दातार वही है जिन्होंने शीश वहा दे डाला।
शरण गया जो उसकी सब दुख हर डाला है॥
कलयुग में जो ध्यान करें जीवन उसका बन जाएगा।
श्रोताओं अब भी चूक गए तो यह समय हाथ नहीं आएगा॥
श्याम जिंदगी थोड़ी है और झूठा सभी झमेला है।
इस चला चली की दुनिया में बस चार दिन का मेला है॥
श्याम दातार का सुमिरन करले तू मन लगा ले तू।
नाता जोड़ कर उनसे बिगड़ी हुई किस्मत बना ले तू॥
Khatu Shyam Pics, Khatu Shyam Stuti, Khatu Shyam Story, Khatu Shyam ki katha, Mahabharat Story, Hinduism, Religion,