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BJP ने हरियाणा चुनाव में जाट उम्मीदवारों को टिकट देकर बदला समीकरण, गैर-जाट की धारणा बदलने का प्रयास?

Haryana Vidhansabha Chunav 2024 : Haryana विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने पहली लिस्ट जारी कर दी है. इसमें सबसे अधिक सीटें ओबीसी वर्ग व दूसरे स्थान पर जाट समाज को 13 सीटें दी गई हैं. 
 
BJP ने हरियाणा चुनाव में जाट उम्मीदवारों को टिकट देकर बदला समीकरण, गैर-जाट की धारणा बदलने का प्रयास?
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Haryana BJP Candidates List - जातीय समीकरण को देखते हुए इन सीटों का बंटवारा किया गया है वहीं बात की जाए साइलेंट वोटर महिला वोटबैंक  की तो बीजेपी ने इनका भी पूरा ध्यान रखा है. एंटी इनकम्बेंसी से निपटने के लिए पार्टी ने क्या दांव चला है?


Haryana BJP Candidates List - नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने से ठीक एक दिन पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने  हरियाणा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी. BJP की ओर से जारी की गई jumbo list में कुल 90 में से 67 विधासनभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम हैं. 


इस लिस्ट के अनुसार टिकट प्राप्त करने वालों में पांच नेता पुत्र-पुत्रियों के नाम हैं. ओबीसी का दबदबा है तो भजनलाल और बंसीलाल, दो परिवारों का भी पूरा ध्यान रखा गया है. 
अहीरवाल बेल्ट की सीटों पर केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की पसंद भारी पड़ी है तो हाल ही में पार्टी में शामिल हुए लोगों का भी पूरा खयाल नजर आता है. बीजेपी की पहली लिस्ट के समीकरण क्या हैं?


1- ओबीसी पर फोकस, जाट को भी तरजीह
 

हरियाणा में बीजेपी गैर जाट राजनीति पर फोकस कर चलती आई है. लोकसभा चुनाव में जाट मतदाताओं की कांग्रेस के पक्ष में गोलबंदी, बीजेपी से नाराजगी के बाद ऐसा कहा जा रहा था कि पार्टी टिकट बंटवारे में भी गैर जाट कार्ड चल सकती है. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पहली लिस्ट के 67 नाम में से सबसे ज्यादा 14 ओबीसी को टिकट दिया गया है. 
 

बीजेपी ने गुर्जर, यादव, कश्यप, कम्बोज, राजपूत और सैनी, सबको जगह दी है. ओबीसी के साथ ही, बीजेपी ने 13 जाट और 13 दलित नेताओं पर भी दांव लगाया है. दलित समाज से वाल्मिकी, धानुक, बावरिया, बाजीगर के साथ ही जाटव समाज से उम्मीदवार दिए गए हैं.
 

बीजेपी ने जाटों और दलितों को ओबीसी के लगभग समान टिकट दिए हैं, इसलिए यह विपक्ष की रणनीति को उलटने का प्रयास है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के परिवार के प्रभाव से हरियाणा में कांग्रेस की छवि जाट पार्टी की ओर झुकी हुई है। कांग्रेस ने हालिया लोकसभा चुनाव में गैर जाट नेताओं को टिकट वितरण में पहली जगह देने की रणनीति को अपनाया, जो इस इमेज को दूर करने में सफल रही। कांग्रेस ने 10 में से पांच सीटें जीतने के पीछे गैर जाट नेताओं पर दांव लगाने की रणनीति को बताया।

कांग्रेस भी विधानसभा चुनाव में इसी रणनीति का पालन करने वाली है। कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की जाति, जाट और मुस्लिम-दलित गोलबंदी के सहारे राज्य की सत्ता से दस साल का वनवास समाप्त करने की कोशिश की, लेकिन अब बीजेपी ने जाट कार्ड से जाट खेल खेला है। बीजेपी ने चुनाव में बनिया और ब्राह्मण मतदाताओं के अलावा बिश्नोई, पंजाबी, सिख, राजपूत और जाट सिख वर्ग से आने वाले लोगों को भी उतारा है।

2. जातीय गणित के साथ महिला कार्ड

बीजेपी ने पहली लिस्ट में सिर्फ जातीय आधार पर काम करने की कोशिश की है, बल्कि जाति-वर्ग से ऊपर उठकर अपने साइलेंट वोटर मानने वाले महिला वोटबैंक पर भी ध्यान दिया है। पार्टी ने भी 67 उम्मीदवारों में आठ महिलाओं को टिकट दिया है। पार्टी ने कालका से शक्ति रानी शर्मा, मुलाना (सुरक्षित) से संतोष सरवन, कलायत से कमलेश ढांडा, रतिया (सुरक्षित) से सुनीता दुग्गल, कलानौर (सुरक्षित) से रेनू डाबला और गढ़ी सांपला किलोई से मंजू हुड्डा को टिकट दिया है।

