हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर आया संकट, करनाल उपचुनाव रद्द करने की Demand
Haryana: आपको बता दें, की 25 मई को होने जा रहा है। हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक साल से भी कम समय में नवंबर 2024 में समाप्त हो रहा है।
Haryana Update: आपकी जानकारी के लिए बता दें, की मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की कुर्सी पर संकट मंडरा रहा है? इसका कारण बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय के बाद विधायक नीरज शर्मा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है जिसमें करनाल उपचुनाव को रद्द करने की मांग की गई है।
नायब सिंह सैनी के पद पर संकट: वर्तमान में कुरूक्षेत्र से हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी सांसद हैं। बीजेपी-जेजेपी गठबंधन टूटने के बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद नया सीएम नायब सिंह सैनी चुना गया। नोहर लाल खट्टर ने करनाल विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था, इसलिए 25 मई को लोकसभा चुनाव होंगे। नायब सिंह सैनी को बीजेपी ने भी करनाल विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन इस बीच सीएम की कुर्सी पर अचानक संकट पैदा हो गया है। वास्तव में, सीएम बने रहने के लिए उन्हें छह महीने के भीतर विधायक बनना चाहिए। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच की एक निर्णय ने ऐसे में उनकी समस्याएं बढ़ाई हैं। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने 26 अप्रैल को अकोला (पश्चिम) विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव को रद्द कर दिया है। इसे रद्द करने का कारण यह था कि जीतने के बाद विधायक का कार्यकाल एक साल से भी कम होगा।
बॉम्बे हाई कोर्ट के निर्णय का क्या प्रभाव होगा? बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के फैसले का अब हरियाणा में करनाल विधानसभा उपचुनाव पर भी असर हो सकता है, जो 25 मई को होने जा रहा है। हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल एक साल से भी कम समय में नवंबर 2024 में समाप्त हो रहा है। इस बीच, नायब सिंह सैनी को छह महीने के भीतर विधायक नहीं बनने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।
करनाल विधानसभा उपचुनाव को रद्द करने की मांग की गई है: करनाल उपचुनाव को रद्द करने की मांग करते हुए कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के निर्णय का हवाला देते हुए, उन्होंने करनाल विधानसभा उपचुनाव को रद्द करने की मांग की है। नीरज शर्मा ने पत्र में कहा कि एक साल से कम समय के लिए उपचुनाव कराना धन की बर्बादी है। उन्होंने कहा कि करनाल से नवनिर्वाचित विधायक का आधा से अधिक कार्यकाल आचार संहिता में बीत जाएगा। 4 जून को चुनाव नतीजे आने के बाद नवनिर्वाचित विधायक को सिर्फ चार महीने का समय मिलेगा, जबकि चुनाव में सरकारी धन से भारी धन खर्च होगा।