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स्कूल छात्रों के साथ ना करें भेदभाव, दिल्ली HC का निर्देश,एडमिशन के नियम हों तर्कसंगत

 दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल में एडमिशन चाहने वाले स्टूडेंट ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की. इस याचिका में एडमिशन के नियमों पर सवाल उठाए गए.

 
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Delhi School Admission: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि प्राइवेट स्कूलों के पास अधिकार है कि वे अपने पसंद के स्टूडेंट को एडमिशन दें. लेकिन एडमिशन एक उद्देश्यपूर्ण और तर्कसंगत प्रक्रिया के आधार पर होना चाहिए. अदालत ने आगे कहा कि स्टूडेंट्स के लिए के लिए एडमिशन क्राइटीरिया का आधार उचित और गैर-भेदभावपूर्ण होना चाहिए. दरअसल, Delhi High Court ने ये बातें एक नाबालिग लड़के की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें कहीं.

जस्टिस मिनी पुष्करणा की एक जज वाली पीठ ने अपने 17 अप्रैल के आदेश में कहा था कि प्राइवेट एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन के पास अपने पसंद के स्टूडेंट्स को एडमिशन के लिए सेलेक्शन के एक ऑब्जेक्टिव और तर्कसंगत प्रोसेस रखने का अधिकार रखते हैं. ऐसा एक ऐसे क्राइटीरिया के आधार पर होना चाहिए, जो पारदर्शी और उचित हो.

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दरअसल, हाईकोर्ट एक नाबालिग लड़के की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. याचिका में एक प्राइवेट स्कूल में पहली क्लास में एडमिशन की मांग की गई थी. एडमिशन के एलिजिबिलिटी क्राइटीरिया के लिए उसने अपने नंबरों को आधार बनाया. जबकि नियमों के तहत स्कूल में पढ़ने के लिए उसे अपने भाई की फीस की स्लिप दिखाने की जरूरत थी. ये स्टूडेंट भाई के कोटे के तहत स्कूल में एडमिशन चाह रहा था.

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जस्टिस पुष्करणा ने कहा कि स्कूल के पास जनरल कोटा के तहत एडमिशन के लिए स्वायत्ता है. वह चाहे तो एडमिशन के लिए अपने खुद को नियम भी बना सकता है. हालांकि, स्कूल द्वारा बनाए गए किसी भी तरह का एडमिशन क्राइटीरिया उचित, तर्कसंगत और गैर-भेदभावपूर्ण होना चाहिए. एडमिशन क्राइटीरिया मनमाना नहीं होना चाहिए, लेकिन निष्पक्ष और न्यायसंगत होना चाहिए.

याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा दिया कि स्कूल को निर्देश दिया जाता है कि वह अपने एडमिशन क्राइटीरिया के संदर्भ में याचिकाकर्ता को सिब्लिंग प्वाइंट्स प्रदान करे और स्कूल द्वारा अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के अनुसार याचिकाकर्ता को एडमिशन दे.

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