बीजेपी ने तोशाम से श्रुति चौधरी और अटेली से आरती सिंह राव को उम्मीदवार बनाया है। महिला कार्ड के पीछे पार्टी की रणनीति पहलवानों के आंदोलन और पोर्टल के माध्यम से योजनाओं का लाभ लेने में आने वाली चुनौतियों को कम करना है। पार्टी न सिर्फ छोटे-छोटे वोट ब्लॉक्स को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है, बल्कि अपने मूल वोटर को आकर्षित करने की एक रणनीति भी बना रही है।

3.  विपक्ष के दो परिवारों की काट दो 'लाल' के परिवार

हरियाणा की राजनीति परिवार से प्रभावित है। हरियाणा के प्रसिद्ध राजनीतिक परिवारों में भजनलाल, बंसीलाल और देवीलाल भी शामिल हैं। कांग्रेस हुड्डा परिवार से है, लेकिन चौटाला परिवार की इंडियन नेशल लोक दल (आईएनएलडी) और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) देवीलाल की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

बीजेपी ने हुड्डा और देवीलाल के परिवार से मुकाबला करने के लिए भजनलाल और बंसीलाल के परिवार को चुना है। पार्टी ने बंसीलाल की बहु किरण चौधरी को राज्यसभा भेजा है क्योंकि वे बीजेपी में हाल ही में शामिल हुए हैं। अब किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी को बीजेपी ने तोशाम सीट से चुनाव में उतारा है। भजनलाल के बेटे कुलदीप बिश्नोई भी बीजेपी में हैं, और उनके बेटे भव्य बिश्नोई को पार्टी ने आदमपुर सीट से टिकट दिया है।

लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा लगता था कि बीजेपी ने कुलदीप बिश्नोई को छोड़ दिया है, लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें पहले प्रदेश चुनाव समिति का सदस्य, चुनाव प्रबंधन समिति का संयोजक और अब बेटे और करीबियों को टिकट दिया है। बीजेपी की पहली लिस्ट में कुलदीप की रुचि को देखते हुए पांच सीटों पर प्रत्याशी उतारे गए हैं। इनमें आदमपुर से उनके पुत्र भव्य बिश्नोई, नलवा से रणधीर पनिहार, फतेहाबाद से डूडाराम बिश्नोई, बरवाला से रणबीर गंगवा और समालखा से मनमोहन भड़ाना शामिल हैं। कुलदीप भी डूडाराम बिश्नोई के चचेरे भाई हैं।

4. एंटी इनकम्बेंसी काट के लिए नवीन चेहरे

बीजेपी ने एंटी इनकम्बेंसी का मुकाबला करने के लिए सैनी सरकार के मंत्रियों समेत नौ विधायकों को टिकट से बाहर कर दिया है। पार्टी ने कई विधायकों को बदल दिया है और कुछ नए लोगों को भी शामिल किया है। बीजेपी की पहली सूची में 27 नए नाम हैं। युवाओं को भी टिकट बांटे गए हैं। बीजेपी ने पलवल से दीपक मंगला, बवानी खेड़ा से विश्वंभर वाल्मीकि, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, सोहना से राज्यमंत्री संजय सिंह, अटेल से सीताराम यादव, पेहवा से पूर्व मंत्री संदीप सिंह और रतिया से लक्ष्मण नापा को टिकट दिया है।

5: बाहरी लोगों पर दांव, नेता पुत्र-पुत्रियों को भी टिकट

बीजेपी ने दूसरे दलों से आए नेताओं पर दांव लगाने के अलावा पुत्र-पुत्रियों को भी उम्मीदवार बनाया है। बीजेपी ने चार नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है: देवेंद्र बबली, रामकुमार गौतम, पवन कुमार और संजय काबलाना। पार्टी ने आईएनएलडी से आए श्याम सिंह राणा, हरियाणा जनचेतना पार्टी से अंबाला की मेयर शक्ति रानी शर्मा, कांग्रेस से आए निखिल मदान और भव्य बिश्नोई को भी टिकट दिया है।

राजनीतिक नेता के पुत्र-पुत्रियों को बीजेपी ने टिकट दिया है: कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई, किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी, केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत की बेटी आरती राव, करतार भडाना के बेटे मनमोहन भडाना और सतपाल सांगवान के बेटे सुनील सांगवान।

 

बीजेपी की पहली लिस्ट क्या कहती है?

हरियाणा में जीत हासिल करने के अपने प्रयासों में बीजेपी ने उम्मीदवारों की पहली सूची के माध्यम से स्पष्ट कर दिया है कि वह अब जाट राजनीति में अपने प्रतिद्वंदियों को पीछे नहीं छोड़ेगी। पार्टी अब ओबीसी वोटबैंक के साथ जाट और दलित लोगों को एक नए वोट समीकरण बनाने की कोशिश कर रही है। जब बीजेपी परिवारवाद की पिच पर विरोधी दलों को घेर रही है, तो प्रभावशाली परिवारों से आने वाले नेता अपने पुत्र-पुत्रियों को चुनावी सर्वे में जीतने की अधिक संभावना होने पर भी टिकट देंगे।

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