Cheque Bounce: कब दर्ज होता है केस और कितने दिनों में देना होता है नोटिस का जवाब?
Cheque Bounce: अगर किसी व्यक्ति का चेक बाउंस हो जाता है, तो उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय कानून के अनुसार, चेक बाउंस होने पर लाभार्थी को 30 दिनों के भीतर नोटिस भेजना जरूरी होता है। अगर नोटिस मिलने के 15 दिनों के अंदर भुगतान नहीं किया जाता, तो कोर्ट में मामला दर्ज किया जा सकता है। नीचे पढ़ें पूरी डिटेल
Mar 17, 2025, 18:23 IST
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Haryana update, Cheque Bounce: अगर आपका चेक बाउंस हो जाता है, तो यह सिर्फ एक वित्तीय समस्या नहीं बल्कि एक कानूनी अपराध भी हो सकता है। चेक बाउंस (Cheque Bounce) के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें बैलेंस की कमी, सिग्नेचर मिसमैच या तकनीकी गलतियां शामिल हैं। यह मामला इतना गंभीर हो सकता है कि आपको जेल तक जाना पड़ सकता है।
चेक बाउंस के मुख्य कारण Cheque Bounce
- खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना
- सिग्नेचर मिसमैच
- चेक पर ओवरराइटिंग
- गलत अकाउंट नंबर लिखना
- चेक की वैधता समाप्त होना
- चेक जारी करने वाले का खाता बंद होना
- बैंक को जाली चेक का संदेह होना
चेक बाउंस पर लगने वाला जुर्माना Cheque Bounce
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बैंक आमतौर पर चेक बाउंस होने पर 150 रुपये से 800 रुपये तक जुर्माना लगाते हैं। यह राशि बैंक और स्थिति के अनुसार अलग-अलग हो सकती है।
क्या चेक बाउंस अपराध है? Cheque Bounce
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) की धारा 138 के तहत, चेक बाउंस होना एक दंडनीय अपराध है। अगर चेक बाउंस होता है और भुगतानकर्ता पैसा नहीं चुकाता, तो उसे 2 साल तक की सजा और चेक राशि का दोगुना जुर्माना भरना पड़ सकता है।
चेक बाउंस होने पर कब होता है केस? Cheque Bounce
- बैंक चेक बाउंस की रसीद देता है, जिसमें कारण दर्ज होता है।
- लेनदार को 30 दिनों के भीतर चेक जारी करने वाले को कानूनी नोटिस भेजना होता है।
- यदि 15 दिनों में जवाब नहीं आता, तो लेनदार एक महीने के भीतर कोर्ट में केस दर्ज कर सकता है।
- अगर कोर्ट दोषी ठहराता है, तो आरोपी को सजा या जुर्माना या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं।
चेक बाउंस से बचने के लिए हमेशा ध्यान रखें कि आपके खाते में पर्याप्त बैलेंस हो और चेक सही तरीके से भरा गया हो।